Thursday, May 15, 2025
Thursday, May 15, 2025




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमसामाजिक न्यायसवर्णवादी से बहुजनवादी पार्टी की शक्ल अख्तियार करती कांग्रेस 

इधर बीच

ग्राउंड रिपोर्ट

सवर्णवादी से बहुजनवादी पार्टी की शक्ल अख्तियार करती कांग्रेस 

आजादी के के 77 वर्ष बाद कांग्रेस को दलित-पिछड़े और वंचित समुदाय के लिए सामाजिक न्याय की याद आई। यह समुदाय हमेशा से ही सामाजिक न्याय के लिए राजनैतिक दलों से उम्मीद करते रहे लेकिन उन्हें निराशा ही मिली। वैसे भी कांग्रेस में सवर्णों का ही वर्चस्व रहा है लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 की पृष्ठभूमि में हाशिये पर चली गई कांग्रेस ने 24 से 26 फरवरी तक आयोजित रायपुर अधिवेशन में पहली बार सामाजिक न्याय का मसला उठाया था और अपने घोषणा पत्र में शामिल किया। गांधी के शहादत दिवस पर दिल्ली में दलित इंफ्लूएंसरों को संबोधित करते हुए  राहुल गांधी ने कहा था कि हमने दलितों, पिछड़ों, अति पिछड़ों का विश्वास बरकरार रखा होता तो आरएसएस कभी सत्ता में नहीं आ पाता। मतलब इस बात की सच्चाई को जानने के बाद कांग्रेस ने कुछ क्रांतिकारी परिवर्तन कर पार्टी को मजबूत करने की कवायद शुरू की है।

प्रयागराज के महाकुंभ यात्रा में हो रहे हृदय विदारक हादसों, प्रधानमंत्री मोदी की शर्मसार करने वाली अमेरिका यात्रा तथा हथकड़िया और बेडि़यां पहने अवैध भारतीयों का अमेरिका से निर्वासन जैसी खबरों के मध्य कांग्रेस से संगठन में हो रहा क्रांतिकारी बदलाव भी इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है। भाजपा की भांति ही सवर्णों की पार्टी कही जाने वाली देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के सांगठनिक ढाँचे में जिस तरह सामाजिक अन्याय की शिकार जातियों के नेताओं को फिट किया जा रहा है, उससे राजनीतिक विश्लेषक हैरान व परेशान हैं! कुछ दिन पूर्व: 14 फरवरी को  संगठन में जो बदलाव किया गया है, उसमें पार्टी की सीनियर लीडरशिप का 70-75 प्रतिशत हिस्सा ओबीसी, दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यक समुदायों को दिया गया है। 14 फरवरी को जिन 11 लोगों की नियुक्ति हुई है, उसमें चार ओबीसी, दो दलित, एक आदिवासी और एक अल्पसंख्यक समुदाय से है, तीन अपर कास्ट के लोग हैं, जिनमें रजनी पाटिल, मीनाक्षी नटराजन और कॄष्ण अल्लावरु है। वंचितों में भूपेश बघेल, गिरिश चोड़नकर, हरीश चौधरी और अजय कुमार लल्लू ओबीसी समाज से जबकि बीके हरि प्रसाद और के. राजू दलित और सप्तगिरि आदिवासी समाज से हैं। अल्पसंख्यक समुदाय से हैं सैयद नसीर हुसैन. इन ग्यारह में 2 राज्यों के महासचिव, जबकि 9 विभिन्न राज्यों के प्रभारी बने हैं। इस बद्लाव की गाज जिन पर गिरी है वे हैं दीपक बाबरिया, मोहन प्रकाश, भरत सिंह सोलंकी, राजीव शुक्ला, अजय कुमार और देवेन्द्र यादव। इनके अतिरिक्त अन्य कई वरिष्ठ नेताओं की संगठन से छुट्टी हो गई है। इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और दलित समुदाय से आने वाले भक्त चरन दास को ओडिशा का और ओबीसी समुदाय के कम चर्चित चेहरे हर्षवर्द्धन सकपाल को महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमिटी का अध्यक्ष नियुक्त कर चौकाया था।

यह भी पढ़ें –आदिवासी हमेशा से ही सरकार और कॉरपोरेट के निशाने पर रहे हैं

कांग्रेस के सांगठनिक ढाँचे में सामाजिक न्याय की अभिव्यक्ति

बहरहाल विस्मयकर होने के बावजूद यह बद्लाव प्रत्याशित था। राहुल गांधी जिस शिद्दत से  पिछ्ले साल-डेढ़ साल से संविधान, सामाजिक न्याय, जाति जनगणना, आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा खत्म करने, जितनी आबादी – उतना हक की बात उठा  रहे थे, उससे लोगों को लगता रहा कि देर-सवेर पार्टी के सांगठनिक ढाँचे में भी इसका प्रतिबिम्बन हो सकता है, जो देर से ही सही पर, होता दिख रहा है। अब इस बहुचर्चित बदलाव को तमाम राजनीतिक विश्लेषक कांग्रेस के सांगठनिक ढाँचे में सामाजिक न्याय की अभिव्यक्ति के रुप में देख रख रहे हैं। दरअसल जो बदलाव दिख रहा है, उसकी जड़ें फरवरी 2023 में रायपुर में आयोजित कांग्रेस के 85 वें अधिवेशन में निहित हैं . उसी अधिवेशन में कांग्रेस ने अपना सवर्णवादी चेहरा बदलने का उपक्रम चलाया था।

लोकसभा चुनाव 2024 की पृष्ठभूमि में 24 से 26 फरवरी तक आयोजित रायपुर अधिवेशन में पहली बार कांग्रेस ने सामाजिक न्याय का पिटारा खोलकर दुनियां को चौकाया था। उसमें सामाजिक न्याय से जुड़े हुए ऐसे कई क्रांतिकारी प्रस्ताव पास हुए थे, जिनकी प्रत्याशा सामाजिक न्यायवादी दलों तक से नहीं की जा सकती। आज राहुल गांधी अगर सामाजिक न्याय का मुद्दा उठाने में सबको पीछे छोड़ दिए हैं, तो उसकी जमीन रायपुर अधिवेशन में ही तैयार हुई थी।  वहाँ सामाजिक न्याय से जुड़े प्रस्तावों का ही विस्तार राहुल गांधी के आज के संबोधनों में दिख रहा है।

बहरहाल रायपुर में सामाजिक न्याय से जुड़े जो विविध प्रस्ताव पास हुए थे, उनमें से एक यह था कि कांग्रेस पार्टी ब्लॉक, जिला, राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर वर्किंग कमेटी में 50 प्रतिशत स्थान दलित, आदिवासी, पिछड़े, अल्पसंख्यक समुदाय और महिलाओं के लिये सुनिश्चित करेगी।  लोग तभी से उम्मीद करने लगे थे कि कांग्रेस संगठन में जल्द ही दलित बहुजन चेहरों  की पर्यप्त झलक दिखनी शुरू हो जायेगी।

इस बीच रायपुर से निकले सामाजिक न्याय के प्रस्ताव को राहुल गांधी नई-नई ऊँचाई दिए जा रहे थे, पर संगठन की शक्ल ज्यों की त्यों रही, जिससे लोगों में बेचैनी व निराशा बढ़ती जा रही थी। इस बात का इल्म राहुल गांधी को भी हो चला था। ऐसे में मौका माहौल देखकर उन्होंने संगठन में छोटे-मोटे बद्लाव नहीं, एक क्रांतिकारी परिवर्तन की घोषणा कर दिया, जिसके लिये दिन चुना 30 जनवरी: महात्मा गांधी का शहादत दिवस।

यह भी पढ़ें –सत्ता के नशे की बीमारी सदियों पुरानी है और पूरी दुनिया में फैल चुकी है

गांधी के शहादत दिवस पर आंतरिक क्रांति की घोषणा

गांधी के शहादत दिवस पर दिल्ली में दलित इंफ्लूएंसरों को संबोधित करते हुए  राहुल गांधी ने कहा था कि हमने दलितों, पिछड़ों, अति पिछड़ों का विश्वास बरकरार रखा होता तो आरएसएस कभी सत्ता में नहीं आ पाता.. इंदिरा जी के समय पूरा भरोसा बरकरार था। दलित, आदिवासी, पिछड़े और अल्पसंख्यक सब जानते थे कि इंदिरा जी उनके लिए लड़ेंगी लेकिन 1990 के बाद विश्वास में कमी आई है। इस वास्तविकता को कांग्रेस को स्वीकार करना पड़ेगा। पिछले 10-15 सालों कांग्रेस ने जिस प्रकार आपके हितों की रक्षा करनी थी, नहीं कर पाई। उन्होंने अपने संबोधन में यह भी याद दिलाया कि मौजूदा ढाँचे में दलित और पिछड़ों की समस्याएं हल नहीं होने वाली हैं क्योंकि बीजेपी और आरएसएस ने पूरे सिस्टम को नियंत्रण में ले लिया है। दलित और पिछड़े वर्गों के लिए दूसरी आजादी आने वाली है, जिसमें सिर्फ राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए नही लड़ना है, बल्कि संस्थाओं और कार्पोरेट जगत में हिस्सेदारी लेनी होगी। अंत में उन्होंने कहा था कि हम अपनी पार्टी में आंतरिक क्रांति लाएंगे जिससे संगठन में दलित, पिछड़ों और वंचितों को शामिल किया जा सके। राहुल गांधी ने पार्टी में आंतरिक क्रांति लाने की जो घोषणा की थी उसी के परिणामस्वरुप पार्टी संगठन में यह बद्लाव दिखा है। राहुल गांधी की आंतरिक क्रांति की योजना के तहत सिर्फ पार्टी में पहले से शामिल वर्ग के नेताओं को ही संगठन में उचित स्थान नहीं दिया जा रहा है, बल्कि दलित, आदिवासी, पिछड़े  और  अल्पसंख्यक  समुदाय की प्रतिभाओं को पार्टी में शामिल भी किया जा रहा है, जिसका बड़ा दृष्टांत 28 जनवरी को स्थापित हुआ। उस दिन कांग्रेस के साथ जुड़ीं थीं। डॉ जगदीश प्रसाद, फ्रैंक हुजूर, अली अनवर,  निशांत आनंद, भगीरथ मांझी जैसी विशिष्ट प्रतिभाएं! इनके कांग्रेस से जुड़ने से देश के वंचितों के बीच बड़ा सन्देश गया।

कांग्रेस से जुड़ती विरल बहुजन प्रतिभाएं

अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर न्याययोद्धा राहुल गांधी के साथ जाने का निर्णय लेने वाले पद्मश्री डॉक्टर जगदीश प्रसाद को आजाद भारत में पहला दलित स्वास्थ्य महानिदेशक बनने का गौरव प्राप्त है। डॉक्टर प्रसाद की छवि गरीब-वंचितों के मसीहा की रहे हैं। व्यक्तिगत तौर बिहार के जितने लोग चिकित्सा के जरिए डॉक्टर साहेब से उपकृत हुए हैं, वह एक रिकॉर्ड है। लेकिन डॉक्टरी पेशे में रहने के बावजूद उन में सामाजिक अन्याय के खिलाफ जबरदस्त आग रही है। शायद इसलिए  ही वह वर्तमान भारत में सामाजिक न्याय की सबसे बुलंद आवाज हैं और उनके कांग्रेस ज्वाइन करने से बिहार के दलित-वंचितों में भारी उत्साह का संचार हुआ है।

डॉ. प्रसाद की भांति ही अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लेखक फ्रैंक हुजूर भी कांग्रेस से जुड़े।  इमरान खान की जीवनी लिखकर दुनिया भर में चर्चित होने वाले फ्रैंक हुज़ूर की जगह कोई और लेखक  होता तो वह न्यूयार्क या लन्दन में बैठकर करियर बनाने की राह चुनता लेकिन उन्हें पता है दुनिया के सर्वाधिक वंचितों की लड़ाई भारत में ही रहकर लड़ी जा सकती है। 28 जनवरी को डॉ.  जगदीश प्रसाद और फ्रैंक हुजूर के साथ कांग्रेस में शामिल हुए। पत्रकार से एकाधिक बार राज्यसभा का सफर तय करने वाले अली अनवर ने पसमांदा की राजनीति को जिस तरह परिभाषित किया है, उससे राजनेताओं की भीड़ में उनकी अलग पहचान बन चुकी है, जिससे रजनीति में न्यूनतम रुचि रखने वाला भी वाकिफ है। अली अनवर और डॉक्टर जगदीश प्रसाद की भांति ही बिहार से आने वाले भगीरथ मांझी के कांग्रेस से जुड़े। इससे काँग्रेस की सामाजिक न्यायवादी छवि को मजबूती मिलेगी।   भगीरथ मांझी मुसहर समाज में जन्मे पर्वत पुरुष दशरथ मांझी की संतान हैं, जिन पर पूरे बिहार के गर्व का अंत नहीं है लेकिन राहुल गांधी की ‘आंतरिक क्रांति’ की योजना के तहत दलित-पिछड़े समाज के जिन लोगों को कांग्रेस से जुड़े, उनमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण नाम है डॉक्टर अनिल जयहिंद यादव का।

राहुल गांधी के मिशन मैन डॉ. अनिल जयहिंद

राहुल गांधी के मिशन मैन के रुप में राजनीतिक विश्लेषकों और एक्टिविस्टों के मध्य पहचान बनाने वाले डॉ.  अनिल जयहिंद यादव नेताजी के करीब रहते हुए वर्षों पहले डॉक्टरी पेशे को छोड़कर सामाजिक न्याय की लड़ाई में कूद गए और मंडल मसीहा बीपी मंडल और शरद यदव जैसे लोगों की निकट रहे। शरद यादव को अपना राजनीतिक गुरु मानने वाले डॉ. जयहिंद कई ऐतिहासिक महत्व की किताबों का लेखन- अनुवाद करने के साथ सामाजिक न्याय की लड़ाई में लगातार सक्रिय रहे और जब मोदी राज में संविधान पर संकट को देखटह उए, उन्होंने  ‘संविधान बचाओ संघर्ष समिति’ के बैनर तले सक्रिय रहे। उन्होंने राहुल गांधी में सामाजिक न्याय के प्रति अभूतपूर्व समर्पण और संविधान बचाने का संकल्प देखा, तो वे उनके साथ हो लिए। राहुल गांधी ने अगर भारत जोड़ों यात्रा  और भारत जोड़ों न्याय यात्रा के जरिए लाखों लोगों से संवाद बनाया तो उनके  सामाजिक अन्याय के शिकार तबकों के लेखक-पत्रकार और एक्टिविस्टों से निकटता बनाने का जरिया बने संविधान सम्मेलनों के शिल्पकार डॉ. अनिल जयहिंद थे उनके संयोजकत्व में पंचकुला, लखनऊ, इलाहाबाद, नागपुर, रांची, कोल्हापुर, पटना, दिल्ली इत्यादि में आयोजित संविधान केंद्रित सम्मेलनों ने वंचित वर्गों के इनफ्लुएंसरों को कांग्रेस से जुड़ने का माध्यम बने।  सूत्रों के मुताबिक राजेन्द्र पाल गौतम, अशोक भारती , डॉ. जगदीश प्रसाद, फ्रैंक हुजूर, अली अनवर, प्रो. रतनलाल इत्यादि जैसे भारत विख्यात प्रतिभाओं को कांग्रेस से जोड़ने में अहम रोल डॉ. जयहिंद का ही है। उम्मीद की जा सकती है कि कांग्रेस की सदस्यता लेने के बाद वह राहुल गांधी की आंतरिक क्रांति को अंजाम तक पहुँचाने में और बडी़ भूमिका ग्रहण करेंगे!

प्रति राय दुरुस्त है।उनकी रग 2 में समाजवाद और सामाजिक न्याय की धारा प्रवाहमान । मैं जब जब उनसे मिला हूं, सामाजिक न्याय की दुर्दशा को लेकर उनकी पलकें नम होते देखा हूं।सामाजिक न्याय के लिए यह आग अपने बहुत कम साथी लेखकों में पाया हूं।जिस तरह वह घर पर घर बदलने के लिए विवश हैं,उनकी जगह कोई और लेखक होता तो न्यूयार्क या लन्दन में बैठकर करियर बनाने की राह चुनता। उनमें इतना दम है कि विदेशों में रह कर वह कलम की की जोर से करोड़ों कमा सकते हैं।लेकिन वह ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि उन्हें पता है दुनिया के सर्वाधिक वंचितों की लड़ाई भारत में ही रहकर लड़ी जा सकती है।

एच एल दुसाध
एच एल दुसाध
लेखक बहुजन डाइवर्सिटी मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Bollywood Lifestyle and Entertainment