उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को उनके घरों में काम करने वाली घरेलू सहायिका, रसोइया और चालकों के बच्चों का कल्याण सुनिश्चित करने के लिए खुद से आगे आना चाहिए। यह कार्यक्रम यूनिसेफ और रोटरी इंटरनेशनल द्वारा आयोजित किया गया। यूनिसेफ की पश्चिम बंगाल इकाई के प्रमुख अमित मेहरोत्रा ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र एजेंसी और रोटरी इंटरनेशनल अकादमिक दबाव के कारण तनाव झेल रहे छात्रों को मनोवैज्ञानिक समर्थन मुहैया कराने के लिए साथ मिलकर काम करेंगे। मेहरोत्रा ने अभिभावकों से अकादमिक तनाव का सामना कर रहे बच्चों के प्रति अधिक सहानुभूति रखने और उन्हें मनोवैज्ञानिक समर्थन प्रदान करने का अनुरोध किया।
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— WBCPCR (@WBCPCR) November 25, 2023
उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने बाल विकास और महिला विकास और समाज कल्याण विभाग में उप-धारा (1) के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए पश्चिम बंगाल आयोग की स्थापना की। बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 की धारा 36 के तहत धारा (2) का उद्देश्य सभी प्रकार के दुर्व्यवहार और बाल अधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
कोलकाता (भाषा)। पश्चिम बंगाल बाल अधिकार संरक्षण आयोग (WBCPCR) की अध्यक्ष सुदेशना रॉय ने कोलकाता के विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों से उनके घरों में काम करने वाले मजदूरों के बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने का आग्रह किया है। यूनिसेफ ने एक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आप लोग इन मजदूरों के बच्चों को अपने घर में भी शिक्षा दे सकते हैं। ताकि इनको भी समाज में आगे बढ़ने और देश के लिए कुछ करने के प्रति हौसला बढ़ सके।