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हिट एंड रन पर नए कानून को लेकर देश भर में हुआ प्रदर्शन, गतिरोध अभी कम नहीं हुआ

उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में हिट एंड रन के नए क़ानूनों के विरोध ट्रक और बस चालकों ने प्रदर्शन किया। नए दंड कानून में प्रावधान के खिलाफ ट्रकों और टैंकरों सहित वाणिज्यिक वाहनों के चालकों ने सोमवार को मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में काम बंद कर दिया और विरोध स्वरूप कुछ स्थानों पर […]

उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में हिट एंड रन के नए क़ानूनों के विरोध ट्रक और बस चालकों ने प्रदर्शन किया। नए दंड कानून में प्रावधान के खिलाफ ट्रकों और टैंकरों सहित वाणिज्यिक वाहनों के चालकों ने सोमवार को मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में काम बंद कर दिया और विरोध स्वरूप कुछ स्थानों पर सड़कें अवरुद्ध कर दीं। वहीं उत्तर प्रदेश में भी सभी राजमार्गों पर भारी जाम लगा रहा। विरोध प्रदर्शन के बीच, लोग इस डर से विभिन्न शहरों में पेट्रोल पंपों पर पहुंचे कि आंदोलन से ईंधन आपूर्ति प्रभावित होगी। प्राप्त सूचना के अनुसार आज भी ट्रकों की हड़ताल जारी है। छत्तीसगढ़ राज्य में परिवहन पूरी तरह ठप हो गया है।

उत्तर प्रदेश में दिन भर थमे रहे ट्रकों और टैंकरों के पहिये 

हिट एंड रन पर  कानून को लेकर उत्तर प्रदेश में भी बड़े पैमाने बस और टैंकरों के चक्के जाम रहे। ट्रक चालकों द्वारा स्टेयरिंग को छोड़ने के बाद  वाराणसी प्रयागराज हाइवे पर लगभग 12 किलोमीटर तक लंबा जाम लगा रहा। पुलिस ने भी जाम खुलवाने में असमर्थता जताई। इसके अलावा वाराणसी-जौनपुर, वाराणसी-सोनभद्र और वाराणसी-आजमगढ़ मार्ग पर भी जाम की स्थिति रही।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में हिट एंड रन पर नए कानून के विरोध में रोडवेज बसों के पहिये थम गए। वहीं दूसरी तरफ अनुबंधित बस चालकों ने हड़ताल के समर्थन में स्टियरिंग छोड़ दिया। इसके चलते बस यात्रियों को साधन के लिए भटकना पड़ा। इस पूरे घटनाक्रम के बीच रोडवेज वाराणसी परिक्षेत्र को 70 लाख रुपये की चपत लग गयी। हड़ताल के समर्थन में उतरे अनुबंधित बस चालक इंद्रेश दुबे ने कहा नया नियम उनके हित में नहीं है। हादसे के बाद वह 10 लाख रुपये की इतनी बड़ी राशि कहा से लाएँगे। इंद्रेश ने आगे कहा कि  वह नौकरी करने के लिए आए हैं जुर्माना घर बेचकर थोड़े ना देंगे। रवि पाल ने कहा कि नए नियम में बदलाव नहीं हुआ तो वह बस चलना छोड़ देंगे।

वाराणसी ट्रक एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश रूपानी ने कहा है कि हिट एंड रन एक्ट देश की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देने वाले ट्रक चालकों के लिए काला कानून है। यह व्यवस्था ट्रांसपोर्ट क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचाने वाली साबित हो सकती है। इस कानून के लागू होने से बड़ी गाड़ियों या ट्रक चालकों को सजा से बचने के लिए अपना घर-बार भी बेचना पड़ जाएगा। गलती किसी की भी हो अक्सर कुसूरवार ट्रक चालकों या बड़ी गाड़ी चालकों को ही ठहराया जाता है। इसलिए सरकार को इस कड़े कानून को वापस लेना होगा अन्यथा बड़े पैमाने पर आंदोलन होगा।

मध्य प्रदेश में भी दिन भर थमी रही पहियों की रफ्तार

परिवहन मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने आंदोलनरत चालकाें से इस मुद्दे पर सरकार से चर्चा करने की अपील की है। उन्होंने कहा, ‘कानून बनाने का मतलब यह नहीं है कि यह उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने के लिए बनाया गया है। उन्हें चर्चा के माध्यम से इस मुद्दे को सुलझाना चाहिए। हम उनसे बात करेंगे।’ उन्होंने कहा कि सरकार प्राथमिकता के आधार पर लोगों और वाहनों की सुचारू आवाजाही सुनिश्चित करेगी।

प्रदर्शनकारी चालकों ने मुंबई-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग और इंदौर में कुछ सड़कों को भी अवरुद्ध कर दिया, जिससे आवश्यक वस्तुओं को ले जाने वाली गाड़ियों की आवाजाही प्रभावित हुई।

भोपाल में चालकों ने लालघाटी पर प्रदर्शन किया और सिटी बसें और अन्य वाहन रोके तथा कुछ प्रदर्शनकारी एमपी नगर के बोर्ड ऑफिस चौराहे पर भी एकत्र हुए। भोपाल के जिलाधिकारी आशीष सिंह ने कहा कि जिले में डीजल और पेट्रोल की कोई कमी नहीं है।

इंदौर जिला प्रशासन ने तेल कंपनियों और पेट्रोल पंप डीलर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के साथ भी बैठक की। बैठक में अतिरिक्त कलेक्टर गौरव बैनल ने तेल कंपनियों और डीलरों से ईंधन और एलपीजी की सुचारू आपूर्ति सुनिश्चित करने को कहा।

एक विज्ञप्ति में कहा गया कि प्रशासन ने बैठक में ड्राइवरों और परिवहन संघों के प्रतिनिधियों का पक्ष सुना और उनसे गुमराह नहीं होने को कहा।

औपनिवेशिक युग के भारतीय दंड संहिता की जगह लेने वाले भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत, लापरवाही से गाड़ी चलाकर गंभीर सड़क दुर्घटना का कारण बनने वाले और पुलिस या प्रशासन के किसी भी अधिकारी को सूचित किए बिना भागने वाले ड्राइवरों को 10 साल तक की सजा हो सकती है या सात लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है।

बोर्ड ऑफिस चौराहे पर एक प्रदर्शनकारी प्रमोद सिकरवार ने कहा, ‘नया कानून चालकों के हित के खिलाफ है। चालक किसी को मारना नहीं चाहते, लेकिन दुर्घटनाएं हो जाती हैं। ऐसे मामलों में लोग चालक के खिलाफ हो जाते हैं। हम मांग करते हैं कि नए कानून में संशोधन किया जाए।’ इंदौर में विरोध प्रदर्शन के तहत गंगवाल बस स्टैंड पर बसें सड़क पर खड़ी कर दी गईं।

‘मध्य प्रदेश पेट्रोलियम एसोसिएशन’ के अध्यक्ष अजय सिंह ने कहा, ‘हिट-एंड-रन मामलों में नया कानून सभी वाहनों पर लागू होगा, न कि केवल टैंकरों या ट्रकों पर। कुछ स्थानों पर समस्याएं हैं और लोग घबराहट में ईंधन इकठ्ठा करने के लिए परेशान हो रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि सड़क अवरोध के कारण कुछ स्थानों पर ईंधन टैंकर फंसे हुए हैं, लेकिन अधिकांश पेट्रोल पंपों पर पर्याप्त पेट्रोल और डीजल है।

‘ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस’ की परिवहन समिति के अध्यक्ष सीएल मुकाती ने इंदौर में कहा कि ,‘हिट एंड रन के मामलों में सरकार द्वारा अचानक पेश किए गए कड़े प्रावधानों को लेकर चालकों में आक्रोश है और उनकी मांग है कि इन प्रावधानों को वापस लिया जाए।’

उन्होंने कहा कि सरकार को ‘हिट एंड रन’ के मामलों में अन्य देशों की तर्ज पर सख्त प्रावधान लाने से पहले उनकी तरह बेहतर सड़क और परिवहन व्यवस्था सुनिश्चित करने पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

इससे पहले ड्राइवरों ने धार और शाजापुर जिलों में मुंबई-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। एक अन्य घटना में, इंदौर में गंगवाल बस स्टैंड के पास ड्राइवरों ने अपनी बसें चौराहे पर खड़ी कर दीं और धरना दिया, जिससे लोगों को असुविधा हुई।

इंदौर के विजय नगर चौराहे पर प्रदर्शनकारियों की सड़क जाम करने की कोशिश को पुलिस ने हल्के लाठीचार्ज से नाकाम कर दिया। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि ड्राइवरों ने लोगों को चार पहिया वाहनों से उतरने के लिए मजबूर किया।

सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) हेमंत चौहान ने बताया कि प्रदर्शनकारियों को कड़े शब्दों में चेतावनी देकर चक्काजाम खत्म कराया गया।उन्होंने बताया कि सड़क पर चक्काजाम करके यातायात बाधित करने वाले लोगों की पहचान कर उनके खिलाफ उचित कानूनी कदम उठाए जा रहे हैं।

इस बीच, सोशल मीडिया पर सामने आए एक वीडियो में सड़क पर विरोध प्रदर्शन के दौरान चालक यह आरोप लगाकर हंगामा करते नजर आ रहे हैं कि एक पुलिस अधिकारी ने उन्हें डराने के लिए पिस्तौल निकाल ली।

इंदौर के पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) उमाकांत चौधरी के मुताबिक, यह घटना क्षिप्रा थाना क्षेत्र में रविवार को सामने आई, लेकिन उन्होंने प्रदर्शनकारी चालकों का आरोप खारिज किया। उन्होंने कहा,‘पुलिस अधिकारी अपनी पिस्तौल को चमड़े के खोल में रख रहा था। उसका इरादा प्रदर्शनकारियों को डराने का नहीं था।’

ग्वालियर में रविवार को सिकरौदा इलाके में कुछ वाहन चालकों ने सड़क जाम कर दी, जिसके बाद पुलिस ने बिलौआ थाने में मामला दर्ज किया।

‘ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन’ (एआईएमटीए) की राज्य इकाई के अध्यक्ष सुनील माहेश्वरी ने कहा कि ट्रक या टैंकर मालिकों की कोई हड़ताल नहीं है। माहेश्वरी ने कहा, ‘कुछ टैंकर और ट्रक चालकों ने अपने वाहन खड़े कर दिए हैं। उन्हें सूचित किया जा रहा है कि नए कानून सिर्फ ट्रक चालकों पर ही नहीं बल्कि वाहन चलाने वाले हर व्यक्ति पर लागू होते हैं। फिलहाल कोई हड़ताल नहीं होगी।’

ग्वालियर जिला पेट्रोल पंप एसोसिएशन के संरक्षक दीपक सचेती ने बताया कि रविवार को कुछ समय के लिए रायरू स्थित पेट्रोल डिपो से कुछ टैंकरों में पेट्रोल-डीजल नहीं आया। सचेती ने कहा कि केवल 10 प्रतिशत चालकों को नए नियम समझ में नहीं आए हैं, लेकिन उन्हें समझाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ग्वालियर में डीजल और पेट्रोल की कोई कमी नहीं है।

जबलपुर संभागायुक्त अभय वर्मा ने बैठक कर संबंधित प्रतिनिधियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिये कि डीजल और पेट्रोल की आपूर्ति प्रभावित न हो। उन्होंने कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी।

एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, बैठक में ईंधन आपूर्ति संघों के प्रतिनिधियों ने तुरंत ईंधन आपूर्ति करने पर सहमति व्यक्त की।

विज्ञप्ति के अनुसार, ‘भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 106 (2) के तहत यह आवश्यक नहीं है कि दुर्घटना करने वाले वाहन का चालक घटना स्थल पर ही रुके। वह कुछ दूर जाकर पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को फोन या अन्य माध्यम से दुर्घटना की जानकारी भी दे सकता है।’

क्या कहता है नया कानून-

जिस नियम को लेकर देशभर में बवाल मचा हुआ है वह हाल ही में संसद से पारित तीन नए कानून का हिस्सा है। दरअसल, आईपीसी की जगह लेने वाली भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 104 में हिट एन्ड रन का जिक्र किया गया है। यह धारा लापरवाही से मौत का कारण के लिए दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान करती है।

धारा 104(1) अनुसार,कोई व्यक्ति  बिना सोचे-समझे या लापरवाही से कोई ऐसा कार्य करके किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनता है जो गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में नहीं आता है, उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा।’

धारा 104(2) अनुसार , ‘कोई व्यक्ति  लापरवाही से वाहन चलाकर किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनता है, जो गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में आता है और घटना के तुरंत बाद किसी पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को इसकी सूचना दिए बिना भाग जाता है, उसे किसी भी अवधि के कारावास से दंडित किया जाएगा। जिसे दस साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी देना होगा।

हिट एंड रन मामले में नए कानून को लेकर उत्तर प्रदेश समेत 8 राज्यों में ट्रक, बस टैंकरों का आज लगातार चौथे दिन हड़ताल जारी है। मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार, छत्तीसगढ़, यूपी, उत्तराखंड, पंजाब और गुजरात में बड़ी संख्या में रोड पर ट्रकों की लंबी  कतारें देखने में आ रही हैं।

अगर यह हड़ताल जल्दी खत्म नहीं हुई तो हड़ताल का आम आदमी पर सीधा असर देखने को मिलेगा। ट्रकों से दूध, सब्जी, फलों की आवक नहीं होगी जिससे बाजार में इनकी कीमतों में उछाल आएगा। भारत में 28 लाख से ज्यादा ट्रक हर साल 100 अरब से ज्यादा की दूरी तय करते हैं । देश में 80 लाख से ज्यादा ट्रक ड्राइवर हैं जो हर दिन जरूरत का समान एक शहर से दूसरे शहर ट्रांसपोर्ट करते हैं।

राहुल ने बताया ट्रक ड्राइवरों को अर्थव्यवस्था की रीढ़ 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोटर चालकों से जुड़े ‘हिट-एंड-रन’ सड़क दुर्घटना मामलों के संबंध में नए दंड कानून के प्रावधानों को लेकर मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा और ट्रक चालकों को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ करार देते हुए कहा कि इसके परिणाम घातक हो सकते हैं।

देश भर के ट्रक चालकों ने नए दंड कानून के प्रावधानों के खिलाफ अलग-अलग राज्यों में विरोध- प्रदर्शन किया।

राहुल ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘सीमित कमाई वाले इस मेहनती वर्ग को कठोर कानूनी भट्टी में झोंकना उनकी रोजी-रोटी को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। और साथ ही, इस कानून का दुरुपयोग संगठित भ्रष्टाचार के साथ ‘वसूली तंत्र’ को बढ़ावा दे सकता है।’’

उन्होंने कहा कि प्रभावित वर्ग से चर्चा के बिना और बिना विपक्ष से संवाद किए कानून बनाने की ज़िद ‘लोकतंत्र की आत्मा’ पर निरंतर प्रहार है।

उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कहा, ‘‘जब 150 से अधिक सांसद निलंबित थे, तब संसद में ‘शहंशाह’ ने भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़, ड्राइवर्स के विरुद्ध एक ऐसा कानून बनाया जिसके परिणाम घातक हो सकते हैं। लोकतंत्र को चाबुक से चलाने वाली सरकार ‘शहंशाह के फरमान’ और ‘न्याय’ के बीच का फर्क भूल चुकी है।’’

ज्ञात हो कि जब संबंधित विधेयकों को संसद से पारित किया गया था तब 147 विपक्षी सदस्य दोनों सदनों से निलंबित थे।

 

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