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सुचारू हुई बिजली तो लड़कियां पढ़ने लगीं और सुगम हो गया ग्रामीणों का जीवन

लूणकरणसर (राजस्थान)। विज्ञान ने मनुष्य को अनेक सुविधाएँ दिए हैं, जिसमें बिजली प्रमुख है। ऊर्जा के इस शक्तिशाली स्रोत ने इंसानी सभ्यता में क्रांति ला दी है। इसकी वजह से विकास के अनेक द्वार खुल गए। मनुष्य के जीवन का ऐसा कोई क्षण नहीं, जिससे बिजली की खोज से लाभ न हुआ हो। चाहे शिक्षा […]

लूणकरणसर (राजस्थान)। विज्ञान ने मनुष्य को अनेक सुविधाएँ दिए हैं, जिसमें बिजली प्रमुख है। ऊर्जा के इस शक्तिशाली स्रोत ने इंसानी सभ्यता में क्रांति ला दी है। इसकी वजह से विकास के अनेक द्वार खुल गए। मनुष्य के जीवन का ऐसा कोई क्षण नहीं, जिससे बिजली की खोज से लाभ न हुआ हो। चाहे शिक्षा के क्षेत्र की बात करें या स्वास्थ्य के क्षेत्र की, हर जगह बिजली के कारण इंसान को लाभ ही पहुंचा है। आज़ादी के बाद से ही सभी सरकारों ने इसकी ज़रूरत को महसूस करते हुए इस दिशा में विशेष प्रगति की है। कोयले और पनबिजली के माध्यम से भारत ने ऊर्जा की ज़रूरतों को पूरा किया है। कोयले पर निर्भरता को कम करते हुए भारत अब यूरेनियम और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बनता जा रहा है। बिजनेस स्टैंडर्ड में प्रकाशित एक खबर के अनुसार, अमेरिकी ऊर्जा मंत्रालय की लॉरेंस बर्कले नेशनल लेबोरेटरी ने अपने एक अध्ययन में दावा किया है कि भारत अपनी आज़ादी के 100वीं वर्षगांठ यानी 2047 तक ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल कर लेगा।

ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का सबसे अधिक लाभ आम नागरिकों को मिलने लगा है। देश की राजधानी दिल्ली की सरकार ने जहां 200 यूनिट फ्री बिजली कर रखी है, वहीं राजस्थान सरकार भी जनता को 100 यूनिट बिजली फ्री घोषित कर चुकी है। इसका सबसे अधिक लाभ राजस्थान के दूर-दराज़ ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को मिलने लगा है। राज्य के बीकानेर जिला स्थित लूणकरणसर ब्लॉक के विभिन्न पंचायतों के सैकड़ों गांव अब रात में रौशन रहने लगे हैं। गांव-गांव तक बिजली की पहुंच होने से ग्रामीणों का जीवन सुगम हो गया है। लूणकरणसर ब्लॉक से 40 किमी दूर मकरासर ग्राम पंचायत स्थित बिंझरवाड़ी गांव और लूणकरणसर ग्राम पंचायत स्थित ढाणी भोपालाराम गांव के लोगों का जीवन बदल चुका है। हालांकि, यह दोनों गांव एक-दूसरे से करीब 45 किमी दूर हैं, लेकिन दोनों गांवों में खुशियों की कहानी एक जैसी है। दोनों ही गांव के लोग बिजली आने और 100 यूनिट बिजली के फ्री होने से काफी खुश हैं।

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इस संबंध में ढाणी भोपालाराम गांव के 72 वर्षीय बालू राम का कहना है कि बिजली के आने और फ्री यूनिट ने गांव की तकदीर ही बदल दी है। गांव में पूरे समय बिजली रहती है। इसका सबसे अधिक लाभ महिलाओं को हो रहा है। बिजली के रहने से पानी की समस्या दूर हो गई है। अब उन्हें पानी लाने के लिए मीलों नहीं जाना पड़ता है। घर में लगे पानी के मोटर से समस्या ख़त्म हो गई है। हालांकि, गांव की सड़कों पर स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था नहीं होने से रात में बहुत से हादसे होते रहते हैं, जिसे जल्द दूर करने की ज़रूरत है। वहीं, गांव की एक किशोरी का कहना है कि ‘मैं सिलाई का काम कर करती हूं। पहले अंधेरा हो जाने के बाद मुझे काम छोड़ देना पड़ता था, लेकिन अब हमारे गांव में हमेशा बिजली रहती है तो मैं अपना काम रात में भी आसानी से पूरा कर लेती हूं। गृहणी यशोदा का कहना है कि बिजली की लगातार आपूर्ति के कारण कई घरेलू समस्याओं का भी अंत हो गया है। बच्चे भी गर्मी में आसानी से सो जाते हैं।

बिजली के होने का लाभ केवल इंसानों को ही नहीं, बल्कि मवेशियों को भी होने लगा है। स्थानीय गौशाला संचालकों का कहना है कि बिजली आने पर गाय और पशुओं के लिए चारा आसानी से काटा जा सकता है। अब गौशाला में पंखे की व्यवस्था भी की जाती है, जिससे पशुओं को गर्मी से बचाया जा सकता है। उनका कहना है कि बिजली की बेहतर व्यवस्था का प्रभाव हमारे व्यापार पर भी दिखने लगा है। केवल व्यापार ही नहीं, बल्कि बिजली की सुचारु व्यवस्था के कारण किसानों को भी फायदा पहुंचने लगा है। बिजली के कारण समय से खेतों में सिंचाई की व्यवस्था होने लगी है। किसान अब आसानी से अपने खेतों में पानी पहुंचा सकते हैं।

बिजली की बेहतर व्यवस्था से लोगों के जीवन में न केवल दिन और रात का अंतर खत्म हो गया है, बल्कि उनके समय की भी बचत होने लगी है। गांव बिंझरवाड़ी की किशोरी अंजू मेघवाल कक्षा 12 की छात्रा हैं और पढ़-लिख कर अपना और अपने गांव की किस्मत बदलना चाहती हैं। उनका कहना है कि पहले की तुलना में उसके गांव में अब बिजली की कोई समस्या नहीं है। पहले मुश्किल से गांव में बिजली आती थी। अब दिन में सिर्फ 15 या 30 मिनट के लिए ही बिजली जाती है। वह कहती हैं कि हम गांव में बिजली आने पर बहुत खुश हैं। सरकार की ओर से 100 यूनिट मुफ्त बिजली ने हमारे जीवन को और भी अधिक सुखमय बना दिया है। इसकी वजह से अब हमारा बिल बहुत कम या ना के बराबर ही आता है। वहीं, कोमल का कहना है कि बिजली की निर्बाध आपूर्ति का सबसे अधिक लाभ किशोरियों को हो रहा है। अब हम देर रात तक अपनी पढ़ाई कर पाने में सक्षम हो गए हैं। पहले बिजली व्यवस्था की कमी के कारण अधिकतर अभिभावक लड़कों को शहर के हॉस्टलों में पढ़ने भेज दिया करते थे, लेकिन हम लड़कियों को ऐसी सुविधा नहीं मिलती थी, जिसका नकारात्मक प्रभाव हमारी शिक्षा पर पड़ता था।

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यह बदलाव केवल लूणकरणसर के गांवों में ही नहीं हुआ है, बल्कि राजस्थान के लगभग सभी गांवों में बिजली की बेहतर व्यवस्था ने परिवर्तन ला दिया है। दरअसल, इसने गांवों में विकास के द्वार खोल दिए हैं। इसकी वजह से जहां आम नागरिकों को लाभ मिल रहा है, वहीं इससे गांव में चलने वाले लघु उद्योगों को भी लाभ मिलेगा, जिससे पलायन की प्रक्रिया को रोका जा सकता है। जब गांव में ही बिजली और अन्य मूलभूत सुविधाएं मिलने लगेंगी तो न केवल कई प्रकार की समस्याओं का निदान संभव हो सकेगा, बल्कि गांव के विकास को भी रफ़्तार मिलेगी।

(सौजन्य : चरखा फीचर)

ज्योति बिश्नोई और अंजली मालखट लूणकरणसर (राजस्थान) में युवा समाजसेवी हैं।

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