वाराणसी। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी यानी एनआईए की टीम ने आज देश के लगभग 122 ठिकानों और और उत्तर प्रदेश के लगभग 8 जिलों में भारी पुलिस फोर्स के साथ छापेमारी की कार्यवाही की है। एनआईए की तरफ से इस कार्यवाही को लेकर सोशल मीडिया पर खबर दी गई है पर छापेमारी की वजह नहीं बताई गई है। ज्ञात सूत्रों के आधार पर यह कार्यवाही टेरर फंडिंग को लेकर की जा रही है। इस कार्यवाही को लेकर उत्तर प्रदेश में जिन ठिकानों पर छापेमारी की गई है उसमें लगभग सभी सामाजिक राजनीतिक सेंटर हैं।
एनआईए ने बनारस और प्रयागराज में कई जगह पर छापा मारकर मानवाधिकार कार्यकर्त्ताओं को बिना कारण बाताए उठा लिया है। ज्ञात खबर के मुताबिक प्रयागराज में पीयूसीएल की राज्य सचिव (उत्तर प्रदेश) सीमा आज़ाद तथा मानवाधिकार कार्यकर्त्ता विश्वविजय, एडवोकेट सोनी आजाद, रितेश विद्यार्थी और सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता मनीष आज़ाद के घर पर भी एनआईए ने छापा मारा है। प्रयागराज के साथ वाराणसी और आजमगढ़ में भी एनआईए ने कई जगहों पर छापा मारा है।
भगत सिंह छात्र मोर्चा के बीएचयू दफ्तर में छापे की कार्यवाही करते हुये दफ्तर में मौजूद आकांक्षा आज़ाद का मोबाइल भी जब्त कर लिया गया है।
प्रयागराज में छापे के दौरान जो भी कार्यकर्ता घर या दफ्तर में मिले हैं उन्हें एनआईए अपने साथ ले गई है। अब तक उठाए गए लोगों में सीमा आज़ाद, विश्वविजय, सोनी आज़ाद, रितेश विद्यार्थी को उठाए जाने की जानकारी प्राप्त हुई है।
खिरियाबाग, आजमगढ़ आंदोलन व संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता राजेश चौहान के देवरिया जिले में स्थित घर पर भी एनआईए की टीम द्वारा छापा मारे जाने की सूचना मिली है। राजेश चौहान जहां मानवाधिकार कार्यकर्ता के रूप में आजमगढ़ के खिरियाबाग आंदोलन से जुड़े हुये हैं वहीं उनके पिता डॉ.रामनाथ चौहान जनवादी क्रांतिदल के राष्ट्रीय महासचिव हैं। इस समय वह समाजवादी पार्टी के साथ सक्रिय हैं। स्थानीय लोगों का कहना है की घोसी के उपचुनाव में भाजपा के खिलाफ सपा के लिए चुनाव प्रचार करने की वजह से यह सब हो रहा है।
एनआईए की टीम ने पूरे देश में इतने ठिकानों पर एक साथ छापेमारी करके किसी बड़ी आशंका की उम्मीद पैदा कर दी है। राजेश चौहान के पिता डॉ. रामनाथ ने इस बात की आशंका भी जताई है कि सरकार पूरी तरह से आम आदमी की आवाज को कुचल देने पर अमादा है। जो लोग किसी भी वजह से सरकार की नीतियों का विरोध कर रहे हैं सरकार उन्हें कभी नक्सली तो कभी माओवादी बताकर उनका उत्पीड़न कर रही है। उन्हें इस बात का भी डर है कि उत्तर प्रदेश सरकार की पुलिस उनके बेटे को माओवादी कहकर एनकाउंटर कर सकती है।
प्रयागराज की मानवाधिकार कार्यकर्ता सीमा आजाद और उनके पति विश्वविजय पर पहले भी इस तरह की कार्यवाहियाँ की जा चुकी हैं और माओवाद से जुड़े होने के आरोप में उन्हें लंबे समय तक जेल में रखा जा चुका है। पेगासस फोन जासूसी मामले में भी सरकार द्वारा सीमा आजाद के फोन की जासूसी की बात सामने आई थी। सीमा आजाद सामाजिक कार्यकर्त्ता के साथ दस्तक पत्रिका की संपादक और लेखिका भी हैं उनकी लिखी कई किताबें विभिन्न प्रकाशनों से प्रकाशित हो चुकी हैं। सीमा आजाद और उनके पति पर छापेमारी कि वजह नक्सल फंडिंग बताई जा रही है। चार टीमें अलग-अलग जगहों पर छापेमारी कर रहीं हैं। शहर के शिवकुटी इलाके में सीमा के घर पर एनआईए की रेड हुई है। धूमनगंज इलाके से एक छात्र की गिरफ्तारी की खबर है। सत्येश विद्यार्थी नाम के युवक की गिरफ्तारी हुई है। सत्येश विद्यार्थी के भाई रितेश विद्यार्थी को भी कुछ दिन पहले नक्सली गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। रितेश और सत्येश विद्यार्थी से मिले इनपुट का हवाला देते हुये यह छापेमारी की जा रही है।
फिलहाल मानवाधिकार संगठनों से जुड़े कार्यकर्त्ता इसे सरकार की दमन की कार्यवाही बता रहे हैं। फिलहाल अभी तक इस बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई है की उठाए गए लोगों को एनआईए कहाँ लेकर गई है। इस तरह की बढ़ती घटनाओं को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता नाराज हैं। इसे सरकारी दमन और तानाशाही की कार्यवाही बता रहे हैं। उत्तर प्रदेश में एनआईए की टीम ने प्रयागराज, आजमगढ़, चंदौली और देवरिया सहित कुल आठ जिलों में छानबीन की कार्रवाई कर रही है।