चन्द्रभूषण सिंह यादव
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के प्रति इस देश का पिछड़ा वर्ग हमेशा कृतज्ञता का अनुभव करता है । उन्होंने मंडल आयोग की सिफ़ारिशें लागू करके अमरत्व प्राप्त कर लिया। वीपी सिंह के साहसपूर्ण निर्णय ने भले ही उनसे सत्ता छीन ली हो लेकिन उसने भारतीय राजनीति और समाज के चरित्र को लगभग तय कर दिया। पिछड़ी जातियों के राजनीतिक भटकाव तथा उनके नेताओं अवसरवाद के बावजूद वीपी सिंह का संदर्भ उनके बीच एक गहरे द्वंद्व , पश्चात्ताप और निर्णायक संवेदना को बचाए हुये है । सारी दुनिया जानती है कि वीपी सिंह का राजनीतिक जीवन उथल-पुथल भरा रहा है । कुछ लोग मंडल कमीशन लागू करने को उनकी राजनीतिक जल्दबाज़ी भी मानते हैं लेकिन महान घटनाएँ अपनी पृष्ठभूमि भले बरसों में तैयार करती हों लेकिन घटित एक विस्फोट के रूप होती हैं और वी पी सिंह का भारत का प्रधानमंत्री बनना इसी तरह की घटना है।
[bs-quote quote=”वे हमेशा कहते थे कि मुझे बड़ी जातियां चाहे जितनी गाली दे लें लेकिन मैंने जो मंडल कमीशन के व्यवहार रूपी भागीदारी का जो बच्चा पैदा कर दिया है वह कोई लाख कोशिश कर ले तब भी वह माँ के पेट में वापस नहीं जा सकता।” style=”style-2″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]
कल 25 को उनकी जयंती थी। वे 1931 में इलाहाबाद जिले की मांडा रियासत में पैदा हुये थे । राजनीति के क्षेत्र में पदार्पण के बाद उन्हें अपनी पूर्ववर्ती पीढ़ी के नेताओं से जो नैतिक बल मिला था उसे उन्होंने अंततः परजीवी समाजों के खिलाफ श्रमजीवी समाजों के संघर्ष के हथियार के रूप में अगली पीढ़ियों को सौंप दिया। वीपी सिंह ही शख्स थे जिन्होंने राजपूत होकर मंडल कमीशन लागू किया। उनके इस निर्णय ने उन्हें भारत में सामाजिक न्याय के आकाश का अनमोल सितारा बना दिया। मेरे जैसे असंख्य पिछड़े आज उनकी बदौलत बहुत कुछ बन गए हैं।
उन्होंने ‘राजा नही रंक है देश का कलंक है’ कहलाना पसंद किया पर विचारों से समझौता नहीं किया। यह वही वी पी सिंह जिन्होंने सम्पूर्ण पिछड़े नेताओ द्वारा साथ छोड़ने के वावजूद पिछड़ों के सवाल को अधर में नही छोड़ा।
वे हमेशा कहते थे कि मुझे बड़ी जातियां चाहे जितनी गाली दे लें लेकिन मैंने जो मंडल कमीशन के व्यवहार रूपी भागीदारी का जो बच्चा पैदा कर दिया है वह कोई लाख कोशिश कर ले तब भी वह माँ के पेट में वापस नहीं जा सकता।
वीपी सिंह मर गये लेकिन पिछड़ों की उपेक्षा व अगड़ों की घृणा के बावजूद सामाजिक न्याय को छोड़ा नहीं।
मैंने मंडल लागू होने के बाद वीपी सिंहजी के सम्मान में 1990 में एक स्वागत गीत लिखा था जो मेरी राजनीतिक मजबूरियों के कारण मेरी अनुपस्थिति में 2007 में उनके समक्ष गाया जा सका। गीत में मैंने अपनी भावनाओं का सम्पूर्ण ज्वार उड़ेल दिया है!
नई ज्योति हममें जला देने वाले,
नई चेतना हममें ला देने वाले।
नमन है,नमन है ,नमन है तुम्हारा,
गरीबों के हक को दिला देने वाले।।
सूरज की किरनें न पहुंची जहाँ पर,
नज़र तेरी बारीक़ पहुंची वहाँ पर।
अँधेरा-अँधेरा रहा ढंक के जिसको,
खुली रौशनी मिल गयी आज उसको।।
सुधा रस सभी को पिला देने वाले,
नई चेतना हममें ला देने वाले।
नमन है,नमन है ,नमन है तुम्हारा ,
गरीबों के हक को दला देने वाले।।
सदियों से मारा था जिनको जमाना,
मेहनत के बदले में अपमान पाना।
यही था नियम सृष्टि का आज अब तक,
अगर तुम न होते तो चलता ये कब तक?
हथौड़ा इसी पर चला देने वाले,
नई ज्योति हममें जला देने वाले।
नमन है,नमन है,नमन है तुम्हारा ,
गरीबों के हक को दिला देने वाले।।
हमारी थी मेहनत कमाई हमारी,
जो खाते थे छककर मलाई हमारी।
आदेश देना ही था उनका पेशा ,
जुल्मो-सितम का ही ठेका था उनका।।
मुक्ति सभी से करा देने वाले,
नई ज्योति हममें जला देने वाले।
नमन है,नमन है,नमन है तुम्हारा,
गरीबों के हक को दिला देने वाले।।
हर वर्ष आती थीं पतझड़-बहारें,
वर्षा की होती थीं सुंदर फुहारें।
हमें कुछ न मालूम होता था यह सब,
आई थी सर्दी और गर्मी यहाँ कब?
एहसास इनका करा देने वाले,
नई ज्योति हममे जला देने वाले।
नमन है,नमन है,नमन है तुम्हारा,
गरीबों के हक को दिला देने वाले।।
एम पी,एम एल ए और मंत्री बनेगे,
एस पी,कलक्टर और संतरी बनेगे।
दलितों की सत्ता में हो भागीदारी,
ये ललकार गूंजी जहाँ में तुम्हारी।।
चमन में कली को खिला देने वाले,
नई ज्योति हममें जला देने वाले।
नमन है,नमन है,नमन है तुम्हारा,
गरीबों के हक को दिला देने वाले।।
हिन्दू-मुसलमां हों चाहे ईसाई,
रहें सिक्ख ,जैनी सभी एक भाई।
करें काम कोई न अफवाह सुनकर,
दिलों को जो बांटें करे चोट उनपर।।
आपस में सबको मिला देने वाले,
नई ज्योति हममे जला देने वाले।
नमन है,नमन है,नमन है तुम्हारा,
गरीबों के हक को दिला देने वाले।।
पेरियार-बुद्धा की तुम नीति लेकर,
लोहिया-अम्बेडकर की तुम सीख लेकर।
चले ज्योति मंडल का ‘प्रहरी’ उठाये,
थे राहों में जालिम ने कांटे बिछाए।।
कठिन मग में पग को जमा देने वाले,
नई चेतना हममें ला देने वाले।
नमन है,नमन है,नमन है तुम्हारा,
गरीबों के हक को दिला देने वाले।।”




