Sunday, October 26, 2025
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राजस्थान : मिट्टी से भविष्य की फसल उगाते युवा

पिछले कई दशकों में युवा गांव में खेती-किसानी की जगह शहरी नौकरियों, मेट्रो-ज़िंदगी और शहरों की चमक-दमक की तरफ खिंचे चले आए हैं। लेकिन अब एक बार फिर से बदलाव नजर आने लगा है। कुछ युवा वापस गाँव और खेती की तरफ लौट रहे हैं या कम-से-कम खेती को एक सम्मानजनक, तकनीकी और लाभदायक करियर विकल्प के रूप में देखते हुए लाखों की आमदनी कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ में बिजली दरों में वृद्धि : अमीरों को राहत लेकिन किसानों और गरीबों पर बढ़ेगा भार

छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग ने बिजली की दरों में भारी वृद्धि की घोषणा की है। 100 यूनिट तक उपभोग करने वाले लोगों पर, जिनमें से एकल बत्ती कनेक्शन धारी और गरीबी रेखा के नीचे और कम आय वर्ग के लोग शामिल हैं, उन पर 20 पैसे प्रति यूनिट का अतिरिक्त भार डाला गया है। जबकि कृषि क्षेत्र के लिए प्रति यूनिट 50 पैसे वृद्धि की गई है।

 टैरिफ युद्ध : क्या हम तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं?

डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को अमेरिका की मुक्ति का दिन घोषित किया है। इसी दिन ट्रंप ने पूरी दुनिया के खिलाफ टैरिफ युद्ध छेड़ा है,जो अब तक के बनाए तमाम पूंजीवादी नियमों और बंधनों को तोड़कर केवल अमेरिकी प्रभुत्व और नियंत्रण की इच्छा से संचालित होता है। यह प्रभुत्व और नियंत्रण की इच्छा न्याय की किसी भी भावना और अवधारणा को कुचलकर आगे बढ़ना चाहती है।

राजस्थान के लोहार समुदाय के अस्तित्व और संघर्ष की कहानी : जब बर्तन बिकेंगे, तब खाने का इंतजाम होगा

लोहे के बर्तन बनाना लोहार समुदाय के लिए केवल एक व्यवसाय नहीं, बल्कि उनकी पहचान और अस्तित्व का प्रतीक है। लेकिन बदलते समय के साथ उनके लिए रोज़ी रोटी चलाना मुश्किल होता जा रहा है। नयी तकनीक, सस्ते विकल्प और बदलते उपभोक्ता व्यवहार ने उनके पारंपरिक काम को संकट में डाल दिया है।

दाल देख और दाल का पानी देख!

नेफेड और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता फेडरेशन (एनसीसीसीसी) बता रहा है कि सरकार के गोदाम में केवल 14.5 लाख टन दाल ही बची है, जो कि न्यूनतम आवश्यकता का केवल 40% ही है। इसमें तुअर दाल 35000 टन, उड़द 9000 टन, चना दाल 97000 टन ही है, जिसे लोग खाने में सबसे ज्यादा पसंद करते हैं। इन दालों की जगह दूसरी दाल के इस्तेमाल के बारे में सोचें, तो मसूर दाल का स्टॉक भी केवल पांच लाख टन का ही बचा है। भारत के संभावित दाल संकट पर संजय पराते।

सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 150 रुपये बढ़ाकर 2,275 रुपये प्रति क्विंटल किया

एमएसपी किसानों के हितों की रक्षा के लिए सुनिश्चित की गई न्यूनतम दर है, जिससे नीचे सरकारी खरीद एजेंसियों द्वारा अनाज नहीं खरीदा जाता है।

भूख सूचकांक में भारत की गिरावट के लिए सरकार की जनविरोधी नीतियां जिम्मेदार

देश के कृषि संकट को पहचानने और बेरोजगारी, गरीबी और खाद्य असुरक्षा की बिगड़ती स्थिति से निपटने के बजाए मोदी सरकार ने पिछले बजट में खाद्य सब्सिडी में 90,000 करोड़ रुपये की कटौती की थी। इसी तरह, अन्य सामाजिक कल्याण की  योजनाओं पर और मनरेगा आबंटन में भी 30 प्रतिशत की कटौती की गई है।

कॉफी का केंद्र बन रहा उड़ीसा का जनजातीय बहुल कोरापुट जिला

जयपुर जमींदारी के 1951 में समाप्त होने के बाद राज्य सरकार ने 1958 में मृदा संरक्षण विभाग के जरिए जिले की मचकुंड जल विद्युत परियोजना के मचकुंड बेसिन में गाद को रोकने के उपाय के रूप में कॉफी के बागान लगाए, लेकिन जिले को कॉफी बागानों के लिए एक गैर-पारंपरिक क्षेत्र नामित कर दिया गया।

थोक मुद्रास्फीति लगातार छठे महीने गिरी, सितंबर महीने में 0.26 प्रतिशत घटी

सब्जियों की महंगाई में गिरावट रही और यह शून्य से नीचे 15 प्रतिशत रही, जबकि अगस्त में यह 48.39 प्रतिशत थी। आलू की बात करें तो सितंबर में यह शून्य से नीचे 25.24 प्रतिशत रही, जबकि पिछले महीने में यह शून्य से नीचे 24.02 प्रतिशत थी।

आईसीईए के चेयरमैन ने कहा, उद्योग का मनोबल सबसे निचले स्तर पर

घरेलू उपकरण विनिर्माता लावा इंटरनेशनल के संस्थापक हरिओम राय की गिरफ्तारी पर यह टिप्पणी की गई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने चीन की कंपनी वीवो के खिलाफ कथित धनशोधन मामले में राय को गिरफ्तार किया है।

देश का निर्यात सितंबर में 2.6 प्रतिशत घटकर हो गया 34.47 अरब डॉलर

वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने निर्यात-आयात आंकड़ों पर मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि सितंबर के आंकड़े बता रहे हैं कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद निर्यात के मोर्चे पर आशा की किरण नजर आ रही है। उन्होंने शेष छह महीनों में देश के निर्यात में सकारात्मक वृद्धि की उम्मीद जतायी।
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