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मोरबी पुल हादसा के मुख्य आरोपी की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई स्थगित 

अहमदाबाद (भाषा)। गुजरात उच्च न्यायालय ने पिछले साल छठ पूजा के दौरान  मोरबी में हुए एक पुल हादसे के मुख्य आरोपी ओरेवा समूह के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई बुधवार को स्थगित कर दी। मच्छू नदी पर बना यह पुल ढहने की इस घटना में 135 लोगों की जान चली […]

अहमदाबाद (भाषा)। गुजरात उच्च न्यायालय ने पिछले साल छठ पूजा के दौरान  मोरबी में हुए एक पुल हादसे के मुख्य आरोपी ओरेवा समूह के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई बुधवार को स्थगित कर दी।

मच्छू नदी पर बना यह पुल ढहने की इस घटना में 135 लोगों की जान चली गई थी।

न्यायमूर्ति दिव्येश ए. जोशी की अदालत ने पटेल की अंतरिम जमानत याचिका की तत्काल सुनवाई का अधिवक्ता निरूपम नानावटी का अनुरोध ठुकरा दिया। ओरेवा समूह के प्रबंध निदेशक की ओर से पेश वकील नानावटी ने दलील दी थी कि उनके मुवक्किल की नियमित जमानत याचिका लंबित रहने तक अंतरिम जमानत दी जानी चाहिए।

अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए 27 अक्टूबर की तारीख निर्धारित की। उसी दिन पटेल की नियमित जमानत याचिका पर भी सुनवाई होगी। गुजरात के मोरबी शहर में मच्छू नदी पर बना ब्रिटिशकालीन झूला पुल पिछले साल 30 अक्टूबर को ढह गया था, जिससे 135 लोगों की मौत हो गई थी और 56 घायल हो गए थे।
पुल के रखरखाव और संचालन की जिम्मेदारी ओरेवा समूह पर थी। इस समूह का मुख्यालय राजकोट में स्थित है।

राज्य सरकार द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) ने त्रासदी पर अपनी रिपोर्ट में ओरेवा समूह की ओर से ‘गंभीर परिचालन और तकनीकी खामियों’ को उजागर किया था।

यह रिपोर्ट उच्च न्यायालय के समक्ष 10 अक्टूबर को दाखिल की गई। अदालत इस त्रासदी को लेकर स्वत: संज्ञान वाली जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है।

एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पुल का ढह जाना ‘‘सरकारी मानदंडों के अनुसार उचित प्रक्रिया का पालन करने में प्रशासनिक स्तर पर हुई चूक और पुल की मरम्मत तथा इसे जनता के लिए खोलने से पहले इसका परीक्षण करने में तकनीकी अक्षमता का परिणाम’’ था।

मामले में कुल 10 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें पटेल, उनकी फर्म के दो प्रबंधक और पुल की मरम्मत करने वाले दो उप-ठेकेदार, तीन सुरक्षा गार्ड और दो टिकट बुकिंग क्लर्क शामिल हैं।

इन सभी पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत गैर-इरादतन हत्या, मानव जीवन को खतरे में डालने वाला कार्य, अविवेकपूर्ण तरीके से या लापरवाही से कार्य करना आदि के आरोप लगाये गये हैं।

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