Sunday, September 8, 2024
Sunday, September 8, 2024




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमविविध

विविध

उत्तराखंड : बिजली कटौती के कारण ग्रामीणों का दैनिक जीवन हो रहा प्रभावित

देश में कोयला का बेतहाशा खनन और उपयोग बिजली बनाने के लिए किया जा रहा है। आज भी देश के कई ऐसे ग्रामीण क्षेत्र ऐसे हैं जहां लोगों को या तो आज भी बिजली की सुविधा उपलब्ध नहीं है या फिर नाममात्र की बिजली सप्लाई मिलती है। सरकार का दावा कि बिजली का सरप्लस उत्पादन हो रहा है, झूठा साबित होता दिखता है।

राजस्थान : सरकारी योजनाओं के अभाव में मेहनत मजदूरी को मजबूर ग्रामीण

सरकार गरीबों केलिए अनेक योजनाएं लागू करती है लेकिन शिक्षा के अभाव में ये लोग योजना का फायदा कैसे और कब उठाना, मालूम नहीं कर पाते है। यदि किसी योजना की जानकारी मिलती भी है तो उसे पाने के लिए जानकार लोगों के पास भटकते रहते हैं। इस वजह से मजदूरी करना इनकी मजबूरी हो जाती है।

उत्तराखंड : जंगलों में लगने वाली आग और पानी की कमी बनी ग्रामीणों के चिंता का कारण

एक तरफ जंगलों को काटकर खत्म किया जा अरहा है, वहीं दूसरी तरफ जंगलों में आग लगने से खाक हो रहे हैं। धरती के पारिस्थिकीय तंत्र के लिए यह बहुत ही चिंताजनक है।

राजस्थान : सरकारी योजनाओं से वंचित ग्रामीणों के लिए आज भी शिक्षा और रोजगार एक चुनौती

हमारे देश में सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के विकास को ध्यान में रखते हुए कई लाभकारी योजनाएं संचालित करती है, इनमें रोज़गार से जुड़ी कई योजनाएं भी होती हैं। लेकिन अक्सर यह देखा जाता है कि ग्रामीण इन कल्याणकारी योजनाओं का बहुत अधिक लाभ नहीं उठा पाते हैं। इसका एक कारण जहां संबंधित विभाग द्वारा जमीनी स्तर पर इन योजनाओं के प्रचार-प्रसार में कुछ कमी का रह जाना होता है, तो वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों का इस संबंध में पूर्ण रूप से जागरूक नहीं होना भी एक बड़ा कारण होता है।

उत्तराखण्ड : सरकार का नशा मुक्ति अभियान तभी सफल होगा, जब नशे की चीजों पर बिकने से रोक लगे

पढ़ने -लिखने की उम्र में आज बच्चे और युवा नशे की आदत के शिकार हो रहे हैं। यह अच्छा संकेत नहीं है। खासकर गांव में नशे का बढ़ता चलन बढ़ गया है। पूरे देश में डेढ़ करोड़ बच्चे नशे का सेवन करते हैं। इसमें से कुछ नशा तो ऐसा है जो सर्व सुलभ नहीं है। सरकार नशा मुक्ति अभियान तो चलाती है लेकिन शराब और नशे की अन्य चीजों पर रोक नहीं लगाती क्योंकि यह अच्छे राजस्व मिलने का साधन होते हैं, सवाल यह है कि ऐसे में नशा मुक्ति अभियान कितना सफल हो पाएगा?

राजस्थान : जर्जर सड़कों के कारण जीवन की हर जरूरत समय पर पूरी नहीं हो रही है

किसी भी शहर और गाँव के विकास का पहला मापदंड होता है, वहाँ की सड़कें। यदि सड़कें जर्जर है तो यही बात सुनाई देती है कि वहाँ कोई विकास नहीं हुआ है क्योंकि एक बेहतर सड़क से विकास के सारे रास्ते खुलते हैं। जीवन आसान होता है।

बिहार : पलायन से बचने के लिए ग्रामीण मजदूरों को कब मिलेगा अपने गाँव में रोज़गार

भारत जैसे विकासशील देश के ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। जिसके कारण परिवार के पुरुष रोजगार की तलाश में शहरी क्षेत्रों में पलायन को मजबूर हैं। वर्ष 2024-2025 के बजट में केंद्र सरकार ने मनरेगा समेत रोजगार के कई क्षेत्रों में बजट आवंटन को बढ़ाया है। लेकिन इसके बाद भी सरकार को चाहिए कि गाँव में ही रोजगार के ऐसे संसाधन उपलब्ध कराये ताकि उन्हें शहर जाने की जरूरत ही न पड़े।

Mirzapur का प्रसिद्ध ओझला पुल गंदगी और नशेड़ियों का अड्डा बना

विंध्य की पहाड़ियों की गोद में बसा मिर्जापुर अपने में कई गौरवशाली इतिहास संजोए हुए है। उन्हीं ऐतिहासिक कहानियों में एक है विंध्याचल के रास्ते में बने ओझला पुल की। कहा जाता है कि रास्ता न होने के चलते कॉटन के व्यापारियों ने अपने एकदिन की कमाई से इस पुल का निर्माण कराया था। लेकिन आज यह पुल जर्जर हो गया है।

राजस्थान : किसानों के पशुपालन में होने वाले नुकसान को देखते हुए सरकार ने बजट में अनेक योजनाएँ लागू की

एक समय था किसान की आजीविका का मुख्य साधन खेती के साथ पशुपालन था लेकिन आज किसान पशुपालन से बचना चाहते हैं क्योंकि किसान को यहाँ लगातार नुकसान हो रहा है लेकिन राजस्थान सरकार ने अपने बजट में पशुपालन में बीमा जैसी महत्त्वपूर्ण योजना शुरू कर किसानों को इस काम में आगे आने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।

सरकार द्वारा चलाई गई योजनाओं का दिव्यांगों को नहीं मिल रहा लाभ

सरकार ने कई कल्याणकारी योजनाओं के बजट में दिव्यांगों के लिए पिछले साल की तुलना में इस वर्ष वृद्धि की है। लेकिन जितना बजट घोषित किया है, वह पर्याप्त नहीं है। जबकि इस वर्ग को सामान्य लोगों की अपेक्षा ज्यादा सहायता की जरूरत होती है। सरकार को चाहिए कि ऐसी योजनाएँ लागू करें जिससे यह आत्मनिर्भर हो अपना जीवन बिता सकें।

राजस्थान : रोजगार के अभाव में भटक रहे हैं ग्रामीण, नहीं मिल रहा मनरेगा में काम

गांव में मनरेगा के अतिरिक्त रोजगार का कोई अन्य विकल्प नहीं है, इसलिए जब लोगों को मनरेगा के अंतर्गत काम नहीं मिलता है तो वह या तो मजदूरी करने शहर जाते हैं अथवा गांव से पलायन कर महानगरों या औद्योगिक शहरों की ओर चले जाते हैं। वर्ष 2024-25 के बजट में मनरेगा समेत रोजगार के कई क्षेत्रों में बजट आवंटन को बढ़ाया गया है। देखना यह होगा कि आने वाल समय में मनरेगा मजदूरों को काम मिलने के बाद समय पर उचित भुगतान मिलेगा या नहीं?