लखनऊ। पिछले करीब छह वर्षों से मानदेय से वांछित मदरसा बोर्ड के आधुनिक शिक्षकों को मानदेय नहीं मिलेगा। योगी सरकार ने बजट में अतिरिक्त मानदेय देने की व्यवस्था को समाप्त करते हुए कोई भी वित्तीय स्वीकृति इस मद में नहीं जारी करने के निर्देश दिए हैं।
मदरसों में हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और सामाजिक अध्ययन विषय पढ़ाने के लिए मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत करीब प्रदेश में 21 हजार 216 शिक्षक हैं। इन लोगों के लिए ये बुरी खबर है।
एक तरफ अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह और राज्य मंत्री दानिश अंसारी इन शिक्षकों को किसी भी सूरत में अहित न होने के बयान दे रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ, सरकार इनका नुकसान दर नुकसान करने पर तुली हुई है।
मदरसा बोर्ड के चेयरमैन इफ्तिखार जावेद ने बताया कि पिछले करीब छह वर्षों से आधुनिक शिक्षकों को मानदेय नहीं मिला है। इसके लिए कई बार पत्राचार किया है, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल सका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मादी को फिर से पत्र भेज कर मानदेय की माँग की जाएगी। मंत्री दानिश आजाद ने कहा कि योगी सरकार मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों के लिए बहुत गम्भीर है। केंद्र सरकार ने मानदेय बंद कर दिया है। इसलिए तकनीकी कारणों से प्रदेश में भी बंद हो गया है। इस समस्या का हल निकाला जा रहा है।
सपा सरकार ने 2014 में निभाया था अपना वायदा
बता दें कि मदरसा आधुनिकीकरण योजना में 28 जनवरी, 2014 को उत्तर प्रदेश सरकार के संकल्प के अनुसार, 12,000 रुपया मानदेय पाने वाले शिक्षक को 3000 रुपया और 6000 मानदेय के शिक्षक को 2000 रुपया अतिरिक्त राज्यांश देने की व्यवस्था की गई थी। अतिरिक्त राज्यांश की अदाएगी उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा निरंतर मार्च 2023 तक की गई थी। मगर अब यह व्यवस्था बंद कर दी गई है।
तर्क यह दिया गया कि यह अतिरिक्त मानदेय देने की व्यवस्था तभी तक लागू मानी गई थी। जब तक केंद्र सरकार इसमें आर्थिक सहयोग कर रही थी। अब केंद्र ने सहयोग देना बंद कर दिया है। इन शिक्षकों को केंद्रांश का 60 प्रतिशत भुगतान पिछले छह साल से नहीं मिला है।
उल्लेखनीय है कि मदरसा आधुनिकीकरण योजना केंद्र सरकार की है। इसे 1993-94 से संचालित किया जा रहा था। इसमें मदरसों में हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित व सामाजिक अध्ययन विषय को पढ़ाने के लिए शिक्षक रखे गए थे। वर्ष 2008 से इसे स्कीम फार प्रोवाइडिंग क्वालिटी एजुकेशन इन मदरसा के नाम से संचालित किया जाने लगा।
इस योजना में तैनात स्नातक पास शिक्षकों को छह हजार व परास्नातक शिक्षकों को 12 हजार रुपये प्रति माह मानदेय दिया जाता था। वर्ष 2016 में प्रदेश सरकार ने भी इसमें दो हजार व तीन हजार रुपये प्रतिमाह का मानदेय अपनी ओर से देने का निर्णय लिया था। यानी स्नातक शिक्षकों को आठ हजार व परास्नातक शिक्षकों को 15 हजार रुपये इसमें मिलते थे।
केंद्र सरकार से इस योजना को वर्ष 2021-22 तक की ही स्वीकृति मिली थी, जबकि प्रदेश में तैनात इन शिक्षकों को केंद्र सरकार से मानदेय और पहले से नहीं मिल रहा था। पिछले दिनों अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ने अतिरिक्त मानदेय दिए जाने का आश्वासन दिया था। इसके बावजूद अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने बजट में की गई अतिरिक्त मानदेय की व्यवस्था को समाप्त कर दिया है। उन्होंने निदेशक को इस मद में कोई भी वित्तीय स्वीकृति न जारी करने के निर्देश दिए हैं।