नई दिल्ली (भाषा)। दिल्ली, ग्वालियर, बेंगलुरु, गुवाहाटी और मुंबई में एक गैर सरकारी संगठन द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि पिछले साल कुछ एकल-उपयोग प्लास्टिक उत्पादों पर लगाए गए प्रतिबंध का अनुपालन नहीं किया गया।
‘भारत में एकल उपयोग प्लास्टिक प्रतिबंध’ शीर्षक वाले अध्ययन के अनुसार, सर्वेक्षण किए गए सभी शहरों में प्लास्टिक मिश्रित और प्लास्टिक की आइसक्रीम डंडी को छोड़कर सभी प्रतिबंधित एकल-उपयोग प्लास्टिक उत्पाद उपयोग में बने रहे। यह अध्ययन पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘टॉक्सिक्स लिंक’ द्वारा किया गया था। अध्ययन से पता चला कि 120 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्रतिबंधात्मक प्लास्टिक के थैले, शहरों में सबसे अधिक उपलब्ध प्रतिबंधित वस्तु थे। अध्ययन से खुलासा हुआ कि 64 प्रतिशत सर्वेक्षण बिंदु अब भी उनका उपयोग कर रहे हैं। व्यवहार्य विकल्पों की उपलब्धता के बावजूद, थर्मोकोल सजावट (74 प्रतिशत), गुब्बारे (60 प्रतिशत), और प्लास्टिक की डंडी वाले ‘ईयरबड’ (60 प्रतिशत) सहित अन्य उत्पाद सभी शहरों में बेचे जाते रहे।
अध्ययन के अनुसार, सबसे कम अनुपालन प्रतिशत दिल्ली (12 प्रतिशत) में दर्ज किया गया, इसके बाद ग्वालियर(16 प्रतिशत), गुवाहाटी (23 प्रतिशत) और मुंबई (29 प्रतिशत) का स्थान रहा। महत्वपूर्ण रूप से सर्वेक्षण में शामिल शहरों में बेंगलुरु में एकल-उपयोग प्लास्टिक उत्पादों का उपयोग सबसे कम था। सर्वेक्षण में शामिल 55 प्रतिशत स्थानों पर अब भी प्रतिबंधित एकल-उपयोग प्लास्टिक उत्पादों का उपयोग किया जा रहा था। प्रतिबंध के महीनों बाद भी सभी पांच शहरों में सर्वेक्षण स्थलों पर इतने उच्च प्रतिशत में एकल-उपयोग प्लास्टिक उत्पादों की निरंतर उपलब्धता गंभीर चिंताओं का संकेत देती है।
भारत ने मानव स्वास्थ्य की रक्षा और पर्यावरणीय क्षरण को रोकने के लिए एक जुलाई, 2022 से विशिष्ट एसयूपी पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध लागू किया। अध्ययन के हिस्से के रूप में, पांच शहरों में 23 अलग-अलग प्रकार के स्थानों पर 700 सर्वेक्षण बिंदुओं का विश्लेषण किया गया। स्थानीय खाद्य पदार्थ विक्रेता, छोटे रेस्तरां, रेलवे स्टेशन, थोक बाजार, मॉल और पर्यटक स्थल शामिल थे। अध्ययन से पता चलता है कि मॉल और मेट्रो स्टेशन प्रतिबंध का दृढ़ता से पालन करते हैं, लेकिन बाजार, साप्ताहिक बाजार और थोक बाजारों में अनुपालन में काफी कमी है।