दिल्ली। नव दलित लेखक संघ (नदलेस), दिल्ली की आम सभा की बैठक शाहदरा स्थित संघाराम बुद्ध विहार में रखी गई। बैठक में नव दलित लेखक संघ के वार्षिक संकलन सोच -2 का लोकार्पण किया गया। डॉ. कुसुम वियोगी द्वारा संपादित सोच 2 का लोकार्पण भिक्षु बी. पी. थीरो ज्योति और भिक्षु बुद्धकीर्ति एवं नदलेस के गणमान्य पदाधिकारियों द्वारा संपन्न हुआ। तत्पश्चात नदलेस की तीसरी कार्यकारिणी का चुनाव हुआ जिसमें सर्वसम्मति से, पुष्पा विवेक को अध्यक्ष, हुमा खातून को सचिव और डॉ. गीता कृष्णांगी को सोच 3 के लिए संपादक के रूप में चुना गया। उपाध्यक्ष पद पर बंशीधर नाहरवाल, कोषाध्यक्ष के पद पर डॉ. अमित धर्मसिंह और अंकेक्षक के पद पर मदनलाल राज का चुनाव हुआ। सहसचिव के पद पर बृजपाल सहज, प्रचार सचिव के पद पर जोगेंद्र सिंह एवं संरक्षक के पद पर डॉ. कुसुम वियोगी और डॉ. रामनिवास का चयन किया गया। कार्यकारिणी के सदस्य के तौर पर डॉ. उषा सिंह, दिनेश आनंद, सलीमा, फूलसिंह कुस्तवार, ममता अंबेडकर, ज्ञानेंद्र कुमार, नीरज सौदाई, राष्ट्रपाल गौतम, राधेश्याम कांसोटिया, डॉ. बुद्धिराम बौद्ध और भूपेंद्र सिंह चुने गए। इनके अलावा डॉ. पूनम तुषामड और मामचंद सागर सहसंपादक पद सर्वसम्मति से चुने गए। तत्पश्चात, निवर्तमान अध्यक्ष डॉ. कुसुम वियोगी का माल्यार्पण कर आभार ज्ञापित किया गया और नव निर्वाचित अध्यक्ष पुष्पा विवेक का माल्यार्पण तथा पुष्प गुच्छ देकर स्वागत-सत्कार किया गया।
बैठक के आरंभ में डॉ. अमित धर्मसिंह ने नदलेस की गत वर्षीय संपूर्ण गतिविधियों और सम्पूर्ण आय-व्यय विवरण पर यथोचित प्रकाश डाला। सोच 2 के लोकार्पण के पश्चात, भिक्षु बी. पी. थीरो ज्योति ने कहा कि “सोच ही है जो सामाजिक बदलाव का कारण बनती है। डॉ आंबेडकर की वह सोच ही थी जिसने देश में इतना बड़ा सामाजिक बदलाव ला दिया कि आज हम सब सोचने लगे हैं। बुद्ध को भी बुद्ध उनकी सोच ने ही बनाया था इसलिए जरूरी है कि हम सबकी सोच अच्छी हो। अपने ही नहीं पूरे समाज के हित में हो। संपादक डॉ. कुसुम वियोगी ने कहा कि नदलेस सभी वरिष्ठों और कनिष्ठों को साथ लेकर चल रहा है। सोच 2 में भी सभी को यथायोग्य स्थान दिया गया है। सोच 2 को पूरे देश से भरपूर प्यार मिल रहा है, इसके लिए नदलेस और सोच 2 का पूरा संपादक मंडल सबका आभारी है।” डॉ. अमित धर्मसिंह ने कहा कि नदलेस इसलिए दूसरे संगठनों से अलग है कि इसकी दिशा लोक और जमीन से जुड़े लोगों की तरफ है। इसका कोई भी सदस्य इलीट वर्ग के नहीं बल्कि हाशिए के जनमनास के साथ खड़ा है। प्रति वर्ष सोच में भी किसी के बौद्धिक विलास नहीं बल्कि पीड़ित जनमानस की आवाज को ही दर्ज किया जाता है।पुष्पा विवेक ने कहा कि ‘मैं नदलेस से पहले भी सैकड़ों संगठनों से जुड़ी रहीं हूं लेकिन जो स्पेस और सम्मान मुझे नदलेस में मिला, वह मुझे तीन दशकों के सामाजिक और सांगठनिक सफर में कहीं नहीं मिला। नदलेस ने मुझे अध्यक्ष बनाकर जो विश्वास मुझ पर किया है उसके लिए मैं पूरे नदलेस परिवार की हृदय से आभारी हूं।” इसके अलावा हुमा खातून, मामचंद सागर, डॉ. पूनम तुषामड, जोगेंद्र सिंह, डॉ. गीता कृष्णांगी और बृजपाल सहज ने भी नदलेस और सोच 2 के प्रति सकारात्मक उद्गार प्रकट किए।