गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार में मंत्री छगन भुजबल के मराठा आरक्षण पर दिए बयान ने महायुति गठबंधन के भीतर तनाव पैदा कर दिया है। शिवसेना के शिंदे गुट का प्रतिनिधित्व करने वाले सीएम एकनाथ शिंदे और पार्टी के अन्य सदस्यों ने एनसीपी नेता की आलोचना की है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, शिंदे ने इस मुद्दे पर सरकार के अडिग रुख पर जोर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार का उद्देश्य ओबीसी समुदाय के लिए निर्धारित आरक्षण का अतिक्रमण किए बिना मराठा समुदाय को आरक्षण देना है। मुख्यमंत्री ने ओबीसी या किसी अन्य समुदाय के भीतर संदेह पैदा करने या विभाजन पैदा करने के किसी भी प्रयास को हतोत्साहित किया।
शिंदे गुट के स्टेट एक्साइज मंत्री शंभुराजे देसाई ने भुजबल के बयान की कहीं अधिक तीखी आलोचना की थी। देसाई ने भुजबल के बयान को पूरी तरह गलत बताया और सनसनीखेज टिप्पणी करने की उनकी ‘प्रवृत्ति’ की आलोचना की। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि एक बार जब मुख्यमंत्री ने मुद्दे को संबोधित कर लिया है, तो स्थिति को बाधित करने का कोई प्रयास नहीं किया जाना चाहिए।
देसाई ने आगे कहा कि उनका इरादा सीएम और डिप्टी सीएम अजीत पवार दोनों के साथ चर्चा करने का है। चूंकि भुजबल पवार की पार्टी से हैं, इसलिए उन्होंने सुझाव दिया कि पवार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे बयान न दिए जाएं। देसाई ने साफ किया कि राज्य सरकार ने स्पष्ट रूप से केवल उन मराठों को कुनबी (ओबीसी) जाति प्रमाण पत्र देने का निर्णय लिया है जो उचित दस्तावेज के साथ अपने कुनबी वंश को प्रमाणित कर सकते हैं।
छत्रपति संभाजीनगर (भाषा)। महाराष्ट्र के नांदेड़ शहर में आरक्षण के मुद्दे पर मराठा समुदाय के 23 वर्षीय एक व्यक्ति ने कथित तौर पर जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस के अनुसार, मंगलवार को मार्लाक गांव का निवासी दाजिबा रामदास कदम किसी काम से शहर आया था और 11 नवंबर को जेंडा चौक क्षेत्र में उसने जहरीला पदार्थ खा लिया। उन्होंने कहा कि दाजिबा बेहोश हालत में मिला था और उसके रिश्तेदारों को इस बारे में सूचित किया गया। दूसरी तरफ, उसे अस्पताल ले जाया गया जहां इलाज के दौरान 12 नवंबर को उसकी मौत हो गई। अधिकारी ने बताया कि पुलिस को दाजिबा के पास से एक नोट मिला जिसमें लिखा था, “यह मेरे लिए सरकारी नौकरी का सवाल है। ‘एक मराठा, लाख मराठा’। उन्होंने कहा कि इस संबंध में भाग्यनगर थाने में दुर्घटनावश मौत का मामला दर्ज किया गया है।महाराष्ट्र में मराठाओं की आबादी 30 प्रतिशत से अधिक है और वे शिक्षा तथा सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग करते रहे हैं। मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने राज्य सरकार को 24 दिसंबर तक आरक्षण घोषित करने की नयी समयसीमा दी है।