जब कोई मामला कोर्ट में विचाराधीन होता है तो पुलिस लोगों को अक्सर यथास्थिति कायम रखने की सलाह देती रहती है। लेकिन वाराणसी जिले के रहने वाले मनोज कुमार यादव और अंकुर यादव के मामले में पुलिस स्वयं से ही पक्षपात करती हुई नजर आ रही है।
मामला सिगरा थाना क्षेत्र के तुलसीपुर का है जो नगर निगम पुलिस चैकी के तहत आता है । इस क्षेत्र के आराजी नम्बर 197 और 183@10 लगभग रकबा 12 बिस्वा के क्षेत्रफल पर पूर्वजों के समय से कब्जा दखल मनोज कुमार यादव और अंकुर कुमार यादव का है । उसी 12 बिस्वा जमींन पर किरायेदारी अनुबंध के तहत मनोज कुमार यादव के पूर्वजों ने एक अस्पताल निर्मित करवाया जिसका संचालन उत्तर प्रदेश राज्य सरकार द्वारा किया जा रहा है।
मनोज का आरोप है कि पुलिस की मिली भगत से उन्हें इस जमींन से बेदखल करने की कोशिश की जा रही है। पराड़कर भवन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए मनोज ने बताया कि वह आराजी मूलतः अनिल कुमार कृष्ण की थी जिन्होंने वर्ष 1968 में बसंत थियोसाफिकल स्कूल को बयनामा किया। मनोज ने बताया कि उस बयनामें में उनके पूर्वज सुखनन्दन का कब्जा दखल विक्रेता ने स्वीकार किया है । अंकुर यादव के अधिवक्ता ने बताया कि बयनामा के बाद 1998 में बसन्त थियोसाफिकल स्कूल ने एक सट्टा एक डेवलपर्स के साथ किया कब्जा के आधार पर वही डेवलेपर्स ने मनोज व अंकुर के पिता स्व.भोला यादव के साथ सट्टा कराया जिसमें 60 और 40 का एक रेसियों तैयार किया गया। इन सब मसौदे के 18 साल बाद उक्त डेवलपर्स ने भोला नाथ के सट्टे को निरस्त करने का प्रार्थना पत्र पेश किया और जुलाई 23 में वाद खारिज कर दिया गया।
इसके बाद भी 2005 में न्यायालय की ओर से इस पर क्रय विक्रय पर रोक लगा दी गयी। इन सब के बाद न्यायालय में पूरा मामला विचारधीन रखा गया है। अभी न्यायालय इस भूमि के किसी भी निर्णय पर नहीं पहुंचा लेकिन डेवलपर्स की ओर से पुलिस के साथ मिलकर काबिज लोगों को उक्त भूमि से बेदखल करने का दबाव बनाया जा रहा है। जो सरासर गलत है। प्रेसवार्ता के माध्यम से मनोज कुमार यादव व अंकुर यादव के अधिवक्ता ने बताया कि जब तक मामला न्यायालय में विचाराधीन है पुलिस किसी भी तरह से हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। भूमि पर चार पीढ़ी से रह रहे लोगों ने कहा कि न्यायालय का जो भी निर्णय होगा उसे मान्य किया जायेगा। पुलिस के इस रवैये से पूरा परिवार दहशत में है।
इस संबंध में जब सिगरा थाना से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो थाने का सीयूजी नंबर बंद मिला। जैसे ही थाना प्रभारी से इस बाबत बातचीत होती है खबर को पुनः अपडेट किया जाएगा।




