एक ऐसी शख्सियत जिन्होंने एक छोटे से प्रयास से अपने आसपास के मलिन बस्ती के बच्चों को निस्वार्थ भाव से पढ़ाना शुरू किया क्योंकि वे स्कूल जाने से बचते थे, घर की माएं और दादियाँ जब उन्हें छोड़ने आती थीं,तब बीना जी से बातचीत करते हुए एक अपनापा बना और उन बूढ़ी दादियों ने भी पढ़ने की उत्सुकता ज़ाहिर की और बस बात आगे बढ़ती गई और बच्चों के साथ उनकी दादियाँ और माएं भी पढ़ने लगीं. बीना जी युवा लड़कियों को भी पढ़ाने के साथ अपने पैरों पर खड़े होने का हुनर सिखाती हैं, बिना किसी बड़ी आर्थिक मदद लिए . देखिये पूजा की उनसे बातचीत
ऐसा स्कूल जहाँ तीन पीढियां एक साथ पढ़ती, खेलती और रोज़गार के हुनर सीखती हैं .
एक ऐसी शख्सियत जिन्होंने एक छोटे से प्रयास से अपने आसपास के मलिन बस्ती के बच्चों को निस्वार्थ भाव से पढ़ाना शुरू किया क्योंकि वे स्कूल जाने से बचते थे, घर की माएं और दादियाँ जब उन्हें छोड़ने आती थीं,तब बीना जी से बातचीत करते हुए एक अपनापा बना और उन बूढ़ी दादियों ने भी […]