Sunday, December 28, 2025
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दिल्ली में दो-दिवसीय युवा सोशलिस्ट सम्मेलन का आयोजन

समाजवादी आंदोलन के 90 साल पूरा होने के ऐतिहासिक मौके पर युवा सोशलिस्ट पहल के तत्वावधान में  दिल्ली में 31 अक्तूबर (आचार्य नरेंद्रदेव जयंती दिवस) से 1 नवंबर 2025 को दिल्ली में दो दिन के युवा सोशलिस्ट सम्मेलन का आयोजन किया गया है। सम्मेलन राजेंद्र भवन (गांधी शांति प्रतिष्ठान के सामने), दीनदयाल उपाध्याय मार्ग नई दिल्ली) में सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक होगा।

आरएसएस ने भारत की आजादी में हिस्सा लेते हुए कौन सी कुर्बानियाँ दीं

आरएसएस के सौ वर्ष पूरे होने पर मोदी ने अपने भाषण में कहा कि देश की आजादी के लिए बड़ी-बड़ी कुर्बानियां दीं और चिमूर जैसे कई स्थानों पर ब्रिटिश शासन का विरोध भी किया। उनके अनुसार राष्ट्र निर्माण में संघ का जबरदस्त योगदान है। लेकिन संघ का राष्ट्रवाद ‘अलग‘ था यह तब स्पष्ट हुआ जब पंडित नेहरू ने 26 जनवरी, 1930 को तिरंगा फहराने का आव्हान किया। हेडगेवार ने भी झंडा फहराने का आव्हान किया, किंतु भगवा झंडा फहराने का। हेडगेवार नमक सत्याग्रह में शामिल हुए थे क्योंकि उन्हें लगा कि यह जेल में बंद स्वतंत्रता सेनानियों को अपने संगठन की ओर आकर्षित करने का एक अच्छा अवसर है। इसलिए उन्होंने सरसंघचालक के पद से इस्तीफा दिया, जेल गए और जेल से रिहा होने के बाद दुबारा वही पद ग्रहण किया। इस दौरान उन्होंने अन्य लोगों को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के प्रति हतोत्साहित किया। एक संगठन के रूप में आरएसएस ने किसी भी ब्रिटिश विरोधी आंदोलन में भाग नहीं लिया।

राजस्थान : माहवारी के लिए सुविधा की सरकारी योजनाओं से वंचित हैं लड़कियां

माहवारी से जुड़ी चुनौतियाँ केवल व्यक्तिगत समस्या नहीं हैं बल्कि यह सीधे शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक समानता से जुड़ा मुद्दा है। जब लड़कियाँ पैड की कमी के कारण पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर होती हैं, तो यह केवल उनका नुकसान नहीं बल्कि पूरे समाज का नुकसान है। सरकार और समाज यदि मिलकर सुनिश्चित करें कि हर गाँव में पैड और स्वच्छता सुविधाएँ समय पर उपलब्ध हों, तो लाखों लड़कियों का जीवन आसान हो सकता है

‘अडानी भगाओ छत्तीसगढ़ बचाओ’ के नारे के साथ संयुक्त किसान मोर्चा ने मनाया कॉर्पोरेट विरोधी दिवस

किसान मोर्चा के नेताओं नेअपने विरोध प्रदर्शन में कहा कि छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार को अपनी कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों के विरोध में आम जनता और किसान समुदाय का तीखा विरोध झेलना पड़ेगा। संयुक्त किसान मोर्चा ने भाजपा की मजदूर-किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ पूरे प्रदेश में किसानों और आदिवासियों को लामबंद करने की योजना बनाते हुए आज कॉर्पोरेट विरोधी दिवस मनाया गया।

राजस्थान : केंद्र सरकार की उज्ज्वला योजना से भी नहीं हुई धुआँ मुक्त रसोई

2016 में केंद्र सरकार की शुरू की गई उज्ज्वला योजना के बड़े-बड़े होर्डिंग में लाभार्थियों के आँकड़े करोड़ों में दिखते हैं लेकिन जमीनी वास्तविकता कुछ और ही है। एक बार लोगों को सिलेंडर जरूर मिले लेकिन दुबारा गैस भरवाने के लिए पैसे न होने की वजह से चूल्हे पर ही खाना पकाने का काम गाँव की महिलाएं कर रही हैं। परिणाम आज भी इन्हें धुएं झेलते हुए खाना बनाना पड़ रहा है, जो इन महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

राजस्थान : पलायन रोकने के लिए गांव में ही रोज़गार के अवसर बढ़ाये जाएं

दुनिया में भारत एक तेजी से उभरती हुई अर्थ व्यवस्था है फिर भी यहां गांवों में बेरोजगारी का मुद्दा अहम बना हुआ है। जिसके पीछे गरीबी एवं अशिक्षा एक विशिष्ट कारण है, इसको बिना दूर किये बेरोजगारी को दूर नहीं किया जा सकता है। इसके लिए सरकार को आगे आना होगा साथ ही रोजगार के अवसर गाँव में उत्पन्न कर पलायन रोका जा सकता है।

राजस्थान : पानी की किल्लत का सबसे अधिक बोझ महिलाओं और किशोरियों पर

राजस्थान एक खास तरह की जलवायु वाला प्रदेश है। जो आज पानी की किल्लत झेल रहा है, कुएं-तालाब सूखे पड़े है। भूगर्भ जलस्तर नीचे चला गया। मवेशी पानी की कमी से मर रहे है । महिलाओ को हर परिस्थिति में रोज़मर्रा के काम के लिए दूर से पानी लाना पड़ता है।

राजस्थान : प्रशासनिक बेरुखी से युवा खिलाड़ियों का भविष्य अधर में

किसी भी खिलाड़ी से खेल की सुविधाओं के बारे में पूछा जाता है तो उनका जवाब नकारात्मक ही होता है क्योंकि खेल सुविधाओं का अभाव है। खिलाड़ियों को आगे बढ़ने के लिए लगातार संघर्ष करना पड़ता है। जबकि देश में एक अलग खेल मंत्रालय भी है, जिसका काम खिलाड़ियों के लिए संसाधन उपलब्ध करना है। डेढ़ अरब आबादी होने के बाद भी ओलिम्पिक, एशियाई या अन्य अंतर्राष्ट्रीय खेलों में कम पदक जीत पाने का एक कारण यह भी है।

राजस्थान : अनियमित मौसम और सिंचाई के अभाव में किसान भी बेरोजगार हो रहे हैं

तेजी से बढ़ती बेरोजगारी एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। अनियमित बारिश और अत्यधिक गर्मी के कारण कृषि पर निर्भर लोगों को भी भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। यही कारण है कि कृषि अब कई लोगों के लिए आजीविका का साधन नहीं रह गई है। आजीविका के अन्य साधनों के सीमित विकल्प ने रोज़गार के संकट को चुनौतीपूर्ण बना दिया है।

उत्तराखंड : सुरक्षा और सुविधाओं के अभाव में आंगनवाड़ी में बच्चों की संख्या कम हो रही है

देश के दूरदराज़ और सभी ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनबाड़ी केन्द्रों की स्थापना 3 से 5 वर्ष तक के नौनिहालों को आकर्षित करने के उद्देश्य से किया गया है, जहां बच्चों को पूर्व प्राथमिक शिक्षा के अतिरिक्त उनके पौष्टिक खानपान का विशेष  व्यवस्था की गई है। लेकिन सुरक्षा और देखरेख के अभाव में माएं निश्चिंत हो अपने बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्र भेजने से बच रही हैं क्योंकि आंगनवाड़ी केंद्र संचालन के लिए तय किए हुए मापदंड पूरा नहीं कर रहे हैं। सवाल यह उठता है कि दूरदराज और गांवों में रहने वाले 3 से 5 वर्ष के बच्चे फिर कहाँ जाए?

राजस्थान : दस्तावेजों की कमी के कारण महिलाओं को नहीं मिल पाती स्वास्थ्य सुविधाएँ

सभी को स्वास्थ्य सुविधाएं देने का दावा करने वाली सरकार की वास्तविकता यह है कि आज भी देश में लाखों महिलाएं और उनके पैदा हुए नवजात बच्चे टीकाकरण और उपचार के अभाव में अनेक बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। इसका मुख्य कारण दस्तावेज का न होना, जिसकी जरूरत सरकारी इलाज के दौरान पड़ती है।  ऐसे में सवाल यह उठता है कि सरकार द्वारा जो आँकड़ें जारी किए जा रहे है, उसमें कितनी सच्चाई होगी? 
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