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क्या संजय राउत कांग्रेस की ढाल हैं?

कांग्रेस और गांधी परिवार के भविष्य को लेकर, राजनैतिक गलियारों में उठ रहे सवालों के बीच, क्या शिवसेना और शिवसेना के नेता संजय राऊत कांग्रेस और गांधी परिवार की राजनीतिक ढाल बनते हुए दिखाई दे रहे हैं ? यदि कांग्रेस और गांधी परिवार के गुजरे राजनैतिक जमाने की बात करें तो, 2004 के लोकसभा चुनाव […]

कांग्रेस और गांधी परिवार के भविष्य को लेकर, राजनैतिक गलियारों में उठ रहे सवालों के बीच, क्या शिवसेना और शिवसेना के नेता संजय राऊत कांग्रेस और गांधी परिवार की राजनीतिक ढाल बनते हुए दिखाई दे रहे हैं ?
यदि कांग्रेस और गांधी परिवार के गुजरे राजनैतिक जमाने की बात करें तो, 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने सोनिया गांधी के नेतृत्व में सबसे बड़े दल के रूप मे लोकसभा का चुनाव जीता था। लग रहा था कि देश की प्रधानमंत्री सोनिया गांधी बनेंगी, लेकिन विपक्ष ने सोनिया गांधी के ऊपर विदेशी होने का आरोप लगा दिया। तब ऐसा लगा था कि शायद केंद्र में कांग्रेस की सरकार भी न बने, लेकिन कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए का गठन हुआ और डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में केंद्र में यूपीए की सरकार बनी।
सोनिया गांधी प्रधानमंत्री तो नहीं बन पाईं लेकिन यूपीए की चेयरपर्सन बनीं। यूपीए के गठन में सबसे बड़ा योगदान आरजेडी नेता लालू प्रसाद यादव का था।
2004 से लेकर 2014 तक जब तक केंद्र में कांग्रेसनीत गठबंधन की सरकार रही तब तक लालू प्रसाद यादव कांग्रेस और गांधी परिवार की ढाल बनकर खड़े रहे।
लालू प्रसाद यादव के जेल जाने के बाद, कांग्रेस और गांधी परिवार की मजबूत ढाल कमजोर होती दिखाई देने लगी। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की बुरी हार होने के कारण, कांग्रेस न केवल सत्ताधारी भाजपा के निशाने पर आ गई बल्कि कांग्रेस के घटक दल भी, कांग्रेस की घटती लोकप्रियता पर सवाल खड़े करने लगे। कांग्रेस और गांधी परिवार की राजनीतिक लोकप्रियता पर भाजपा और कांग्रेस के घटक दल ही आवाज उठाते नजर नहीं आ रहे हैं बल्कि कांग्रेस के भीतर से भी सवाल उठने लगे हैं।
पश्चिम बंगाल में जीत की हैट्रिक बनाने के बाद, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कांग्रेस और गांधी परिवार को अपने राजनैतिक निशाने पर लेना शुरू किया। ममता बनर्जी की जीत की हैट्रिक का जश्न इतना बड़ा दिखाई देने लगा जिसे यदि लोकसभा के चुनाव 2024 की जगह 2021 में हो जाएं तो ममता बनर्जी देश की प्रधानमंत्री बन जाएँ। ममता बनर्जी जीत की हैट्रिक बनाने के बाद, देश प्रमुख पार्टियों के नेताओं से मिलने लगीं राजनीतिक गलियारों में संदेश सुनाई देने लगा कि, सत्तारूढ़ भाजपा का विकल्प कांग्रेस नहीं तृणमूल कांग्रेस होगी। इसी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विकल्प गांधी परिवार से नहीं बल्कि ममता बनर्जी होंगी? देश के राजनीतिक गलियारों और मुख्यधारा के मीडिया में यह चर्चा और बहस छिड़ गई की सत्तारूढ़ भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विकल्प देश के सामने आ गया है, लेकिन यह एक राजनैतिक बुलबुले की तरह आया और अब शांत-सा दिखाई देने लगा है?
इसकी वजह शायद शिवसेना और शिवसेना के नेता संजय राउत का मजबूत ढाल बनकर कॉंग्रेस और गांधी परिवार की रक्षा में मजबूती के साथ खड़ा होना है। ममता बनर्जी को सबसे बड़ी उम्मीद एनसीपी नेता शरद पवार से थी कि वे भाजपा और नरेंद्र मोदी का विकल्प बनने में उनकी मदद करेंगे लेकिन कांग्रेस और गांधी परिवार की ढाल बने संजय राउत ने फिलहाल ममता बनर्जी के इरादों पर ब्रेक लगा दिया है।

[bs-quote quote=”लालू प्रसाद यादव के जेल जाने के बाद, कांग्रेस और गांधी परिवार की मजबूत ढाल कमजोर होती दिखाई देने लगी। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की बुरी हार होने के कारण, कांग्रेस न केवल सत्ताधारी भाजपा के निशाने पर आ गई बल्कि कांग्रेस के घटक दल भी, कांग्रेस की घटती लोकप्रियता पर सवाल खड़े करने लगे। कांग्रेस और गांधी परिवार की राजनीतिक लोकप्रियता पर भाजपा और कांग्रेस के घटक दल ही आवाज उठाते नजर नहीं आ रहे हैं बल्कि कांग्रेस के भीतर से भी सवाल उठने लगे हैं।” style=”style-2″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]

शायद शिवसेना भी समझ रही है कि उसके लिए महाराष्ट्र में कांग्रेस बड़ी जरूरत है, क्योंकि महाराष्ट्र में एनसीपी का भविष्य केवल शरद पवार पर ही निर्भर है। शरद पवार के बाद एनसीपी का भविष्य क्या होगा यह अभी निश्चित नहीं है, लेकिन कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी है इसलिए महाराष्ट्र में भी कांग्रेस मजबूती के साथ हमेशा नजर आएगी। शिवसेना यह भी जानती है कि भाजापा उसका उपयोग कर सकती है लेकिन जब सत्ता में प्रमुखता की बात आएगी तब भाजपा शिवसेना को किनारे कर देगी और खुद सत्ता पर काबिज हो जाएगी। शिवसेना कांग्रेस के साथ रहकर महाराष्ट्र में स्वयं को प्रमुख पार्टी के रूप में मजबूती के साथ स्थापित कर सकती है। लेकिन शिवसेना न तो एनसीपी और न ही भाजपा के साथ मिलकर अपने आपको मजबूत स्थिति में कर पाएगी। यदि लालू की बात करें तो लालू प्रसाद यादव ने भी बिहार में ऐसा ही किया था। उन्होंने भी कांग्रेस की ढाल बनकर आरजेडी को बिहार में मजबूती के साथ बनाए रखा है। भले ही बिहार में लालू की सरकार नहीं हो मगर आरजेडी ने भाजापा को भी सरकार बनाने से रोक रखा है।

 

वरिष्ठ पत्रकार देवेंद्र यादव कोटा राजस्थान में रहते हैं। 
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