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EVM-VVPAT की विश्वसनीयता से जुड़े मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई पूरी, कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

क्या ईवीएम मशीन में किसी भी दल का बटन दबाने पर वोट बीजेपी को जाता है ? चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में बताया इसका जवाब। आज EVM-VVPAT की विश्वसनीयता से जुड़े मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट द्वारा फैसला सुरक्षित रख लिया गया है।

उच्चतम न्यायालय ने ईवीएम के जरिए डाले गए मतों का वोटर वेरीफ़ाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) के साथ पूर्ण मिलान किए जाने मांग वाली विभिन्न याचिकाओं पर अपना फैसला आज बृहस्पतिवार को सुरक्षित रख लिया।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने याचिकाओं पर निर्वाचन आयोग का जवाब सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

आज सुप्रीम कोर्ट में आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने बताया कि ईवीएम किस प्रकार काम करती है।याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील प्रशांत भूषण और वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन पेश हुए।

याचिककर्ताओं की तरफ से वकील निजाम पाशा ने न्यायालय में अपनी दलील पेश की। उन्होंने कहा कि मतदान की ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि वोटर अपनी वीवीपैट स्लिप खुद बैलेट बॉक्स में डाले। इस पर जस्टिस खन्ना ने सवाल करते हुए पूछा कि क्या इससे वोटर का निजता का अधिकार प्रभावित नहीं होगा। वकील निजाम पाशा ने दलील देते हुए कहा कि वोटर की निजता के अधिकार से ज्यादा जरूरी उसका वोट देने का अधिकार है। 

याचिकाकर्ताओं ने वीवीपैट मशीनों पर पारदर्शी कांच को अपारदर्शी कांच से बदलने के आयोग के 2017 के फैसले को उलटने की भी मांग की है, जिसके जरिए कोई मतदाता केवल सात सेकंड के लिए रोशनी चालू होने पर ही पर्ची देख सकता है।

ADR के वकील प्रशांत भूषण ने कहा, ‘वीवीपैट मशीन में लाइट 7 सेकेंड तक जलती है यदि वह लाइट हमेशा जलती रहे तो मतदाता पूरी कार्यप्रणाली को देख सकता है। प्रशांत भूषण ने अखबार की खबर का हवाला देते हुए कहा कि मॉक के समय केरल में बीजेपी के पक्ष में ईवीएम में एक अतिरिक्त वोट पड़ रहा था। 

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से ईवीएम-वीवीपैट की कार्यप्रणाली पर जानकारी मांगी और साथ ही संसदीय स्टैन्डिंग कमेटी रिपोर्ट पर सफाई मांगी। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के वकील मनिन्दर सिंह से पूछा कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ न हो सके यह सुनिश्चित करने के लिए आप की ओर से क्या प्रक्रिया अपनाई जा रही है ? 

चुनाव आयोग ने बताया, ईवीएम एक स्वतंत्र मशीन है, इसके साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। वीवीपैट को फिर से डिजाइन करने की कोई जरूरत नहीं है। मिसमैच का केवल एक मामला था क्योंकि मॉक का डेटा डिलीट नहीं किया गया था। 

ईवीएम के पख में तर्क देते हुए आयोग ने कहा, ‘मैन्यूअल गिनती में मानवीय भूल की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता लेकिन मौजूदा ईवीएम सिस्टम में मानवीय भागीदारी न्यूनतम हो गई है।’

उच्चतम न्यायालय ने 16 अप्रैल को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की आलोचना और मतपत्रों के जरिए चुनाव कराए जाने की मांग की निंदा करते हुए कहा था कि भारत में चुनावी प्रक्रिया ‘एक बहुत बड़ा काम’ है और इस ‘व्यवस्था को खराब करने’ का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए।

भारत में मतदान और ईवीएम को लेकर बने संदेहजनक माहौल के बीच आज भारतीय वैज्ञानिक और सामाजिक कार्यकर्ता गौहर रजा ने भी ईवीएम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने एक्स पर लिखा है, ‘हमेशा ऐसा क्यों होता है कि ईवीएम बस बीजेपी के पक्ष में वोट करती है। मशीन है ग़लती हो सकती है पर हमेशा बीजेपी के पक्ष में ग़लती नहीं हो सकती। ये घोटाले का सबूत है, सांख्यिकीय (statistical) गलती नहीं।’

आगे उन्होंने लिखा है, ‘मैं दावे से कह सकता हूँ अगर 100% EVM और VVPAT मैच किए गए तो कभी मैच नहीं होंगे। एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है दूसरी मैकेनिकल, खबर यह कहती है 5% भी मैच नहीं कर रहे शायद निर्वाचन आयोग की टेक्निकल टीम ये जानती है, इसीलिये 100% के ख़िलाफ़ है हमें यह फ़ैसला लेना होगा कि संशोधित VVPAT को सही माना जाये।’

मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी ने भी ईवीएम-वीवीपैट की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए भारतीय निर्वाचन आयोग पर सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस की तरफ से एक्स पर लिखा गया है, ‘EVM पर बटन कोई दबाइये वोट BJP को जाता है।  केरल में यह मामला सामने आया है। यही वजह है कि हम कहते हैं- राजा की आत्मा EVM में है। हमारी मांग रही है कि VVPAT की पर्चियां मतदाताओं को सौंपी जाएं, मतदाता उन VVPAT पर्चियों को एक अलग पेटी में डालें, फिर उन VVPAT पर्चियों की 100% गिनती की जाए। इन मुद्दों को लेकर हमने चुनाव आयोग से कई बार मिलने का वक्त मांगा, लेकिन चुनाव आयोग इसपर बात करने को तैयार नहीं है।’

 

माननीय न्यायालय ने पूरे मामले पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। ईवीएम-वीवीपैट की कार्यप्रणाली की विश्वसनीयता और पारदर्शिता को लेकर संदेह और तमाम सवालों के बीच लोकसभा चुनाव के अंतर्गत कल 19 अप्रैल को भारत में पहले चरण का मतदान पुरानी प्रक्रिया के तहत ईवीएम से ही कराया जाएगा।

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