Sunday, November 24, 2024
Sunday, November 24, 2024




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमविविधजल संकट को लेकर खनन प्रभावित गांव के लोगों ने 13 घंटे...

इधर बीच

ग्राउंड रिपोर्ट

जल संकट को लेकर खनन प्रभावित गांव के लोगों ने 13 घंटे तक किया चक्काजाम

माकपा के नेतृत्व में लोगों की नाराजगी देख एसईसीएल आया हरकत में कोरबा (छत्तीसगढ़)। बांकीमोंगरा क्षेत्र के खनन प्रभावित गांव बांकी बस्ती, मड़वाढोढा और पुरैना में एसईसीएल द्वारा जल आपूर्ति रोके जाने से परेशान सैकड़ों ग्रामीणों ने पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की पार्षद राजकुमारी कंवर के नेतृत्व में बांकी बस्ती के […]

माकपा के नेतृत्व में लोगों की नाराजगी देख एसईसीएल आया हरकत में

कोरबा (छत्तीसगढ़)। बांकीमोंगरा क्षेत्र के खनन प्रभावित गांव बांकी बस्ती, मड़वाढोढा और पुरैना में एसईसीएल द्वारा जल आपूर्ति रोके जाने से परेशान सैकड़ों ग्रामीणों ने पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की पार्षद राजकुमारी कंवर के नेतृत्व में बांकी बस्ती के पास चक्काजाम कर दिया। चक्काजाम सुबह 10 बजे से रात 11 बजे तक चला। तीन बार की वार्ता विफल होने के बाद कटघोरा एसडीएम कौशल प्रसाद तेंदुलकर की मध्यस्थता और एसईसीएल कोरबा महाप्रबंधक अजय तिवारी की उपस्थिति में वार्ता हुई। इसके बाद अगली सुबह से ही पाईप लाईन सर्वे का काम शुरू करने के सकारात्मक आश्वासन के बाद चक्काजाम समाप्त हुआ।

चक्काजाम के कारण ट्रकों की लंबी लाईन लग गई थी, जिसके बाद एसईसीएल प्रबंधन को मजबूर होकर माकपा व किसान सभा नेताओं और आंदोलनकारी ग्रामीणों की मांगें माननी पड़ीं। बैठक में माकपा ने खदान प्रभावित बांकी बस्ती, पुरैना, मड़वाढोढा गांव में पेयजल और निस्तरी के लिए पूर्व की तरह पानी देने की मांग की। कोरबा महाप्रबंधक ने कहा कि बांकी बस्ती और पुरैना गांव के पाईप लाईन का सर्वे किया गया है, जल्द ही जिला प्रशासन के साथ मिलकर पूर्व की तरह पाईप लाईन के माध्यम से पानी की व्यवस्था की जायेगी। तालाब को भरने की व्यवस्था और गांव में नया बोर होल जल्द कराने का आश्वासन भी दिया गया।

यह भी पढ़ें…

सामुदायिक वन अधिकार से कितना बदलेगा आदिवासियों का जीवन

उल्लेखनीय है कि कोयला खनन के कारण प्रभावित गांवों में जलस्तर काफी गिर चुका है और अपने सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत एसईसीएल ही पीने, निस्तारी और सिंचाई के लिए पानी का प्रबंध करते आया है। लेकिन बांकी खदान बंद होने के बाद अब अचानक एसईसीएल द्वारा इन गांवों में जल आपूर्ति रोक दी गई है, जिससे यहां के ग्रामीणों की न केवल दैनिक दिनचर्या गड़बड़ा गई है, बल्कि खेती-किसानी पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है।

माकपा नेता प्रशांत झा ने आरोप लगाया है कि बांकी खदान से कमाई बंद होते ही अब एसईसीएल अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों को पूरा करने से आना-कानी कर रही है, जबकि किसानों की आजीविका सुनिश्चित करना, उसकी जिम्मेदारी है और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को पाना ग्रामीणों का अधिकार है। किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर ने कहा कि तीनों गांवों को पानी नहीं मिलेगा, तो फिर ग्रामीण अनिश्चितकालीन कोल परिवहन बंद करेंगे।

यह भी पढ़ें…

सामुदायिक वन अधिकार से कितना बदलेगा आदिवासियों का जीवन

माकपा के इस आंदोलन को छत्तीसगढ़ किसान सभा ने भी अपना समर्थन दिया और बड़ी संख्या में किसान सभा के कार्यकर्ता भी आंदोलन में शामिल हुए। त्रिपक्षीय वार्ता में कोरबा सिविल एसओ भानु, सुराकछार सबएरिया मैनेजर पी. मावावाला, माकपा नेता प्रशांत झा, जवाहर सिंह कंवर, अजीत सिंह कंवर, दामोदर, दीपक साहू आदि भी शामिल थे।

प्रशांत झा, माकपा, कोरबा के सचिव हैं।

गाँव के लोग
गाँव के लोग
पत्रकारिता में जनसरोकारों और सामाजिक न्याय के विज़न के साथ काम कर रही वेबसाइट। इसकी ग्राउंड रिपोर्टिंग और कहानियाँ देश की सच्ची तस्वीर दिखाती हैं। प्रतिदिन पढ़ें देश की हलचलों के बारे में । वेबसाइट को सब्सक्राइब और फॉरवर्ड करें।
1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here