दिल्ली। आज जब विपक्षी गठबंधन ’इंडिया’ दिल्ली के जंतर-मंतर से लेकर पूरे देश में सड़क पर आंदोलनरत है, बिहार की सियासत में इस गठबंधन को कमजोर करने की साजिशें खुलेआम पनप रही हैं। पिछले दो दिनों से बिहार के बड़े नेता भारतीय जनता पार्टी के ‘चाणक्य’ से मिलने के लिए दिल्ली में लाइन लगाए बैठे हैं, तो सियासी फिज़ा में कुछ अहम सवाल तैर रहे हैं।
क्या हफ्ते भर में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर पलटी मारेंगे? क्या बिहार में सरकार गिर जाएगी? क्या लोकसभा चुनाव के साथ ही बिहार में समय से पहले विधानसभा चुनाव हो जाएंगे? और आज ईडी के सामने पेशी के लिए बुलाए गए तेजस्वी यादव क्या नए साल से पहले गिरफ्तार हो जाएंगे?
19 दिसंबर के बाद
कभी राजनीति का ‘चाणक्य’ नीतीश कुमार को कहा गया था, तो इसकी काट में एक बड़े नेता ने उन्हें ‘परिस्थितियों का नेता’ कहा था। तीन दिन पहले ही नीतीश के लिए राजनीतिक परिस्थिति अचानक बदल गई जब 19 दिसंबर को ‘इंडिया’ गठबंधन की बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए प्रस्तावित कर के नीतीश की महत्वाकांक्षाओं पर पानी फेर डाला।
उसके बाद नीतीश तो बैठक से उठ कर चले ही गए, उनके पीछे जनता दल (युनाइटेड) के नेता बैठक में समोसा न होने और खड़गे के नाम से अपरिचित होने जैसी मामूली शिकायतें करते पाए गए। इन शिकायतों के राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं, लेकिन अटकलों से इतर जमीन पर बहुत कुछ घट रहा है।
अगले ही दिन राष्ट्रीय लोक जनता दल के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने ट्विटर पर लिख मारा, ‘’इंडी गठबंधन में श्री नीतीश कुमार जी की हालत पर एक शेर याद आता है, कि ‘न ख़ुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम, न इधर के रहे न उधर के हुए हम।‘ कुशवाहा जब यह शेर लिख रहे थे, उस दिन वे भी दिल्ली में ही थे और अब भी वहीं डेरा डाले हुए हैं।
इंडी गठबंधन में श्री @NitishKumar जी की हालत पर एक शेर याद आता है, कि…….
न ख़ुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम,
न इधर के रहे न उधर के हुए हम।।अब तो इंडी गठबंधन ने नीतीश जी को पीएम उम्मीदवार बनाने से साफ मना कर दिया। इधर बिहार में श्री @laluprasadrjd जी भी नीतीश जी को सीएम कुर्सी…
— Upendra Kushwaha (@UpendraKushRLJD) December 20, 2023
कहा जा रहा है कि कुशवाहा को दिल्ली इसलिए भागना पड़ा क्योंकि ‘इंडिया’ की बैठक के बाद रूठे नीतीश कुमार की भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से कुछ बात हुई थी। इस बात की पुष्टि नहीं की जा सकती कि भाजपा के साथ नीतीश कुमार का सौदा पटा या नहीं, लेकिन उनके चलते कुशवाहा को भाजपा का किया तीन सीटों का वादा खटाई में पड़ता दिखने लगा।
राष्ट्रीय लोक जनता दल के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा: तीन सीटों का संघर्ष
इसके बाद ही जेडीयू की कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की दिल्ली में 29 दिसंबर को बैठक बुला ली गई और पटना में लालू प्रसाद के परिवार को ईडी का समन चला गया। एक ही दिन जेडीयू कार्यकारिणी और परिषद की बैठक बुलाने को गंभीर माना जा रहा है। क्या नीतीश वाकई पाला बदलने की घोषणा उस दिन कर देंगे?
कुर्सी का मोह
जेडीयू के एक पुराने नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि नीतीश कुमार के पास अब अपनी कुर्सी बचाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। वे लालू प्रसाद की आरजेडी से नाता तोड़ के भाजपा के साथ जा सकते हैं और बदले में मध्यावधि चुनाव करवा के पांच साल तक अपनी कुर्सी को सुरक्षित रखने की जबान ले सकते हैं।
वे कहते हैं, ‘’दरअसल, नीतीश की सरकार आरजेडी के बगैर गिर जाएगी। अगर वे उससे नाता तोड़ कर भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाते हैं, तो खतरा यह होगा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत के बाद भाजपा उनकी कुर्सी के लिए खतरा पैदा कर देगी। इसीलिए नीतीश लोकसभा के साथ ही बिहार का चुनाव करवाना चाहेंगे ताकि कुर्सी बची रह सके।‘’
हो सकता है इसका फैसला जेडीयू की बैठक में 29 को औपचारिक रूप से हो जाए। तब उपेंद्र कुशवाहा के लिए दिक्कत पैदा हो जाएगी। यही बात कुशवाहा को खाये जा रही है। अगर नीतीश के साथ भाजपा का सौदा पट गया, तो कुशवाहा को शायद एक सीट से ही काम चलाना पड़े या हो सकता है वह भी न मिले। फिर कुशवाहा की सांसद बनने की तमन्ना खटाई में पड़ जाएगी।
कुशवाहा का 20 दिसंबर का ट्वीट इसके आगे के घटनाक्रम के संकेत देता है, जिसमें वे लिखते हैं, ‘’अब तो इंडी गठबंधन ने नीतीश जी को पीएम उम्मीदवार बनाने से साफ मना कर दिया। इधर बिहार में श्री लालू प्रसाद जी भी नीतीश जी को सीएम कुर्सी छोड़ने का दबाव बनाएंगे और भाई साहब मान गए तो ठीक, नहीं तो राजद के लोग धकियाकर नीतीश जी को सीएम की कुर्सी से हटा देंगे। फिर तो बड़के भइया क्या पीएम और क्या सीएम…..सारे रेस से बाहर हो जाएंगे।‘’
यह खतरा इतना आसन्न है कि इससे बचने के लिए नीतीश को आरजेडी पर लगाम लगानी होगी। पटना के सियासी हलकों में दो दिन से चर्चा है कि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर जमीन वाले प्रकरण में गिरफ्तारी की तलवार लटक सकती है।
आसन्न गिरफ्तारी
गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने लैंड फॉर जॉब घोटाले में लालू यादव, तेजस्वी और राबड़ी देवी तीनों को 20 दिसंबर को ही समन भेजा है। इस मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू अदालत में 6 जनवरी को अगली सुनवाई होनी है।
दिलचस्प है कि ईडी का समन इंडिया गठबंधन की बैठक के एक दिन बाद ही गया था। यह स्पष्ट नहीं है कि नीतीश और भाजपा की बातचीत के बाद यह समन गया या उसके पहले, लेकिन तेजस्वी यादव को इस मामले में आज पेश होना है और लालू यादव को हफ्ते भर बाद 27 दिसंबर को पेश होने के लिए कहा गया है।
इस मामले में ईडी 11 अप्रैल को तेजस्वी यादव से करीब आठ घंटे तक पूछताछ कर चुकी है। लालू प्रसाद को जांच में शामिल होने के लिए उसने पहली बार समन किया है। यह समन लालू परिवार के कथित करीबी अमित कात्याल से पूछताछ के बाद आया है जिसे ईडी ने नवंबर में गिरफ्तार किया था। यह प्रकरण उस समय का है जब लालू प्रसाद यादव संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की पहली सरकार में रेल मंत्री थे।
बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव: मंडरा रहा है गिरफ़्तारी का खतरा
गठबंधन की बैठक से 21 दिसंबर को पटना लौटे तेजस्वी ने ईडी की पूछताछ पर पत्रकारों से एयरपोर्ट पर कहा, ‘’मैं हमेशा से जा रहा हूं, ये तो रूटीन है। मैं पहले भी गया हूं। 2017 से 2023 तक मैं नियमित रूप से जाता रहा हूं, चाहे मुझे ईडी, इनकम टैक्स या सीबीआइ ने बुलाया हो। ये एजेंसियां क्या करेंगी, उन पर भी दबाव है। यह अब एक रूटीन बन गया है।”
माना जा रहा है कि इस बार की पूछताछ पहले की तरह ‘रूटीन’ नहीं होगी क्योंकि लोकसभा चुनाव करीब हैं, सियासी परिस्थितियां बदल चुकी हैं और नीतीश कुमार बेचैन हैं। इसीलिए तेजस्वी के दिल्ली आने पर ही संदेह है।
इस बीच नीतीश कुमार की नाराजगी पर जेडीयू और आरजेडी दोनों तरफ से लीपापोती जारी है, जिसके चलते जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह नीतीश के निशाने पर आ गए हैं। माना जा रहा है कि 29 दिसंबर को जेडीयू की बैठक में ललन सिंह की अध्यक्षी छिन सकती है।
संकट में ‘इंडिया’
इन सब घटनाक्रमों के बीच आज देश भर में इंडिया गठबंधन संसद से 146 सांसदों के निष्कासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहा है। छह दिन बाद कांग्रेस का स्थापना दिवस है। इस मौके पर पार्टी ने देश भर में कई कार्यक्रम करने की योजना बनाई है, जिसमें नागपुर में एक बड़ी रैली भी प्रस्तावित है।
इसी बीच राहुल गांधी एक बार फिर अपनी बेकाबू जुबान के चलते फंस चुके हैं। हाल में बीते चुनावों के प्रचार के दौरान उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर की एक टिप्पणी पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग को जल्द कार्रवाई करने को कहा है।
इंडिया गठबंधन के एक और अहम घटक आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी शराब घोटाले के मामले में ईडी ने समन भेजा है।
उधर मुंबई में गठबंधन के एक और घटक शिव सेना के उद्धव ठाकरे धड़े पर दिशा सालियान हत्याकांड के मामले में सीबीआइ की तलवार लटक रही है। इस मामले में अक्टूबर में उद्धव के बेटे आदित्य ठाकरे ने बंबई उच्च न्यायालय में एक आवेदन दाखिल किया था। मामला इस महीने फिर से गरमा गया है।
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