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देश में फैलाया जा रहा सांप्रदायिक जहर आने वाली पीढ़ियों को बर्बाद कर देगा – राम पुनियानी

इतिहासकार प्रो. राम पुनियानी ने छत्तीसगढ़ के सामाजिक संगठनों द्वारा आयोजित 'साम्प्रदायिक सद्भाव की विरासत और देश की वर्तमान परिस्थितियाँ'  विषय पर आयोजित व्याख्यान व सम्मान समारोह में शामिल हुए। पुनियानी जी साहस के साथ सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ बोल और लिख रहे हैं। इनके लेख आरएसएस द्वारा अल्पसंख्यकों के खिलाफ फैलाई जा रही नफरती ताकतों और इतिहास बदलने की कार्यवाही पर केंद्रित होते हैं। रायपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में भी उन्होंने अपना वक्तव्य इसी बिन्दु को ध्यान में रखते हुए दिया।

इतिहासकार प्रो. राम पुनियानी ने छत्तीसगढ़ के सामाजिक संगठनों द्वारा आयोजित ‘साम्प्रदायिक सद्भाव की विरासत और देश की वर्तमान परिस्थितियाँ’  विषय पर आयोजित व्याख्यान व सम्मान समारोह में शामिल हुए। पुनियानी ने सरल भाषा में इतिहास के उदाहरणों के साथ बताया कि किस तरह अकबर का सेनापति मानसिंह हल्दी घाटी के मैदान में महाराणा प्रताप से जंग कर रहा था और दूसरी तरफ महाराणा प्रताप का सेनापति हकीम खां सूरी अकबर की सेना से लोहा ले रहा था। इसी तरह शिवाजी और औरंगजेब की सेना के साथ लड़ाई को हिंदू-मुस्लिम रंग दिया जाता है, जबकि सच्चाई यह है कि कई हिंदू राजा उस समय भी औरंगजेब के साथ थे और शिवाजी की सेना में मुस्लिम थे। शिवाजी का मुख्य तोपची इब्राहिम खान था, तो औरंगजेब की सेना की कमान राजा जय सिंह के हाथ में थी। इस तरह के कई उदाहरण इतिहास में मौजूद हैं।

उन्होंने कहा कि, ‘राजाओं की आपसी लड़ाई को आज हिंदू-मुस्लिम के रंग में रंगकर सांप्रदायिकता का वैमनस्य फैलाया जा रहा है, जबकि हिंदू राजा हो या मुस्लिम राजा दोनो की सेनाओं में हिंदू-मुसलमान दोनों होते थे। हिंदू और मुस्लिम राजाओं के बीच की लड़ाई राजाओं व राज्य को लेकर लड़ाई थी। कोई अच्छा या बुरा प्रशासक हो सकता है, लेकिन यह हिंदू-मुस्लिम की लड़ाई कतई नहीं थी।’

प्रो. पुनियानी की खासियत यह है कि बिना हड़ब़ड़ी किये, बिना चीखे-चिल्लाये श्रोताओं को इतिहास से रूबरू कराते, वर्तमान के प्रति सचेत करते हुए, बड़े सरल ढंग से बड़ी गहरी बातें करते हैं और श्रोता मुग्ध होकर देश-समाज के हालात पर चिंतित होने के साथ ही बीच-बीच में हंसते हुए, खुद को समृद्ध करते हुए, वार्ता में शामिल होते हैं।

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पुनियानी ने कहा कि सत्ता के लिए देश में घिनौना खेल खेला जा रहा है। भाई को भाई से लड़ाने का उपक्रम चल रहा है। सही इतिहास की जगह झूठा इतिहास रचा जा रहा है और प्रसारित किया जा रहा है। धर्म को सत्ता का हथियार बनाने वाले जानते हैं कि भ्रम जितना ज्यादा फैलेगा, उतना ज्यादा उनको फायदा है। लोग असली मुद्दों को छोड़कर मंदिर-मस्जिद की लड़ाई में जुटे हुए हैं।

उन्होंने आरएसएस के संविधान विरोधी कारनामों का उल्लेख करते हुए कहा कि सामाजिक संगठनों को नियमित रूप से समाज में जनचेतना जगाने का काम करना चाहिए। इतिहास को इतिहास के वास्तविक नजरिए से रखना चाहिए। जनता के बीच जाकर काम करने की जरूरत है। वोट की लड़ाई से ज्यादा महत्वपूर्ण सामाजिक लड़ाई है। समाज पर काम किये बिना सांप्रदायिक ताकतों से, जो कि इस देश की एकता के लिए बेहद खतरनाक है, पार नहीं पाया जा सकता।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में भूतपूर्व मंत्री सत्य नारायण शर्मा ने भी अपनी बात रखी और कहा कि आज जिस तरह से समाज को बांटा जा रहा है, उससे सावधान रहने की जरूरत है। कार्यक्रम की अध्यक्षता अखिल भारतीय शांति एवं एकजुटता संगठन के राज्य महासचिव अरुणकांत शुक्ला ने की। मंच संचालन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राकेश गुप्ता  व डॉ. अशोक शिरोडे ने किया। प्रारंभ में तुहिन देव ने आधार वक्तव्य दिया । एडवोकेट  लखन सिंह ने स्वागत भाषण दिया।

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कार्यक्रम के अंत में प्रश्नोत्तरी सत्र भी रखा गया था। इस सत्र में दर्शक दीर्घा से कई सवाल उठाये गये, जिनमें इतिहास को बदलने से लेकर वर्तमान सरकार के रवैये पर चिंता व्यक्त करते हुए सवाल उठाए गये। सभी प्रश्नों का जवाब प्रो.पुनियानी ने बड़ी सहजता के साथ दिया। उन्होंने वैज्ञानिक दृष्टिकोण की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए इसे अपनाने पर जोर दिया कि बिना वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखे कोई समाज जागरुक नहीं हो सकता।

सभी अतिथियों के स्वागत के साथ ही राम पुनियानी को उनके सतत सामाजिक कार्यों का उल्लेख करते हुए प्रशस्ति पत्र भेंटकर उनका सम्मान किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत इप्टा के कलाकार निसार अली व उनके साथियों द्वारा प्रस्तुत जनगीतों के साथ हुई। एप्सो,  इप्टा, प्रलेस, जसम, जलेस, सीटू, एटक, कसम, मुस्लिम इंटलेक्चुअल फोरम, इंडियन लॉयर्स एसोसिएशन, प्रगतिशील महिला संघर्ष समिति, बैंक एसोसिएशन,   बी.एस. एन. एल. कर्मचारी एसोसिएशन, क्रिश्चियन व मुस्लिम तथा सिक्ख समुदाय द्वारा देश की सांझी शहादत एवम सांझी विरासत बनाये रखने के लिए मुख्य अतिथि  का  पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया गया। विभिन्न जनसंगठनों द्वारा  आयोजित इस कार्यक्रम में दर्शकों की उपस्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता था कि वृंदावन हॉल में अलग से कुर्सियां लगानी पड़ी। (प्रेस विज्ञप्ति)

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