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‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ पर उच्च स्तरीय समिति ने सौंपी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को रिपोर्ट

समिति की सर्वसम्मत राय है कि एक साथ चुनाव कराया जाए। समिति एक साथ लोकसभा और राज्य के चुनाव करने के पक्ष में है। इसके बाद 100 दिनों के भीतर ही स्थानीय निकाय चुनाव की भी बात कही है। एक राष्ट्र एक चुनाव पर बनी उच्च स्तरीय समिति 2 दिसंबर 2023 को गठित की गई थी, जिसने 191 दिनों तक लगातार काम किया।

एक राष्ट्र एक चुनाव पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को रिपोर्ट सौंप दी है। समिति के पैनल ने एक साथ चुनाव कराए जाने का समर्थन किया है। अब हर साल कई चुनाव हो रहे हैं इससे सरकार, श्रमिकों, व्यवसायों, राजनीतिक दलों, चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों और बड़े पैमाने पर नागरिक समाज पर भारी बोझ पड़ता है।

रिपोर्ट में समिति की सर्वसम्मत राय है कि एक साथ चुनाव कराया जाए। समिति एक साथ लोकसभा और राज्य के चुनाव करने के पक्ष में है। इसके बाद 100 दिनों के भीतर ही स्थानीय निकाय चुनाव की भी बात कही है। एक राष्ट्र एक चुनाव पर बनी उच्च स्तरीय समिति 2 दिसंबर 2023 को गठित की गई थी, जिसने 191 दिनों तक लगातार काम किया। उसके सदस्यों में राजनीति विज्ञान, कानून, सार्वजनिक वित्त, प्रशासन और अर्थशास्त्र में विशेषज्ञ के साथ लंबे अनुभव वाले विविध पृष्ठभूमि के प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल थे।

पूर्व राष्ट्रपति की अध्यक्षता वाली पैनल में इस बात पर जोर दिया कि एक साथ मतदान से विकास और सामाजिक एकजुट को बढ़ावा मिलेगा। लोकतंत्र की नींव गहरी होगी और इंडिया “दैट इज भारत” की आकांक्षाओं को साकार करने में मदद मिलेगा। समिति ने इस बात की सिफारिश की कि त्रिशंकु सदन या अविश्वास प्रस्ताव या ऐसी किसी घटना की स्थिति में नए लोकसभा के गठन के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जा सकते हैं।

समिति ने रिपोर्ट में इस बात पर भी जोर दिया है कि लोकसभा और विधानसभा के आम चुनाव के साथ-साथ पंचायत चुनाव और नगर पालिकाओं का चुनाव भी कराया जाए। इसके लिए अनुच्छेद 324 ए की शुरुआत और एकल मतदाता सूची और एकल निर्वाचन के फोटो पहचान पत्र को सक्षम करने के लिए अनुच्छेद 325 में संशोधन की सिफारिश की है।

समिति ने कहा कि वर्तमान में चुनाव आयोग लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने के लिए जिम्मेदार है, जबकि नगर पालिका और पंचायत के लिए स्थानीय निकाल चुनाव का प्रबंध राज्य चुनाव आयोग द्वारा किया जाता है।

समिति ने कई संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की है जिनमें से अधिकांश को राज्यों द्वारा समर्थन की आवश्यकता नहीं है। समिति ने कहा है कि सरकार को एक साथ चुनाव के चक्र को बहाल करने के लिए कानूनी रूप से टिकाऊ तंत्र विकसित करना होगा।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है की समिति ने अपनी सिफारिश से इस तरह से तैयार की हैं कि वह संविधान की भावनाओं के अनुरूप हो और संविधान में न्यूनतम संशोधन की आवश्यकता होगी। 22वें विधि आयोग ने इस बारे में विस्तार से जांच की और 2029 के आम चुनाव को एक साथ कराए जाने का सुझाव दिया। विधि आयोग पहले ही अपने विचार कोविंद पैनल के सामने रख चुका है और जल्द ही अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के इस पैनल में गृहमंत्री अमित शाह, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एन के सिंह, लोकसभा के पूर्व सेक्रेटरी जनरल सुभाष कश्यप और सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे शामिल हैं। समिति का गठन 2 सितंबर 2023 को किया गया था और इसे लोकसभा, राज्य विधानसभा, नगर पालिका और पंचायत में एक साथ चुनाव कराने के संबंध में जांच और सिफारिशों का काम सौंपा गया था।

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