Sunday, February 9, 2025
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राजस्थान : सरकार द्वारा खेती के लिए अनेक योजनाएं लागू करने के बाद भी कमी से जूझ रहे हैं किसान

किसानों के हितों में सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों के बावजूद ज़मीनी स्तर पर देखा जाये तो सूरतेहाल कुछ और ही नज़र आता है। देश के कई ऐसे राज्य हैं जहां अलग अलग भौगोलिक परिस्थितियों के कारण किसानों को कृषि कार्य में अलग तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। राजस्थान के बीकानेर जिला स्थित लूणकरणसर ब्लॉक ऐसा ही एक उदाहरण है। अपनी विशिष्ट भौगोलिक विशेषताओं और सीमित प्राकृतिक संसाधनों के कारण यहां कृषि संबंधी कार्यों में किसानों के लिए कई प्रकार की चुनौतियां हैं।

जेंडर समानता और स्वास्थ्य सुरक्षा पर मंडराता ट्रम्प की नीतियों का खतरा

डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका के 47वें राष्टपति पद की शपथ लेते ही विश्व स्वास्थ्य संगठन और अमरीकी सरकार द्वारा पोषित विश्व के अनेक देशों के स्वास्थ्य कार्यकमों पर आर्थिक रोक लगा दी, रोग नियंत्रण और रोग बचाव के लिए अमरीकी वैश्विक संस्था सीडीसी को विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ कार्य करने से प्रतिबंधित किया, और अनेक ऐसे कदम उठाये जिनका नकारात्मक प्रभाव वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा और जेंडर समानता पर पड़ा। इसके दूरगामी परिणामों का एक आकलन 

सावित्रीबाई फुले और फातिमा शेख : अभिन्न जीवन साझा सरोकार

हाल ही में, घृणित छल-कपट का एक आश्चर्यजनक प्रदर्शन करते हुए, दिलीप मंडल ने न केवल कम चर्चित, लेकिन बहुत महत्वपूर्ण मुस्लिम महिला, फातिमा शेख, जो सामाजिक समानता और लैंगिक न्याय के लिए प्रतिबद्ध थी, की यादों को मिटाने का न केवल बीड़ा उठाया है, बल्कि वास्तव में उसके अस्तित्व को ही नकार दिया है। उन्होंने यह बेतुका दावा किया है कि फातिमा शेख उनकी अपनी कल्पना की उपज है, जिसे उन दिनों धर्मनिरपेक्षता के महत्व को बढ़ावा देने के लिए गढ़ा गया था, जब वे खुद एक प्रतिबद्ध धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति थे!

राजस्थान : आदर्श गांव के लिए बुनियादी सुविधाएं होना जरूरी है

एक गांव वह है जहां लोगों को जीवन की बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हों, वे आत्मनिर्भर हों, परस्पर प्रेम और सम्मान रखें और अपने संसाधनों का उचित उपयोग करें, उसे एक आदर्श गाँव कहा जा सकता है। राजस्थान के धुवालिया नाड़ा एक ऐसा ही गाँव है, जहां जीवन की सभी आधारभूत सुविधायीं उपलब्ध है।

राजस्थान : भौगोलिक परिस्थिति में बदलाव के चलते कृषि संकट से जूझ रहें हैं किसान

रेगिस्तानी क्षेत्र होने के कारण पहले से ही पानी की सीमित मात्रा का सामना कर रहे इन किसानों के सामने अप्रत्याशित बारिश समस्या बनती जा रही है।  लगातार बदलते पर्यावरण के कारण मानसून की बारिश असमय होने लगी है, जिसका सीधा असर खेती पर पड़ रहा है। सिंचाई की जरूरत के समय वर्षा के न होने से सूखे की स्थिति बनती जा रही है।

अनूपपुर : सर्व सेवा संघ की राष्ट्रीय कार्य समिति की 91वीं बैठक

सर्व सेवा संघ इस आचरण के निषेध स्वरूप अपने 91वें अधिवेशन में कार्यसमिति के सदस्य 23 दिसंबर 2024 सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक उपवास रखेंगे।

छग : जनविरोधी पूंजीवादी राजनीति के खिलाफ वैकल्पिक वामपंथी राजनीति को स्थापित करेगी माकपा : डॉ. डोम

छत्तीसगढ़ के विश्रामपुर में शीर्षस्थ नेताओं ने राज्य सम्मेलन में फूटपरस्ती, विभाजन और साम्प्रदायिकता को पराजित करने के लिए व्यापक पैमाने पर एकता कैसे बनाई जाए, इसके लिए रणनीति तैयार करने के लिए यह आयोजन बुलाया गया है।

वाराणसी : एशियन ब्रिज इंडिया महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम का आयोजन

निर्भया दिवस की याद  बड़ागांव थाने में एक महत्वपूर्ण महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम आयोजित किया गया।

वाराणसी : सरकार गाँधीवादी, अम्बेडकरवादी, मार्क्सवादी व समाजवादी विचारों का दमन कर रही है – अनूप श्रमिक

 गांधी विरासत को बचाने के लिए प्रशासनिक दबाव के चलते सर्व सेवा संघ परिसर के सामने से स्थानांतरित होकर  शास्त्री घाट में चल रहे सत्याग्रह का आज 98 वां दिन है। 

चरखा ने मनाया अपना 30वां स्थापना दिवस : ग्रासरूट्स लीडर्स को सम्मानित किया गया

ग्रामीण क्षेत्रों में ज़मीनी स्तर पर बदलाव लाने वाले ग्रासरूट्स लीडर्स को सम्मानित कर चरखा ने अपना 30वां स्थापना दिवस मनाया। शनिवार को नई दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर एनेक्स में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में 'गूंज' के संस्थापक अंशु गुप्ता सहित बड़ी संख्या में विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता और आम नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई। इस अवसर पर चरखा संस्थापक संजॉय घोष सहित चरखा के विकास में प्रमुख भूमिका निभाने वाले इसके पूर्व अध्यक्ष स्व. शंकर घोष, स्व. तिलक मुखर्जी, पूर्व सीईओ स्व. मारिओ नोरहोना और पूर्व सचिव स्व. अनिल सिंह को श्रद्धांजलि के साथ हुई।

संभल मस्जिद : राष्ट्रवादी ताकतें हर मस्जिद को खोदकर इतिहास बदलने की मुहिम चला रही हैं

भारतीय राजनीति और न्यायपालिका ने एक भस्मासुर पैदा कर दिया है जो समाज में धार्मिक विभाजन को और गहरा बना रहा है। आज हमें क्या करना चाहिए? क्या हमें हर मस्जिद को खोदकर देखना चाहिए कि उसके नीचे क्या कोई मन्दिर है? या फिर हमें पंडित जवाहरलाल नेहरू के शब्दों में ‘आधुनिक मन्दिरों’ का निर्माण करना चाहिए। भाखड़ानंगल बाँध की नींव रखते हुए पंडित नेहरू ने वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थाओं, इस्पात कारखानों, बिजली घरों और बाँधों को आधुनिक मन्दिर बताया था. हम आधुनिक मन्दिरों का निर्माण करेंगे या मस्जिदों के नीचे मन्दिर ढूंढते रहेंगे, इस पर ही हमारे देश की नियति निर्भर करेगी।