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वाराणसी में नाविकों के लिए फिर आफत बनी बाढ़, गंगा का जलस्तर बढ़ने से लोग परेशान

वाराणसी। यहाँ नाविकों के लिए एक बार फिर बाढ़ आफत बनकर आई है। साथ ही घाट किनारे रहने वाले लोगों में भी दशहत बढ़ गई है। उन्हें रोजी-रोटी का संकट भी होने का भय है। यहाँ पानी का स्तर बढ़ने से सभी घाटों का सम्पर्क फिर टूट गया है। जिस कारण प्रशासन ने अलर्ट जारी […]

वाराणसी। यहाँ नाविकों के लिए एक बार फिर बाढ़ आफत बनकर आई है। साथ ही घाट किनारे रहने वाले लोगों में भी दशहत बढ़ गई है। उन्हें रोजी-रोटी का संकट भी होने का भय है। यहाँ पानी का स्तर बढ़ने से सभी घाटों का सम्पर्क फिर टूट गया है। जिस कारण प्रशासन ने अलर्ट जारी करते हुए लोगों की घाटों से दूरी बना दी है। बाढ़ के कारण बनारस आने वाले पर्यटकों को एक घाट से दूसरे घाट तक जाने में दिक्कत हो रही हैं, लोग गलियों का सहारा ले रहे हैं, जिससे नाविक परेशान हो रहे हैं। उन्होंने अपनी नावों को किनारे पर बांध दिया है। वहीं, जल पुलिस ने सतर्कता बढ़ा दी है। केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रति घंटा चार सेंटीमीटर की रफ्तार से जलस्तर बढ़ रहा है।

जानकारी के अनुसार, वाराणसी में गंगा का जलस्तर तीसरी बार उफान पर है। गंगा पुत्र कहे जाने वाले नाविक भी लगातार तीसरी बार जलस्तर बढ़ता देख हैरान और परेशान हैं। अनुमान है कि गंगा का जलस्तर इसी रफ्तार से बढ़ता रहा तो दिक्कतें और भी बढ़ सकती हैं।

गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण नाविकों के माथे पर भी चिंता की लकीरें हैं। दरअसल, नाव संचालन पर रोक के साथ उनकी रोजी-रोटी पर फिर से ब्रेक लग जाएगा। बता दें, हाल में ही गंगा का पानी कम होने के बाद पुलिस ने शर्तों के साथ गंगा में नाव संचालन की अनुमति नाविकों को दी थी। वाराणसी के अस्सी घाट पर नाव संचालन करने वाले नाविक राजू निषाद के अनुसार, जलस्तर बढ़ने के साथ नाविकों की आफत इसलिए बढ़ जाती है कि उन्हें लगातार नावों को घाट किनारे ठीक से बांधना होता है, ताकि बाढ़ में वह बह न जाए। इसके अलावा नाविक रात में नावों के पास ही रहकर इसकी निगहबानी करते हैं। रात में बार-बार उठना पड़ता है ताकि पानी का स्तर भी पता चलता रहे। कमाई तो बंद ही हो गई है।

सीढ़ियों पर हो रहा शवदाह

दूसरी तरफ, महाश्मसान यानी मणिकर्णिका घाट के दूसरे मंज़िल से लकड़ियां अब ऊपर की ओर शिफ्ट की जा रहीं हैं। सबसे निचली मंज़िल गंगा में डूब चुकी है। अनुमान जताया जा रहा है कि एक-दो दिन बाद तीसरी मंज़िल पर शवदाह किया जा सकता है। हालांकि, गंगा का जलस्तर बढ़ने से पहले भी यहाँ शवदाह होता रहा है। वहीं, नाविकों को नौका संचालन पर भी मनाही है। यही हाल हरिश्चंद्र घाट का भी है। यहाँ शवों को सीढ़ियों के पास जलाया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में बारिश से गंगा का जलस्तर लगाता तेजी से बढ़ा है। रविवार सुबह गंगा का जलस्तर 64 मीटर के करीब रिकॉर्ड किया गया। जलस्तर बढ़ने का सिलसिला जारी है। बीती शाम तक ही सभी घाटों की सीढ़ियां जलमग्न हो गई हैं और उनका आपसी संपर्क टूट गया।

गाँव के लोग
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