देश भर में 17,000 लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के खिलाफ अपना रोष प्रकट करते हुए ऑनलाइन गूगल फॉर्म के माध्यम से पत्र लिखकर चुनाव आयोग से कारवाई करने की मांग की है। राजस्थान में पीएम मोदी द्वारा दिए गए नफरती और विभाजनकारी भाषण के खिलाफ देश के नागरिक समाज में रोष है। देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी इस मामले में चुनाव आयोग से शिकायत की है। चुनाव आयोग की तरफ से इन शिकायतों पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। चुनाव आयोग इन शिकायतों पर मौन है। इन शिकायतों में पीएम मोदी पर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने, झूठ बोलने एवं मुस्लिम समुदाय का अपमान करने का आरोप है।
चुनाव आयोग के मौन रुख के बाद नागरिक समाज सोशल मीडिया जैसे मंचों के माध्यम से चुनाव आयोग की भूमिका पर लगातार सवाल उठा रहा है।
प्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं समाजसेवी गौहर रजा एक्स पर लिखते हैं, इलेक्शन कमीशन अभी तक ख़ामोश क्यों है, इस आदमी के प्रचार करने पर रोक लगा देना चाहिए, निष्कासित कर देना चाहिए, इस की संसद में सदस्यता रद्द कर देनी चाहिए, इस से इस्तीफ़ा मांगना चाहिए। आप इलेक्शन कमिश्नर होते तो क्या करते?
इलेक्शन कमीशन अभी तक ख़ामोश क्यों है, इस आदमी के प्रचार करने पर रोक लगा देना चाहिए, निष्कासित कर देना चाहिए, इस की संसद में सदस्यता रद्द कर देनी चाहिए, इस से इस्तीफ़ा मांगना चाहिए।
आप इलेक्शन कमिश्नर होते तो क्या करते?
— gauhar raza (@gauharraza9) April 22, 2024
सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील करुणा नंदी ने भी चुनाव आयोग के रुख को लेकर सवाल उठाया है। उन्होंने एक्स पर लिखा है, ‘पीएम मोदी के नफरत भरे भाषण में आदर्श आचार संहिता के साथ ही कई कानूनों का उल्लंघन हो रहा है, चुनाव आयोग कहां है ?’
Violation of multiple criminal laws on hate speech by the Prime Minister. Also election law. Where is the @ECISVEEP ?? https://t.co/45GR6t9nAB
— Karuna Nundy (@karunanundy) April 21, 2024
आपको बता दें 21 अप्रैल को प्रधानमंत्री मोदी राजस्थान के बासबाड़ा में एक चुनावी जनसभा को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने देश के मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरती और आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया था। अपने भाषण में पीएम मोदी ने मुस्लिम समुदाय को घुसपैठिया और ज्यादा बच्चे पैदा करने वाला बताया। आपको बता दें कि पीएम मोदी अपने माता-पिता की कुल 6 संतानों में तीसरे नंबर की संतान हैं।
पीएम मोदी ने अपने भाषण में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का हवाला देते हुए कहा, ‘पहले जब उनकी सरकार थी, उन्होंने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है. इसका मतलब ये संपत्ति इकट्ठी करके किसको बांटेंगे- जिनके ज्यादा बच्चे हैं उनको बांटेंगे. घुसपैठियों को बांटेंगे. आपकी मेहनत की कमाई का पैसा घुसपैठियों को दिया जाएगा? आपको मंजूर है ये?’
मुस्लिम समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करने के साथ ही पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक पुराने बयान में झूठ का तड़का लगाते हुए उसे तोड़-मरोड़कर पेश किया। विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने पीएम मोदी पर झूठ बोलने और कांग्रेस के घोषणापत्र को गलत तरीके से जनता के सामने पेश करने का आरोप लगाया है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक्स पर लिखा, ‘आज मोदी जी के बौखलाहट भरे भाषण से दिखा कि प्रथम चरण के नतीजों में INDIA जीत रहा है। मोदी जी ने जो कहा वो Hate Speech तो है ही, ध्यान भटकाने की एक सोची समझी चाल है। प्रधानमंत्री ने आज वही किया जो उन्हें संघ के संस्कारों में मिला है। सत्ता के लिए झूठ बोलना, बातों का अनर्गल संदर्भ बनाकर विरोधियों पर झूठे आरोप मढ़ना यह संघ और भाजपा की प्रशिक्षण की ख़ासियत है।देश की 140 करोड़ जनता अब इस झूठ के झाँसे में नहीं आने वाली। हमारा घोषणापत्र हर एक भारतीय के लिए है।सबकी बराबरी की बात करता है। सबके लिए न्याय की बात करता है। कांग्रेस का न्याय पत्र सच की बुनियाद पर टिका है, पर लगता है Goebbels रूपी तानाशाह की कुर्सी अब डगमगा रही है। भारत के इतिहास में किसी भी प्रधानमंत्री ने अपने पद की गरिमा को इतना नहीं गिराया, जितना मोदी जी ने गिराया है।
आज मोदी जी के बौखलाहट भरे भाषण से दिखा कि प्रथम चरण के नतीजों में INDIA जीत रहा है।
मोदी जी ने जो कहा वो Hate Speech तो है ही, ध्यान भटकाने की एक सोची समझी चाल है। प्रधानमंत्री ने आज वही किया जो उन्हें संघ के संस्कारों में मिला है।
सत्ता के लिए झूठ बोलना, बातों का अनर्गल…
— Mallikarjun Kharge (@kharge) April 21, 2024
क्या कहा था पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने?
पीएम मोदी ने मनमोहन सिंह के जिस बयान का जिक्र किया है वह 2006 का है। इस भाषण में मनमोहन सिंह ने कहीं भी ‘देश के संसाधनों पर मुस्लिमों को पहला हक है’ ऐसा कहीं नहीं बोला है। अपने भाषण में मनमोहन सिंह कहते हैं, ‘मेरा मानना है कि हमारी सामूहिक प्राथमिकताएं स्पष्ट हैं : कृषि, सिंचाई और जल संसाधन, स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर में महत्वपूर्ण निवेश, और सामान्य बुनियादी ढांचे के लिए सार्वजनिक निवेश की जरूरतों के साथ-साथ एससी/एसटी, अन्य पिछड़े वर्गों, अल्पसंख्यक और महिलाओं और बच्चों के उत्थान के लिए कार्यक्रम हों। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए घटक योजनाओं को दोबारा खड़ा करने की आवश्यकता होगी। हमें यह सुनिश्चित करने के लिए नई योजनाएं बनानी होंगी कि अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यकों को विकास के लाभों में समान रूप से साझा करने का अधिकार मिले. संसाधनों पर पहला दावा उनका होना चाहिए। केंद्र के पास अनगिनत अन्य जिम्मेदारियां भ्ही हैं, जिन्हें समग्र संसाधनों की उपलब्धता के हिसाब से देखना होगा।’