योगी आदित्यनाथ के रामराज्य में उनकी जाति की चाँदी है। उनकी जाति के माफिया सर्वाधिक सुरक्षित हैं। पूरे प्रदेश में उनकी जाति के सर्वाधिक थानेदार हैं। उनकी जाति के ठेकेदार हर जगह क़ाबिज़ हैं। और अब तो यह ठेकेदारी श्मशान तक भी जा पहुंची है। ताज़ा मामला मिर्ज़ापुर जिले का है।
गौरतलब है कि मिर्ज़ापुर और भदोही जिले की सीमारेखा पर बसी ग्रामसभा भोगांव में एक श्मशान हैं जहां दशकों से बिना किसी टेंडर और प्रशासनिक दखल के शवदाह के लिए आग देने का काम धरकार जाति के लोग करते आए हैं। इसी काम से मिले पैसे और अनाज आदि से उनकी आजीविका चलती थी लेकिन अब जिला पंचायत मिर्ज़ापुर ने मोटी कमाई का जरिया मानते हुये इसे ठेके पर उठा दिया है। ठेका भी धरकारों को नहीं बल्कि गाँव के ठाकुरों को दिया गया है।
दिनांक 9 जुलाई 2024 से भोगांव ग्रामसभा में शवदाह के लिए जिला पंचायत मिर्ज़ापुर की निर्धारित दर की सूची का लोहे का बोर्ड लगा दिया है। शवदाह निस्तारण के लिए 1000 रुपए प्रति शव का रेट तय किया गया है। इस काम के लिए टेंडर प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है। टेंडर भी किसी और को नहीं, गांव के सर्वण जाति (ठाकुर) के व्यक्ति को दिया गया है। इसके विरोध में उतरे धरकार जाति के लोगों ने जिला पंचायत प्रशासन को आड़े हाथों लेते हुए मौजूदा शवदाह प्रक्रिया को अपनी जीविका पर कुठाराघात बताया है।
पीड़ित धरकार समुदाय का कहना है कि घाट पर उन्हें जाने से गाँव के ठाकुरों और उनके लोगों द्वारा रोका गया और गालियाँ दी गई। उन्हें खामोश रहने के लिए धमकाया गया। अब उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
पीड़ित अपनी आजीविका वापस पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं
शव जलाने के पुश्तैनी काम से जुड़ी धरकार जाति की महिलाओं-पुरुषों ने बुधवार 24 जुलाई 2024 को जिलाधिकारी कार्यालय पर दर्जनों की संख्या में पहुंचकर ज्ञापन सौंपा है। भोगांव के गोवर्धन धरकार, मीना देवी, मालती, भानू, रेखा देवी, भगंतू, बुटनू, टेघली, बसंती, हीरा, मुखांती, लवकुश, गुड्डी, पंचू, सिकंदर, नाथेराम, श्याम बिहारी, लल्लन धरकार और हरीलाल इत्यादि ने जिलाधिकारी से गुहार लगाई कि उन्हें अपने पुश्तैनी काम से अलग न किया जाय तथा दबंगों का ठेका निरस्त किया जाय।
कलेक्ट्रेट पर धरना-प्रदर्शन करने पहुंचे धरकार जाति की महिलाओं ने कहा कि ‘भोगांव गंगा घाट पर शवदाह संस्कार करने का कार्य वह और उनके पुरखे करते हुए आएं हैं। इसी से उनका तथा उनके परिवार का भरण-पोषण होता है। लेकिन इधर बीच जिला पंचायत अध्यक्ष व बड़े अधिकारियों ने बग़ैर सूचना के आनन-फानन में ठेका पास कर दिया गया।’
महिलाएँ कहती हैं कि ‘जानकारी होने पर जब हमने अधिकारियों से शिकायत दर्ज कराते हुए विरोध किया तो अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि हमारा (ठेका लेने वाले) कार्य गंगा घाट की साफ-सफाई आदि का है। इसी का ठेका भी हुआ है। शवदाह का ठेका नहीं हुआ है।’
सवाल उठता है कि फिर 1000 रुपए प्रति शव का रेट बोर्ड क्यों लगाया गया है। क्या यह बोर्ड अवैध है? जबकि अधिकारियों द्वारा आश्वासन दिया गया था कि शवदाह संस्कार का कार्य सिर्फ धरकार समुदाय लोग ही करते रहेंगे, जिसमें न तो प्रशासन, पुलिस और ना ही कांट्रेक्टर का कोई व्यक्ति हस्तक्षेप करेगा।
आरोप है कि इसके बावजूद कॉन्टैक्टर रमेश सिंह पुत्र गजराज सिंह और उनके द्वारा घाट पर तैनात किए गए धीरज वर्मा उपस्थित होकर 1000 अग्निदाह शुल्क के तौर पर वसूल कर रहे हैं। एतराज किए जाने पर गलियां देते हुए ऊंची जाति का होने का धौंस जमा रहे हैं। खामोश होकर बैठ जाने की धमकियां दिए जा रहे हैं। इससे धरकार समुदाय डरा-सहमा हुआ है।
इस सरहदी गाँव के श्मशान में दोनों जिलों के मुर्दे जलाए जाते हैं
मिर्ज़ापुर जिले के सदर तहसील क्षेत्र का भोगांव मिर्ज़ापुर और भदोही जनपदों का सरहदी गांव है, जो गंगा नदी के तट पर स्थित है। भदोही की औराई तहसील और मिर्ज़ापुर के सदर तहसील का सीमांकन क्षेत्र यह गांव मिश्रित जातियों वाला गांव है, जहां धरकार, निषाद, कन्नौजिया, पाल, क्षत्रिय, यादव एवं दलित जातियों के लोग रहते हैं। इनमें सर्वाधिक आबादी धरकार जाति के लोगों की है। तकरीबन 300 घर केवल इन्हीं लोगों के हैं। धरकार बिरादरी के कुछ घरों को छोड़ दिया जाए तो बाकी बचे सभी लोग शवदाह कार्य से जुड़े हुए हैं, जो पुरखों के जमाने से यह काम करते आए हैं।
निषाद, मल्लाह बिरादरी के लोग गंगा नदी में मछली पकड़ने, नाव चलाने के पुश्तैनी कारोबार से जुड़े हुए हैं। इस गाँव में आमतौर पर सभी लोग अपनी रोजी-रोटी परंपरागत ढंग से कमाते आए हैं। लोगों से बातचीत करने पर पता चलता है कि गाँव में आपसी रंजिश अथवा झगड़ों की बहुत कम कहानियाँ हैं। पिछले दिनों 9 जुलाई 2024 के श्मशान भूमि के ठेके के एक फैसले ने गांव में वैमनस्य का बीज बो दिया है।
भोगांव के रहने वाले धरकार लोग फिलहाल इस प्रशासनिक फैसले से दुखी और आक्रोशित हैं। एक झटके में उनका रोजगार छीन लिया गया है और वे बेरोजगार हो गए हैं। इन लोगों का कहना है कि हम लोग यह काम पुरखो-पुरनियों के समय से करते आ रहे हैं। यहाँ भदोही जनपद के औराई, महाराजगंज इत्यादि स्थानों से लेकर मिर्जापुर जनपद के कई गांवों के लोग भी शव के अंतिम संस्कार के लिए आते हैं। हम लोग ही चिता जलाने के लिए आग देते हैं। बदले में मिलने वाले अनाज और रुपए-पैसों से उनके घर परिवार का पेट पलता आया है।
गाँव के दिव्यांग लल्लन धरकार कहते हैं ‘शव जलाना हमारा पेशा है। बाप दादा के जमाने से हम लोग यह कार्य करते आ रहे हैं। अब शवदाह का ठेका देकर उठाकर हम लोगों को रोका जा रहा है। हमारी कहीं सुनवाई नहीं हो पा रही है।’ फिर वह व्यंग्य से कहते हैं – इसी काम को करने पर जो लोग हमको नीच समझते थे उनमें से ही बाऊ साहब लोग अब खुद चिता के लिए आग देंगे। यह भी योगी बाबा के राज में ही संभव है।’
श्याम बिहारी, केतली, मुखंती देवी भी इसे मनमानी करार देते हुए रोजी-रोटी छीनने का आरोप लगाते हुए कहती हैं,’क्या अब बाऊ साहब लोगन शव को आग देंगे? उनके ये दिन आ गए हैं। हमारी ही रोजी उनको छीनना था?’
एक झटके में पूरी बस्ती बेरोजगार हो गई
धरकार जाति सामाजिक रूप से चुनौतीग्रस्त हालात में रहती है। वह ग़रीबी, अशिक्षा, विपन्नता में जीती रही है। मूलभूत सुविधाओं के अभाव से जूझने वाली यह जाति न सिर्फ सरकारी उपेक्षाओं की शिकार है बल्कि उसे तथाकथित उंची जातियों के वर्चस्व से भी जूझना पड़ता है। भोगांव के धरकार दशकों से चिता के लिए आग देकर और दूसरी मजदूरी करके आजीविका चलाते रहे हैं लेकिन अब उनकी रोजी-रोटी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इनसे बचने के लिए वे अधिकारियों की चौखट पर गुहार लगा रहे हैं।
ये लोग बताते हैं कि जब से यहाँ रेट बोर्ड गड़ा है तब से हमारा वहाँ जाना मुश्किल कर दिया गया है। आहत धरकार समुदाय के लोगों का दर्द है कि ‘हम लोगों के पास न तो रोजी-रोजगार है, न ही सरकारी नौकरी-चाकरी है। जिस काम से हम पहले कमाते-खाते थे वह भी इस सरकार ने छीन लिया है। हम लोगों को भूखों मरने की नौबत आ गई है। टेंडर जारी होने के बाद घाट पर पुलिस लगा दी गई है और हम लोगों को भगा दिया जा रहा है। पुलिस फर्जी एफआईआर दर्ज कर जीवन खराब करने की धमकी दे रही है। हम लोग क्या करें कहां जाएं? किससे गुहार लगाएं। कोई भी हमारी नहीं सुन रहा है।’
मिर्ज़ापुर के भोगांव का यह मामला वास्तव में चिंताजनक ही नहीं है बल्कि गरीबों का हक छीनकर सम्पन्न लोगों को सौंप देने का है। धरकार समुदाय के लोग मर्माहत हैं। वे समझ नहीं पा रहे हैं कि कहाँ जाएँ?
जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर बाहर निकलते हुये धरकार जाति के लोगों ने चेतावनी दी है कि 15 दिनों में उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो वह लोग मुख्यालय पर धरना-प्रदर्शन करने को बाध्य हो जाएंगे।