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गोंडा का पहलवान – संकट में है सियासत, क्या बेदाग रह पाएंगे बाहुबली बृजभूषण शरण सिंह

उत्तर प्रदेश के बाहुबली -5 हैंड ग्रेनेड दागकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, एसपी पर पिस्टल तानकर राजनीति का सफर शुरू किया पर अभी महिला पहलवानों ने ताल ठोंककर जो चुनौती दी है उससे निकलना आसान नहीं होगा   अखाड़े में किसी मर्द पहलवान के वजूद में उसके लंगोट की बड़ी भूमिका होती है पर इस […]

उत्तर प्रदेश के बाहुबली -5

हैंड ग्रेनेड दागकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, एसपी पर पिस्टल तानकर राजनीति का सफर शुरू किया पर अभी महिला पहलवानों ने ताल ठोंककर जो चुनौती दी है उससे निकलना आसान नहीं होगा  

अखाड़े में किसी मर्द पहलवान के वजूद में उसके लंगोट की बड़ी भूमिका होती है पर इस समय उत्तर प्रदेश के बाहुबली सांसद जो पहलवान होने के साथ रेसलिंग फेडरेशन के अध्यक्ष भी हैं के लंगोट पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। देश के लिए मैडल जीतने वाली पहलवानों ने बड़े गंभीर तौर पर उनपर यौन शोषण के आरोप लगाकर उनकी बादशाहत और पहलवानी दोनों को कटघरे में खड़ा कर दिया है। उत्तर प्रदेश के बाहुबली सीरीज में आज आपको रूबरू करवा रहे हैं इसी पहलवान से जिनका नाम है बृजभूषण शरण सिंह। बृजभूषण शरण सिंह का साम्राज्य देखकर यह यकीन हो सकता है कि राजनीति और वह भी बाहुबल की राजनीति किसी दूसरे व्यवसाय से ज्यादा मुनाफे का धंधा है। इस एक धंधे में हाथ सध जाए तो किसी भी धंधे को मन मुताबिक संचालित किया जा सकता है।

राजनीति में रुतबे की अकड़ देखनी हो तो बृजभूषण शरण सिंह के सामने बड़े–बड़े बाहुबली पानी मांगते नजर आने लगते हैं। इनके काले-सफ़ेद कारनामों को महज तात्कालिक पहलवानों के मामले के आईने में देखने के बजाय आइए, हम इनकी पूरी राजनीतिक रसूख की झलक देखते हैं। झलक इसलिए कि इनका साम्राज्य इतना विशाल है कि उसे एक लेख में समेटा ही नहीं जा सकता बल्कि उसके लिए एक मुकम्मल किताब चाहिए।

[bs-quote quote=”अब तक जिस आदमी की ताकत के आगे पार्टी से लेकर विरोधी तक चुप रहते थे वह संकट में दिख रहा है। अपने पहलवानी  प्रेम के चलते यह कई टर्म से रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष हैं। राजनीति मे मजबूत मुकाम बनाने के बावजूद इनका अखाड़ा और दंगल प्रेम कभी कम नहीं हुआ। गोंडा में यह अपने खर्च पर जूनियर और राष्ट्रीय चैम्पियनशिप का आयोजन करते रहे हैं।” style=”style-2″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]

बृजभूषण शरण सिंह का जन्म 1957 में उत्तर प्रदेश के  गोंडा जिले में ही हुआ था। बचपन से पहलवानी का शौक था। पढ़ाई लिखाई साकेत विश्वविद्यालय और राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय से हुई। छात्र जीवन में ही राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई। साकेत विश्वविद्यालय में महामंत्री बने। इसी दौरान एक हैंड ग्रेनेड चलाने के मामले में पहली बार आपराधिक तौर पर नाम दर्ज हुआ और दबंग छवि भी बनी।  1987 में स्वतंत्र  राजनीतिक पारी के तौर पर इन्होंने उत्तर प्रदेश की गन्ना समिति के निदेशक का चुनाव लड़ा। इस चुनाव में ही इनके बाहुबल के असली प्रदर्शन का कांड हो गया। दरअसल वहाँ के एसपी साहब ने बृजभूषण शरण सिंह को थोड़ा हल्के में ले लिया था।  उन्होंने बृजभूषण शरण सिंह को अपने आफिस में तलब किया और नामांकन वापस लेने के लिए कहा। एसपी साहब को अंदाजा नहीं था कि बृजभूषण शरण सिंह किस मिट्टी के बने हुए हैं। बृजभूषण शरण सिंह ने एसपी साहब की कनपटी पर पिस्टल तान दी और 200 गालियां दी (यह 200 गालियां देने की बात आज भी बृजभूषण शरण सिंह बड़े गर्व से बताते हैं) और आराम से अपनी बाइक लेकर वापस चले गए। यह छोटी सी बात नहीं थी, किसी एसपी पर पिस्टल तानने के लिए छाती भले छोटी हो पर कलेजा बड़ा होना चाहिए। इस एक घटना के बाद तो जलवा कायम हो गया। इसी जलवे के दम पर गन्ना समिति का चुनाव भी जीत गए। 1988 में राम मंदिर आन्दोलन से प्रभावित होकर भाजपा से जुड़ गए। स्वजातीय लोगों को अब अपना एक असरदार नेता मिल गया था जिसे अपनी पावर दिखाने के लिए किसी पद का मोहताज नहीं होना था। इस हनक के पीछे जब पूरी बिरादरी खड़ी हो गई तो बिना ज्यादा वक्त गँवाए ही बृजभूषण शरण सिंह भाजपा उत्तर प्रदेश के फ्रंट लाइन राजनेताओं की लिस्ट में शामिल हो गए। मंदिर आंदोलन में भी बृजभूषण शरण सिंह पूरी मजबूती के साथ लग गए थे जिसकी वजह से आर एस एस में भी उनकी अच्छी पैठ हो गई। अब गोंडा के हिस्से में भी एक ऐसा दबंग आ चुका था जिसके साथ उसे अपनी पहचान कायम करनी थी।

1991 में इस दबंग छवि की छाँव की जरूरत भाजपा को संसदीय चुनाव में महसूस हुई तो पार्टी ने कांग्रेस के आनंद सिंह के खिलाफ मैदान में उतार दिया। अखाड़े के पहलावन को अब असली मैदान मिला था जिसमें अपनी ताकत और दांव-पेंच दोनों का प्रदर्शन करना था। इससे पहले वह दो चुनाव (एक गन्ना किसान समिति का और दूसरा एमएलसी का) हार चुके थे पर आपराधिक आभामंडल की बिसात में बाजी मार ली थी। 34 आपराधिक मामलों की जयमाल पहनकर जब संसदीय अखाड़े में भाजपा का झण्डा लेकर मैदान में उतरे तो उस मैदान के पुराने खिलाड़ियों को पराजित करने में कोई चूक नहीं करना चाहते थे।भाजपा ने इन्हें गोंडा का रॉबिनहुड बताने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी और अंततः 1,02, 984 भारी अंतर से चुनाव जीतकर बृजभूषण शरण सिंह सांसद बन गए।

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बाबरी मस्जिद के विध्वंसको में जो 40 नाम आरोपी बनाए गए उनमें लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह जैसे नेताओं के साथ एक नाम बृजभूषण शरण सिंह का भी शामिल था। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने खुद ही अपनी भूमिका के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा था कि ‘मैंने बाबरी मस्जिद गिराने के लिए गैंती, फरुहा जैसे हथियार एक निर्माणाधीन अपार्टमेंन्ट के स्टोर रूम से निकाल कर कारसेवकों तक पँहुचाया था। रात दस बजे तक वहाँ पर डटे रहे और कार सेवकों को मस्जिद ध्वस्त करने के लिए उत्साहित करते रहे। इस मामले में लंबे समय तक केस भी चला 2020 में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने इस मामले के सभी आरोपियों को बरी कर दिया। बाबरी मस्जिद टूटी जरूर थी पर किसी चिड़िया ने उसे अपनी चोंच से तोड़ा था या गिद्धों ने उसे अपने पंजे से जमींदोज किया था यह रहस्य आज तक सुलझा नहीं है। कुछ पहेलियाँ हमेशा अनुत्तरित रह जाती हैं।

सांसद रहते हुए ही इन पर अंडरवर्ल्ड और दाऊद से जुड़े होने के आरोप लगे, आतंकवादी गतिविधियों में नाम आने की वजह से टाडा के तहत तिहाड़ जेल भेज दिए गए। बृजभूषण शरण सिंह के रसूख की धमक और भाजपा में उनकी ताकत का अंदाजा लगाने का दो बड़ा अवसर उनके जेल में रहने के दौरान तब देखने को मिला जब जेल में रहते हुए उन्होंने 1996 के संसदीय चुनाव में अपनी जगह अपनी पत्नी को खड़ा करके आनंद सिंह के खिलाफ 80,000 से ज़्याद वोटों से चुनाव जितवा लिया और दूसरा आतंकी गतिविधियों में आरोपित होने के बावजूद उनके लिए अटल बिहारी की चिट्ठी 30 मई 1996 को जेल पँहुच गई। चिट्ठी में अटल बिहारी ने लिखा, ‘प्रिय ब्रजभूषण जी, सप्रेम नमस्कार। आपका समाचार मिला। नए सिरे से जमानत का प्रयत्न  करना होगा। अच्छे दिन नहीं रहे तो बुरे दिन तो निश्चय ही नहीं रहेंगे। आजन्म कैद की सजा काटने वाले सावरकर जी का स्मरण करें। पढ़ें, संगीत सुनें। खुश रहें। मै शीघ्र ही आऊँगा। हारिए न हिम्मत, बिसारिए न हरी को नाम। जाही विधि राखे राम, ताही विधि रहिए।

सस्नेह अटल बिहारी वाजपेयी।’ आरोप संगीन थे दाऊद को मदद पँहुचाने समेत उसके साथ काम करने की बातें थी पर बाद में सीबीआई ने सभी आरोपों से बरी कर दिया। अपराधी होना एक बात है और अपराध का साबित होना बिल्कुल दूसरी बात।

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1999 में वह वापस सांसद बने। 2004 में भाजपा के टिकट पर ही बलरामपुर से सांसद बने। इसके बाद मायावती जब मुख्यमंत्री के रूप में गोंडा का नाम बदल कर लोक नायक जय प्रकाश नगर करने की बात कही तो  बृजभूषण शरण ने उनका विरोध कर दिया और अटल बिहारी बाजपेयी से कहकर इस पर रोक भी लगा दी। इस बात को लेकर संघ से भी बृजभूषण शरण का गहरा मनमुटाव हो गया चूंकि यह प्रस्ताव संघ का ही था। इस मनमुटाव की वजह से उन्होंने भाजपा छोड़कर 2008 में समाजवादी की सायकिल की सवारी कर ली और 2009 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर  कैसरगंज सीट से चुनाव लड़े और जीतने में भी कामयाब हुए। 2014 में सपा से इस्तीफा देकर वापस भाजपा में शामिल हो गए। तब से लगातार दो संसदीय चुनाव भाजपा के टिकट पर जीत चुके हैं। इसके बाद तो तो बृजभूषण शरण सिंह की हनक आम आदमी के आकलन से ऊपर चला गया। अब आप अंदाज लगाइए कि एक इंटरव्यू के दौरान वह खुद ही कहते हैं कि ‘मैंने अपने पूरे जीवन में एक हत्या की है, लोग चाहे कुछ भी कहें, पर जिस आदमी ने रवींद्र को मारा था उस आदमी की पीठ पर रायफल से मैंने गोली मारी थी’ मीडिया के सामने बेधड़क एक हत्या की बात स्वीकार करने की हिमाकत अगर कोई कर सकता है तो सिर्फ बृजभूषण शरण सिंह हैं। जिस आपराध के स्वीकार के बाद कोई दूसरा आदमी जेल पँहुच चुका होता उसी बात को 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले बोलने के बाद भी वह भाजपा के सांसद के रूप में देश के बाहुबल की गरिमा बढ़ा रहे हैं।

साम्राज्य और अपराध की फेहरिस्त बहुत बड़ी है। शिक्षा और रियल स्टेट के कारोबार में बहुत बड़ा नाम बना चुके हैं। निजी तौर पर दो-दो हेलीकाप्टर रखते हैं।घुड़सवारी का भी खास शौक है। इनके अस्तबल में कई अच्छी नस्ल के घोड़े हैं जिन्हें इनका भरपूर प्यार मिलता है। लग्जरी गाड़ियों का बड़ा बेड़ा है। राजनीतिक और आपराधिक दुनिया में अब तक कोई लगाम लगा नहीं पाया है पर इनके बेहतर पिता होने पर जरूर इनके ही बड़े बेटे ने आरोप लगाते हुए खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी।

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बलरामपुर में थारू जनजाति के बीच दो दिन

फिलहाल अब तक जिस आदमी की ताकत के आगे पार्टी से लेकर विरोधी तक चुप रहते थे वह संकट में दिख रहा है। अपने पहलवानी  प्रेम के चलते यह कई टर्म से रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष हैं। राजनीति मे मजबूत मुकाम बनाने के बावजूद इनका अखाड़ा और दंगल प्रेम कभी कम नहीं हुआ। गोंडा में यह अपने खर्च पर जूनियर और राष्ट्रीय चैम्पियनशिप का आयोजन करते रहे हैं। फिलहाल एशियन गेम्स और राष्ट्रमण्डल खेलों में भारत को कई पदक दिलाने वाली महिला कुश्ती खिलाड़ी विनेश फोगाट ने कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर कई लड़कियों पर यौन उतपीड़न का आरोप लगाकर पहली बार गंभीर संकट में डाल दिया है। विनेश का कहना है कि, ‘भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रेसीडेंट ने कई लड़कियों का यौन उत्पीड़न किया है वे हमारी निजी जिंदगी में दखल देते हैं। वे हमारा शोषण कर रहे हैं। एक ऐसा दौर भी आया कि जब इतना मेंटल टार्चर हुआ कि मैं खुदकुशी करने की सोचने लगी थी।’  पर इस गंभीर आपराधिक आरोप के बाद न तो उन्हें गिरफ्तार किया गया है न ही भाजपा ने उनसे इस्तीफा मांगा है। इस बात को लेकर महिला पहलवान अपने समर्थक खिलाड़ियों के साथ दिल्ली के जंतर-मंतर में पर धरने पर बैठी हैं। खिलाड़ियों के समर्थन में विपक्ष के तमाम नेता भी भाजपा और बृजभूषण शरण सिंह पर सवाल उठा रहे हैं। कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद फिलहाल इस मामले की एफआईआर दर्ज हो चुकी है। खिलाड़ियों के आरोप पर भाजपा सरकार भले ही गंभीर ना हो पर United World Wrestling (UWW) ने एशियाई चैम्पियनशिप की मेजबानी दिल्ली से लेकर कजाखिस्तान को दे दी है।

कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पर जिस तरह से लड़कियों और कुछ नाबालिग लड़कियों ने आरोप लगाया है अगर वह सच साबित हुआ तो पहलवान अपने ही अखाड़े में अपनी ढीली लंगोट की वजह से हारता नजर आएगा। पर बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कुछ भी साबित कर पाना आसान नहीं होगा। उनकी जगह कोई और होता तो अब तक जेल पँहुच जाता पर इस बाहुबली के मामले में मामला अलग है क्योंकि वह भाजपा का सिर्फ बाहुबली चेहरा ही नहीं है बल्कि कट्टर हिन्दुत्व का बाहुबली नगीना भी है। इस नगीने के चरित्र में धब्बा लगेगा तो उसके छीटें भाजपा पर भी जरूर पड़ेंगे। इसलिए भाजपा उन लड़कियों के हित के खिलाफ जाकर भी अपने सांसद को बेदाग बताने की पूरी कोशिश जरूर करेगी।

कुमार विजय गाँव के लोग डॉट कॉम के मुख्य संवाददाता हैं।

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