देखा जाय तो मिर्जापुर जिले में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। यहां के पीतल उद्योग को सरकार की ओर से अगर प्रोत्साहन मिलता तो यह बडे़ पैमाने पर लोगों की रोजी रोटी का साधन बनता। लेकिन दुख की बात है कि स्थनीय जनप्रतिनिधियों का जनता से कोई सरोकार नहीं है, जिसे लेकर जनता में आक्रोश भी है। इसका असर आने वाले चुनाव में भी देखने को भी मिलेगा।
सन 1950 से 1977 अर्थात 27 सालों में जनसंघ को सिर्फ छह प्रतिशत मतदाताओं ने पसंद किया था लेकिन 1963 के बाद डॉ. राम मनोहर लोहिया के गैर कांग्रेसी राजनीतिक कदम के चलते शिवसेना से लेकर मुस्लिम लीग और जनसंघ जैसे घोर सांप्रदायिक दलों के साथ गठजोड़ की वजह से जनसंघ को बहुत लाभ हुआ। इस लेख में जाने-माने लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ सुरेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीतिक विरासत के बहाने उनकी हताशा पर बात कर रहे हैं।
किसानों ने कहा कि पीएम ने किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था, पीएम मोदी ने नदियों को जोड़ने और जल संकट से निजात दिलाने का वादा किया था लेकिन कोई वादा पूरा नहीं हुआ।
मुस्लिम समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करने के साथ ही पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक पुराने बयान में झूठ का तड़का लगाते हुए उसे तोड़-मरोड़कर पेश किया।
कोई भी स्कूल तभी अपने यहां फीस वृद्धि कर सकता है जब सीपीआई (उपभोक्ता सूची सूचकांक) में बढ़ोत्तरी होती है। यही नहीं कोई भी स्कूल अभिभावक को किसी भी विशेष दुकान से कापी-किताब खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकता, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लागू किए गए अध्यादेश की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
8 फरवरी 2014 को भाजपा के घोषित पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने इम्फाल में 'न्यू होप, न्यू मणिपुर' रैली को संबोधित किया था। उन्होंने अपने भाषण में मणिपुर के लोगों को एक नई उम्मीद और नए मणिपुर का भरोसा दिया था।
देश में 2018 से नवंबर 2023 तक 400 से अधिक सफाईकर्मियों की मौत हुई है। 2018 में 76 मौतें, 2019 में 133, 2020 में 35, 2021 में 66, 2022 में 84 और नवंबर 2023 तक 49 मौतें दर्ज की गई थीं।
पिंडरा के ही चनौली बसनी के किसान राजनाथ पटेल सवाल उठाते हैं, ‘क्या यही अच्छे दिन हैं? क्या इसीलिए जनता ने मोदी जी को चुना था? आज तो किसान बद से बदतर स्थिति में पहुंच चुका है। आज किसानों को MSP के नाम पर सिर्फ बेवकूफ बनाया जा रहा है। सरकार अगर एमएसपी दे रही है तो फसलों की खरीद के लिए क्रय केन्द्र क्यों नहीं खोल रही है।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में भ्रष्टाचार और कोटेदारों की मनमानी आज भी जारी है। प्रधानमंत्री द्वारा गोद लिए गए गांव जयापुर की भी यही कहानी है, गरीबों की थाली से लूट जारी है।
जहां एक तरफ केंद्र की मोदी सरकार पीएम आवास योजना के तहत 3 करोड़ आवास बनाने का दावा ठोंक रही है वहीं प्रधानमंत्री मोदी द्वारा गोद लिए गांव 'जयापुर' में अभी भी कई परिवार झोंपड़पट्टी में रहने को मजबूर हैं।
पूर्व नौकरशाह ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधु का निर्वाचन आयुक्त के रूप में चयन किया गया। समिति की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी शामिल थे।
उलगुलान के महानायक बिरसा मुंडा करोड़ों आदिवासियों के लिए गौरव और गुमान के प्रतीक हैं। साथ ही उनका बलिदान आदिवासियों के सपनों की बुनियाद के साथ सियासत की धुरी भी है। लेकिन बिरसा की धरती पर ही उनके अनुयायी ‘बिरसाइत’ परिवारों की जिंदगी मुश्किलों में गुजर रही। विकास का पहिया इनके गांवों में पहुंचने से पहले क्यों ठहर जाता है, पड़ताल करती एक रिपोर्ट..
चिट्ठी में एसकेएम ने सी2+50 (पूंजी की इनपुट लागत+50%) के स्वामीनाथन फार्मूले के आधार पर सभी फसलों के लिए एमएसपी, खरीद की कानूनी गारंटी, कर्ज माफी, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं और स्मार्ट मीटर नहीं लगाने सहित अपनी मांगों का जिक्र किया है।
वाराणसी। बढ़ती बेरोज़गारी के बावजूद राजातालाब के ठेला-पटरी व्यवसायियों को उजाड़ा जा रहा हैं। राजमार्ग के ओवरब्रिज के नीचे और दोनों किनारे दुकानें लगाकर...