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ग्राउंड रिपोर्ट

क्या प्रधानमंत्री मोदी तय करेंगे कि मंदिर में कौन जाएगा : राहुल गांधी

नगांव। ऐसा लगता है कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों जब तब अयोध्या के राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठान समारोह सम्पन्न नहीं हो जाता है तब तक किसी भी व्यक्ति को मंदिरों में जाने और पूजा-पाठ की अनुमति नहीं होगी। ताजा उदाहरण असम के नगांव का है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी […]

नगांव। ऐसा लगता है कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों जब तब अयोध्या के राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठान समारोह सम्पन्न नहीं हो जाता है तब तक किसी भी व्यक्ति को मंदिरों में जाने और पूजा-पाठ की अनुमति नहीं होगी। ताजा उदाहरण असम के नगांव का है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी यहां के प्रसिद्ध मंदिर श्री श्री शंकर देव सत्र मंदिर में दर्शन के लिए जाना चाहते थे लेकिन राज्य की बीजेपी सरकार ने उन्हें मंदिर जाने की अनुमति नहीं दी। इस पर राहुल गांधी ने पूछा कि क्या प्रधानमंत्री मोदी तय करेंगे कि मंदिर में कौन जाएगा? दूसरी तरफ कांग्रेस सेवा दल के प्रमुख लालजी देसाई ने दावा किया कि जब तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अयोध्या में पूजा पूर्ण नहीं हो जाती किसी भी व्यक्ति को मंदिरों में पूजा-पाठ नहीं करने दिया जाएगा।

असम में श्री श्री शंकर देव सत्र मंदिर में जाने की अनुमति नहीं मिलने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि क्या प्रधानमंत्री मोदी तय करेंगे कि मंदिर में कौन जाएगा। हैबरगांव में अधिकारियों ने राहुल गांधी को बोरदुआ में श्री श्री शंकर देव सत्र मंदिर में जाने की अनुमति नहीं दी। इसके बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सहित कई पार्टी नेताओं ने धरना दिया।

राहुल गांधी को अन्य कांग्रेस नेताओं के साथ हैबरगांव में रोक दिया गया और आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी गई। कांग्रेस के पूर्व प्रमुख सोमवार को अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा शुरू करने से पहले स्थानीय देवता की पूजा करना चाहते थे।

अधिकारियों ने गांधी को मंदिर में जाने की अनुमति नहीं दी, जिसके विरोध में कांग्रेस की महिला नेताओं ने धरना दिया। बाद में गांधी भी उनके साथ धरने में शामिल हो गए। अधिकारियों ने बताया कि गांधी को अपराह्न तीन बजे मंदिर में जाने की अनुमति दी जाएगी। इसपर राहुल गांधी ने पुलिस से सवाल किया कि उन्हें मंदिर में जाने से क्यों रोका जा रहा है?

राहुल गांधी ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि वह शंकरदेव के दर्शन में विश्वास करते हैं क्योंकि ‘हम लोग लोगों को एक साथ लाने और नफरत फैलाने में विश्वास नहीं करते।’ उन्होंने आगे कहा कि हमें जाति पाति धर्म के भेदभाव को भुलाकर शंकरदेव को आदर्शों को अपने अन्दर आत्मसात करना चाहिए। मेरा मानना है कि असम और पूरे देश को शंकरदेव द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलना चाहिए।’ इस दौरान राहुल गांधी ने सवाल किया  ‘क्या प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) अब तय करेंगे कि कौन मंदिर जाएगा और कब जाएगा।’

राहुल गांधी के मंदिर जाने की खबरों के बीच श्री श्री शंकर देव सत्र मंदिर के आसपास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है और पुलिस बल की भारी तैनाती है। सड़कों पर भी नाकेबंदी कर दी गई है। स्थानीय सांसद तथा विधायक के अलावा किसी भी कांग्रेसी  नेता को मंदिर स्थल से करीब 20 किलोमीटर दूर हैबरगांव से आगे जाने की अनुमति नहीं दी गई। मीडिया दल को भी हैबरगांव से आगे जाने की इजाजत नहीं दी गई।

कांग्रेस सेवा दल के प्रमुख लालजी देसाई ने इस घटना को शर्मनाक करार देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री और असम के मुख्यमंत्री उन्हें मंदिर में प्रार्थना करने की अनुमति नहीं दे रहे हैं। लालजी देसाई ने कहा, ‘ यह अत्याचार है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री तय करेंगे कि देश में कौन किस समय प्रार्थना करेगा।’

देसाई ने दावा किया, ‘जब तक प्रधानमंत्री (अयोध्या में) पूजा नहीं करते, तब तक किसी को भी कहीं भी प्रार्थना करने की अनुमति नहीं है। यहां कोई लोकतंत्र नहीं है। अब सरकार तय करेगी कि लोग मंदिरों में कब प्रार्थना करेंगे।’

बहरहाल जो भी हो इस पूरे घटना से एक ही बात समझ में आती है कि बीजेपी हाईकमान के इशारे पर ही राहुल गांधी को असम के श्री श्री शंकर देव सत्र मंदिर में जाने से रोका गया। कुल मिलाकर देखा जाय तो बीजेपी का यह रवैया किसी तानाशाही से कम नहीं है।

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