इकौना (श्रावस्ती)। जहाँ हमारी बात हो, वहाँ हमारा साथ हो। सशक्तीकरण के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों में बच्चों और किशोरों की सहभागिता सबसे ज्यादा जरूरी है। उक्त विचार यूनिसेफ की संचार विशेषज्ञ निपुण गुप्ता ने व्यक्त किए। मौका था बाल सहभागिता के कार्यक्रमों को सशक्त और प्रभावी बनाने में विभागीय अधिकारियों व हितधारकों से परामर्श एवं संवेदीकरण के लिए श्रावस्ती जिले की इकौना तहसील में आयोजित कार्यशाला का।
इस दौरान निपुण गुप्ता ने कहा कि आज की कार्यशाला अविस्मरणीय है क्योंकि यहाँ विभिन्न विभागों के अधिकारियों व हितधारकों के साथ एक मंच पर किशोरों की सहभागिता पर बात हो रही है। उन्होंने कहा कि सतत विकास के कई सूचकांक जैसे स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा व संरक्षण आदि सीधे बच्चों से जुड़े हैं, जिन पर विशेष काम किया जाना है।
निपुण गुप्ता ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि बच्चों की अधिकाधिक सहभागिता उन्हें अच्छा नागरिक बनाने में मदद करेगी और वो देश व समाज के विकास में हितधारक बन सकेंगे। युवा हमारे देश के भविष्य ही नहीं वर्तमान भी हैं।
कार्यशाला का उद्घाटन श्रावस्ती के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एपी सिंह ने किया। उन्होंने स्वास्थ्य कार्यक्रमों की सफलता के लिए बच्चों की सहभागिता के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि किशोरावस्था जीवन का सबसे अहम पड़ाव है। उन्होंने इस अवस्था में बच्चों की शारीरिक व मानसिक दशा में होने वाले परिवर्तनों के बारे में विस्तार से बताया। कहा कि नीति बनाने वाले भी कभी इस अवस्था से गुजरे हैं। शिक्षा व स्वास्थ्य को देश के विकास के लिए सबसे अहम बताते हुए उन्होंने कहा कि इस पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
कार्यशाला में अपनी बात रखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ की बाल अधिकार कमेटी में सलाहकार किशोर कार्तिक वर्मा ने अपने अनुभव साझा किए और बताया कि कैसे विभिन्न स्तरों पर सहभागिता बढ़ाते हुए काम हुआ है। उन्होंने किशोर सहभागिता के सामने चुनौतियों का भी जिक्र किया। कार्तिक वर्मा ने प्रभावी सहभागिता पर जोर देते हुए कहा कि किशोरों की दशा में सुधार के लिए यह सबसे ज्यादा जरूरी है।
श्रावस्ती जिले में पोषण मित्र के तौर पर काम कर रही गरिमा और अमर ने अपने अनुभव साझा किए। गरिमा ने बताया कि यूनिसेफ की ओर से चलाए जा रहे पोषण कार्यक्रम से परिवर्तन दिखाई दे रहा है। कार्यक्रम की शुरुआत में यूनिसेफ की राज्य सलाहकार ऋचा श्रीवास्तव ने प्रतिभागियों के लिए किशोरों से संबंधित एक क्विज का आयोजन किया।
इस दौरान जिला कार्यक्रम अधिकारी, आईसीडीएस पीके दास ने कहा कि बच्चों के मुद्दों को नीतियों में शामिल किया जाना चाहिए। बच्चों को शिक्षा के साथ उचित मार्गदर्शन की भी जरूरत है। यूनिसेफ के बाल संरक्षण अधिकारी दिनेश कुमार ने श्रावस्ती जिले के आंकड़े प्रस्तुत करते हुए किशोरों की सहभागिता बढ़ाने और उन्हें विकास में हितधारक बनाने पर जोर दिया।
कार्यशाला में सभी प्रतिभागियों व वक्ताओं ने विचार-विमर्श में विभिन्न बाल मंचों और इस तरह के उपलब्ध प्लेटफार्म को सशक्त बनाने का सुझाव रखा। साथ ही किशोरों की सहभागिता बढ़ाते हुए उन्हें विकास का भागीदार बनाने की बात कही।
कार्यशाला में श्रावस्ती जिला प्रशासन, स्वास्थ्य, ग्राम विकास, पंचायत राज, शिक्षा, पुलिस एवं बच्चों व किशोरों से संबंधित विभागों के कर्मियों, अधिकारियों, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों संयुक्त राष्ट्र संघ में बाल परामर्शी, पोषण मित्रों, यूनिसेफ के अधिकारियों ने हिस्सा लिया। कार्यशाला के आयोजन व संचालन में सहयोग शरणम सेवा समिति ने किया। समिति के सचिव शरफ अब्बास खान ने सभी प्रतिभागियों व अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यशाला में यूनिसेफ के राज्य सलाहकार डॉ. आशीष कुमार, शरणम समिति से संजीव जैन, यूनिसेफ के मंडलीय सलाहकार संतोष राय, अनुराग जादौन, साकेत कुमार व डीएमसी अमित श्रीवास्तव आदि शामिल रहे।