गाजीपुर। जिला गाजीपुर पूर्वांचल की राजनीति के उस प्रवेशद्वार की तरह है, जहां से जातीय और धार्मिक विभाजन की त्रासदी दिखती है तो विकास का वह मॉडल भी दिखता है, जिसकी पूंछ पकड़कर राजनीतिक पार्टियां चुनावी नदी पार करने की फिराक में रहती हैं। फिलहाल, इस समय यह जिला समाजवादी पार्टी की राजनीति का ताकतवर केंद्र बना हुआ है। इसके पीछे बड़ी वजह पिछली विधानसभा चुनाव में सपा का वह गठबंधन भी था, जिसमें उसके साथ ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा को शामिल होना था। फिलहाल, अब यह गठबन्धन टूट चुका है। ओम प्रकाश राजभर अपने कुनबे के साथ भाजपा की गोद में बैठ चुके हैं। भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव में सपा के इस गढ़ को पूरी तरह से ध्वस्त करने का मंसूबा बनाती दिख रही है। गाजीपुर जहाँ अपनी ऐतिहासिक पहचान रखता है, तो वहीं अफीम इसकी व्यावसायिक पहचान है। भारतीय सेना में भी गाजीपुर ने अपना अविस्मरणीय योगदान दिया है। तमाम मुखर पहचान के बावजूद विकास और आर्थिक सुरक्षा के मसविदे पर आज भी गाजीपुर वह ऊंचाई नहीं हासिल कर सका है, जिसकी उसे जरूरत है या जिसका हकदार है। आज भी तमाम चुनौतियों से जूझते हुए इसी गाजीपुर के सैदपुर के ब्लाक प्रमुख हीरा सिंह यादव से उनके क्षेत्र की सचाई और राजनीतिक स्थिति जानने का हमने प्रयास किया।
हीरा सिंह यादव ने बताया कि, ‘हम जब ब्लाक प्रमुखी में आए तो देखा कि यहाँ पहले कोई जानता ही नहीं था कि ब्लाक प्रमुखी के मद से रोड बनती है, नाली बनती है और अन्य काम भी होते हैं। हमने सबको यह एहसास करवा दिया कि ब्लाक प्रमुख क्षेत्र पंचायत की एक ऐसी संस्था है, जो ग्राम सभा में पक्की सड़क बनवा सकती है, नाली बनवा सकती है। अपने ब्लाक में मैंने लगभग सभी गाँव में कुछ न कुछ काम करके दिखाया है। अपने आगामी कार्यकाल के बारे में वह बताते हैं कि, ‘पहले चरण में जहाँ विकास कार्य नहीं हो पाए हैं, वहाँ दुबारा प्रयास करूँगा। वहाँ सड़कें और नाली बनवाए जाएँगे, ताकि बाहर से कोई भी हमारे गाँव आए तो लगे कि इस ब्लाक में अच्छा काम हुआ है।
‘लोकसभा का चुनाव नजदीक है, ऐसे में पूर्वांचल पूरे प्रदेश को प्रवाभित करता है। पूर्वांचल में जाति की राजनीति बड़े पैमाने पर होती है, तो ऐसे में गाजीपुर की स्थिति और खासतौर पर, आपके ब्लाक की स्थिति कैसी दिख रही है…?’ यह पूछने पर हीरा सिंह यादव कहते हैं कि जातीय राजनीति में वैसे तो यह सपा का बाहुल्य क्षेत्र है, यादव बाहुल्य क्षेत्र है, मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है, सपा हमेशा जीतती आ रही है और आगे भी हमें ऐसा ही लगता है। यदि समाजवादी पार्टी द्वारा करवाए गए विकास कार्य को देखते हुए मतदान हुआ तो परिणाम पार्टी के पक्ष में और काफी शानदार होगा।
जैसा कि आप कह रहे हैं- सपा के लिए एक बेहतर माहौल दिख रहा है। यह क्षेत्र यादव-बहुल है और आपकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अभी P.D.A. यानी पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यक बना रहे हैं, जबकि जमीनी स्तर पर देखें तो बाकि पिछड़ी जातियां समाजवादी पार्टी के साथ ताकतवर अंदाज में नहीं दिख रही हैं, इसकी क्या वजह है? यह पूछने पर हीरा सिंह बताते हैं कि, ‘मैं खासतौर से सैदपुर विधानसभा और गाजीपुर जिले की बात कर रहा हूँ। इसको लोग यादव और मुस्लिम बहुल क्षेत्र मानते हैं, इसी वजह से पिछले चुनाव में सात सीट निकली थी। इस एवरेज से मैं कह रहा हूँ कि यहाँ सपा का वर्चस्व रहता है।
जब यह पूछा गया कि लोकसभा चुनाव में क्या माहौल रहेगा, क्या सपा गाजीपुर लोकसभा का चुनाव जीतने जा रही है? तब हीरा सिंह कहते हैं कि, ‘इसमें तो मैं कुछ कह नहीं सकता।
आप तो यहाँ के ताकतवर नेता माने जाते हैं, आपके ब्लाक में क्या स्थिति रहेगी? समाजवादी पार्टी आगे रहेगी या पीछे, आपका आकलन क्या कहता है?
इस बात पर वह बहुत आत्मविश्वास से कहते हैं कि ‘यह तो यादव-बहुल क्षेत्र है और हम बहुत ज्यादा आगे रहेंगे’। विश्वास की यह चमक उनके चेहरे पर भी दिखती है और बहुत पूरअसर अंदाज में इस बात का सबूत भी देती है कि पूर्वांचल की राजनीति पूरी तरह से जातीय खांचों में स्थापित हो चुकी है। जिस जातीय भागीदारी के अनुरूप कार्यक्षेत्र में भागीदारी की बात की जा रही है वह कहीं और असरकारक हो ना हो पर राजनीति व खासतौर पर उत्तर प्रदेश की राजनीति में यह पूरी तरह से लागू दिखती है। जातीय नेताविहीन जातियाँ ही चुनावी संघर्ष को रोमांचक बनाती हैं, शेष जातियाँ बिना किसी प्रयास के अपने क्षत्रप के झंडे के नीचे खड़ी दिखती हैं।
बात का सिरा हम वापस उनके कार्यक्षेत्र की ओर वापस लाते हैं और उनसे उनके क्षेत्र की जल समस्या के बारे में पूछते हैं, हीरा सिंह कहते हैं कि पानी की समस्या को दूर करने के लिए सरकार ने पेयजल की योजना चलाई है। हर गाँव में पानी टंकी लग रही है और हमें उम्मीद है कि एक-दो साल में क्षेत्र की सम्पूर्ण जनता शुद्ध पेय जल से जुड़ जाएगी।
एक बड़ी बात आती है शौचालय की। हम आपके क्षेत्र में कई जगह गए, लोग कह रहे थे कि शौचालय का पैसा आया है, लोगों को मिला भी है, बावजूद इसके शौचालय संचालित नहीं हो पा रहा है। कई जगह संचालित होने के कुछ ही दिनों में शौचालय बैठ जा रहा है? इस सवाल पर हीरा सिंह कहते हैं कि, ‘यह सत्य है। मैं आपको बताना चाहूँगा कि शौचालय कहीं 400 आए है तो कहीं 500, इसकी कोई गणना नहीं है। 40 बनाए 400 हो गए, 35 बनाए 350 हो गए। बड़े पैमाने पर इसकी जाँच होना चाहिए। कुछ लोगों के लिए शौचालय काली कमाई का जरिया बना हुआ है।’ क्या आपने कभी प्रयास किया कि अपके क्षेत्र में इसकी जाँच हो? इस पर हीरा सिंह यादव कहते हैं कि, ‘बिल्कुल प्रयास किया है और इसकी जाँच भी करवाई। 75 प्रतिशत सही मिला है और जो 25 प्रतिशत शौचालय नहीं बनवाए गए थे, उस पर सम्बंधित लोग दंडित किए गए तब जाकर बाकियों को बनवाना शुरू किया।
कहीं-कहीं सरकरी हैण्डपंप खराब पड़े हैं। लोग कहते हैं कि जबसे टंकी लगवाई जा रही है, गाँव में तबसे रिबोर का पैसा नही मिल रह है? इस बात पर वह कहते हैं कि ‘नहीं, झूठ बोल रहे हैं। रिबोर का पैसा मिल रहा है और टंकी भी मिल रही है।
क्या कभी जातीय अनुपात से भी यह करने का प्रयास किया गया कि हैण्डपंप हर जाति को समान रूप से मिल पाए? इस बावत वह कहते हैं कि, ‘देखिये हम तो यही सोचते हैं कि ‘सर्व समान’ सबके हित की बात होनी चाहिए, हर समाज में गरीब हैं, अमीर हैं और ऐसा नही है कि कोई ब्राह्मण है तो वह गरीब नहीं है, कोई ठाकुर है, तो वह गरीब नहीं है, कोई यादव है तो वह गरीब नहीं है, या कोई दलित है, वह अमीर नही है।अब पहले से व्यवस्था बदल चुकी है। इसलिए मैं कहना चाहूँगा कि जो आकलन किया जाए वह आर्थिक स्थिति को देखते हुए किया जाए। हर जाति को सरकारी सहायता आर्थिक स्थिति के अनुरूप मिलनी चाहिए, यह मेरी अपनी निजी राय है।
चलिए एक और निजी राय मैं आपकी जानना चाहूँगा कि जो नए युवा राजनीति में आ रहे हैं, उससे आप क्या कहना चाहेंगे? इस पर ब्लाक प्रमुख हीरा सिंह यादव कहते हैं कि, ‘इस समय शिक्षा जरूरी है। हम तो यह कहते हैं कि एक वक्त की रोटी न मिले, लेकिन शिक्षा आज के परिवेश में बहुत जरूरी है। शिक्षा के बाद सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है, उसको दूर करने के लिए प्रयास करना होगा। अच्छी शिक्षा के बाद व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में जाएगा तो एक अच्छे नागरिक के रूप में देश को आगे बढ़ाएगा।
स्वास्थ सुविधा पर हीरा सिंह यादव की सोच काफी जागरूक दिखती है, इस परिप्रेक्ष्य में हम उनसे यह जानने का प्रयास करते हैं कि सपा सरकार में चलाई गई एम्बुलेंस भाजपा सरकार ने खड़ी कर दी, जो तमाम सरकारी परिसर में खड़ी होकर सड़ रही हैं, जबकि यह एम्बुलेंस सरकारी पैसे यानी जनता के पैसे से खरीदी गई थी, उन्हें इस तरह बंद करना कितना ठीक है? इस प्रश्न की वस्तुस्थिति से शायद वह पूरी तरह से वाकिफ नहीं थे, इसलिए कहते हैं कि अगर ऐसा है तो ठीक नहीं है, हो सकता है कि ये अधिकारियों की लापरवाही हो, इस बारे में किसी भी तरह के शासनादेश की जानकारी मुझे नहीं है।
स्वस्थ सुविधा का जब मामला आता है उसमें गाजीपुर की स्थिति बदहाल दिखती है। इस पर क्या सोचते हैं?
इस पर हीरा सिंह यादव कहते हैं कि यह तो गाजीपुर के C.M.O. साहब ही बता सकते हैं। हमने अपने क्षेत्र पंचायत से अपने स्वस्थ चिकित्सा सैदपुर को हेल्थ एटीएम दिया है।
हीरा सिंह यादव जमीनी स्तर पर अपने किए गए काम को ताकतवर तरीके से ना सिर्फ़ चिन्हित करते हैं, बल्कि उसकी जमीनी तस्दीक भी करवाते हैं।
कुमार विजय गाँव के लोग डॉट कॉम के एसोसिएट एडिटर हैं।