वाराणसी। भेलूपुर सहित 22 मोहल्लों की रजिस्ट्री रामनगर में कराये जाने के शासनादेश के खिलाफ स्थानीय वकीलों में न सिर्फ आक्रोश देखा जा रहा है बल्कि वे इस आदेश को वापस लेने तक आमरण आनशन और बेमियादी धरना भी शुरू कर दिए हैं।
प्रमुख सचिव लीना जौहरी की ओर से जारी इस शासनादेश के विरोध में वाराणसी के अधिवक्ता लामबंद हो गए हैं। नगर निगम में शामिल हो चुके रामनगर की सीमा में बदलाव कर उसे शहर का हिस्सा बनाया गया है। शासन ने अस्सी, क्रीं कुण्ड, गौरीगंज, जवाहरनगर, हनुमानपुरा, दुर्गाकुंड, भोगाबीर, भदैनी, मालतीबाग, रविंद्रपुरी कॉलोनी, शिवाला, अवधगर्बी, घसियारी टोला, डुमरावबाग, संकटमोचन, लंका, खोजवां, नई बाजार, किरहिया, कश्मीरीगंज, शंकुलधारा, बीएचयू और नगवां को रामनगर में शामिल किया गया है।
इन इलाकों में जमीन सहित अन्य दस्तावेज का पंजीकरण अब रामनगर में ही किया जाएगा। इस बदलाव में सब रजिस्ट्रार-द्वितीय के क्षेत्र के 21 और चतुर्थ की सीमा से एक नगवां को रामनगर में शामिल किया गया है।
बनारस बार की ओर से चलाए गए धरना आमरण अनशन में अधिवक्ताओं ने गुरूवाार से जिला न्यायालय स्थित रजिस्ट्री कार्यालय के बाहर बेमियादी धरना शुरू कर दिया। इस दौरान शासन -प्रशासन के आदेश को गलत बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की गई। अधिवक्ताओं ने चेताया कि जब तक आदेश वापस नहीं हो जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
इस बारे में बनारस बार के अध्यक्ष अवधेश कुमार ने कि ‘यह आदेश राज्य मंत्री रविन्द्र जायसवाल की ओर से जारी करवाया गया है। भेलुपुर से लेकर 22-23 मौजों की रजिस्ट्री अब रामनगर में होगी। यह अधिवक्ता विरोधी और जनविरोधी है। इसके विरोध में धरना शुरू किया गया है। और यह धरना तब तक चलता रहेगा जब तक यह आदेश वापस नहीं लिया जाता है। एक सप्ताह तक धरना चलेगा उसके बाद पांच दिन का अनशन होगा। यदि इसके बावजूद भी सरकार ने अपना आदेश वापस नहीं लिया तो 13 वें दिन से अधिवक्ता आमरण आनशन शुरू करेंगे और यह तब तक चलता रहेगा जब तक आदेश को वापस नहीं लिया जाएगा।’
इस बारे में अधिवक्ता राजेश यादव कहते हैं ‘कचहरी नजदीक होने से लोग आसानी से यहां आकर अपना काम करवा लेते थे। अब भेलुपुर के लोगों को गंगा पार करके रामनगर जाना पडे़गा। इससे लोगों का समय तो ज्यादा लगेगा ही जेब भी ढीली होगी। हां यह जरूर है कि वहां भीड़ कम होगी।’
अधिवक्ता प्रेम प्रकाश कहते है ‘यह शासन का तुगलकी फरमान है, जिसे हम कत्तई स्वीकार नहीं करेंगे। शासन के इस आदेश में सभी वर्गों का अहित शामिल है। बाहर के जिलों से वाराणसी आने वाला आम आदमी अब रामनगर में जाएगा तो रजिस्ट्रार और अन्य अफसर मिलकर उसे लूटने का काम करेंगे। इससे लूट की संस्कृति बढ़ेगी। रामनगर जाने आने के दौरान भी लोगों की जेब ज्यादा ढीली होगी।’ प्रेम प्रकाश ने आगे कहा ‘यह सरकार अधिवक्ता विरोधी है। यह सरकार अधिवक्ताओं के अन्दर फूट डालना चाहती है। सरकार यहां से कुल मिलाकर धीरे धीरे कचहरी को ही हटाना चाहती है । उसकी इसी रणनीति का यह एक हिस्सा है।’
रामनगर में रजिस्ट्री होने से निश्चित रूप से शहर के लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पडे़गा। रामनगर जाने के दो ही रास्ते हैं, पहला लंका से होते हुए सामने घाट से और दूसरा रास्ता कैंट से होते हुए मालवीय पुल से रामनगर तक का रास्ता। किसी भी तरफ से जाने के दौरान देखा जाय तो एक आम आदमी को टैम्पो का ही सहारा लेना पडे़गा। यही नहीं बरसात के दिनों में सामने घाट का रास्ते तो बंद हो जाता है। फिर पुल के रास्ते जाने पर दूरी बढ़ेगी और किराया भी। ऐसे में देखा जाए तो इन 22 मुहल्लों के लोगों के लिए सरकार का यह कष्टदायी सिद्ध होगा।
बहरहाल,देखना अब यह रोचक होगा कि सरकार और अधिवक्ताओं में से कौन अपने कदम को पीछे खींचता है।