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रातों और सड़कों पर अपने अधिकार का मार्च

14 अगस्त, 2022 दिन रविवार को मेरी रातें मेरी सड़कें अभियान के तहत वाराणसी शहर की महिलाओं, लड़कियों व ट्रांस पर्सन्स ने अस्सी घाट पर सांस्कृतिक कार्यक्रम किया और मार्च निकाला। कार्यक्रम रात 11 बजे से शुरू हुआ। इस कार्यक्रम के दौरान शामिल विभिन्न समुदायों की महिलाओं, लड़कियों व ट्रांस व्यक्तियों ने आज़ादी और बराबरी […]

14 अगस्त, 2022 दिन रविवार को मेरी रातें मेरी सड़कें अभियान के तहत वाराणसी शहर की महिलाओं, लड़कियों व ट्रांस पर्सन्स ने अस्सी घाट पर सांस्कृतिक कार्यक्रम किया और मार्च निकाला। कार्यक्रम रात 11 बजे से शुरू हुआ। इस कार्यक्रम के दौरान शामिल विभिन्न समुदायों की महिलाओं, लड़कियों व ट्रांस व्यक्तियों ने आज़ादी और बराबरी के गीत गाये, कविता व नृत्य के द्वारा अपने तरह के अनूठे किस्म का आयोजन किया। रात और सड़क ये दो मजबूत संदेश देने वाले प्रतिक के रूप में इस अभियान का हिस्सा है। घाट पर आयोजित हुई सभा में वक्ताओं ने महिलाओं व ट्रांस व्यक्तियों के विरुद्ध बढ़ते अपराधों और अपराधियों पर कार्यवाही के बजाय पीड़ितों को ही कटघरे में खड़े किये जाने की प्रवृत्ति पर सवाल खड़ा किया गया। सभा के बाद आज़ादी के प्रतीक बहुलतावादी तिरंगे झंडे को हाथों में लेकर लहराते हुए एक मार्च निकाला गया।

सोशल मीडिया पर लड़कियों-महिलाओ की तस्वीरों और निजी जानकारी का दुरुपयोग का कोई संज्ञान ही नहीं लेता। बुल्ली बाई ऐप पर महिला पत्रकारों, सेलिब्रेटियों के तस्वीरों के साथ उनकी नीलामी की बोली लगाई जाती है। उनके मोबाईल नंबर सार्वजनिक कर दिए जाते हैं। इन शर्मनाक घटनाओं की पुनरावृत्ति कदापि नहीं होनी चाहिए।

कार्यक्रम के विषय में एक युवती ने बताया कि आज के आयोजन से वस्तुतः हम पितृसत्तात्मक सोच को चुनौती देना चाहते हैं जो महिलाओं को सुरक्षा के नाम पर घरों में कैद करने का नियम बनाती है। उपस्थित महिलाओं ने एक स्वर से तय किया की आज की यह आधी रात की जुटान एक शुरुआत भर है। इन्हीं अनूठे तरीकों से आगे समाज में बराबरी और सुरक्षा की लड़ाई लड़ी जाएगी। सभी महिलाओं ने मिलकर ये तय किया कि हम आगे इन सारे मुद्दों पर समाज और सरकार से संवाद करेंगे। कार्यक्रम में शामिल महिलाएं, लड़कियां व ट्रांस व्यक्ति हर जाति, धर्म और संगठन से परे सिर्फ अपने हक़ के लिए इकठ्ठा हुए साथ ही एक-दूसरे से ये वायदा किये कि हम सभी मिलकर समाज की इन रूढ़ियों को तोड़ेंगे।

मार्च के दौरान मौजूद लोग

महिलाओं व ट्रांस के विरूद्ध होने वाली प्रत्येक घटनाओं के बाद मंत्रियों, नेताओं और समाज में पितृसत्ता के समर्थकों द्वारा लड़कियों को ही जिम्मेदार बताने वालों को आड़े हाथों लिया गया। मार्च को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि आज पूरा देश आज़ादी के जश्न में डूबा है। कहीं परेड, कहीं झांकियां, कहीं आज़ादी की वीर गाथाएं, कहीं भाषण और इन सबके बीच कहीं एक निर्भया, शबीना, रागिनी नामों की तमाम लड़कियां घर से बाहर आज़ादी तलाशती हुए खतरों का सामना करते त्रासद गुलाम सदृश ज़िन्दगी जीने को मजबूर हैं। कहा कि क्या कभी महसूस किया है आपने कैसा लगता होगा जब आप कुछ बनने का सपना लेकर घर से बाहर कदम रखें और बाहर निकलते ही किसी की हैवानियत भरी नज़र आपकी छाती पर तो कभी शरीर के दूसरे अंगों पर होती है? आप उनसे बचते-बचाते फिर आगे बढ़ते हैं और फिर वही नज़र अब आपका पीछा करती रहती हैं। आपके विरोध के बावजूद भी आपको छूने की कोशिश की जाती है और फिर, फिर तो कहानी अख़बारों में छपती है। यकीन मानिये देश में आधी आबादी इसी डर के साये में जी रही है, इसी डर के साथ वो स्कूल/ कॉलेज, कार्यस्थल और यहाँ तक कि कई बार घर में भी रहती है।

इस तरह की घटनाएं पूरी दुनिया में हो रही हैं, ये मानते हुए सरकार, प्रशासन और समाज अपनी भूमिका से जवाबदेही से मुंह नहीं मोड़ सकती। यह दुःखद है कि केंद्रीय स्तर पर एक अभियान बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जोर-शोर से चल रहा है और दूसरी तरफ महिलाओं के प्रति होती घटनाओं पर उन्हें ही रात में निकलने का दोषी मानते हुए एक लम्बी सलाह की लिस्ट और धमकी थमा दी जाती है। रोमियो स्कवाड के रहते हुए ही हाथरस की दुखद घटना घटी। सोशल मीडिया पर लड़कियों-महिलाओ की तस्वीरों और निजी जानकारी का दुरुपयोग का कोई संज्ञान ही नहीं लेता। बुल्ली बाई ऐप पर महिला पत्रकारों, सेलिब्रेटियों के तस्वीरों के साथ उनकी नीलामी की बोली लगाई जाती है। उनके मोबाईल नंबर सार्वजनिक कर दिए जाते हैं। इन शर्मनाक घटनाओं की पुनरावृत्ति कदापि नहीं होनी चाहिए।

अस्सी घाट पर सांस्कतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति

मार्च में महिलाओं व ट्रांस व्यक्ति के समर्थन में पुरुष भी अच्छी संख्या में शामिल रहे। कार्यक्रम का संचालन इंदु पांडेय ने किया। रणधीर, नीति, मैत्री, सुजाता चक्रवर्ती, विजेता, जागृति राही, मुनीज़ा खान, पारमिता, नीता चौबे, ज्योति, रवि, एकता, पूजा वर्मा, मीनाक्षी, चिंतामणि, रितेश, निशानी, प्रवीण दुबे, युद्धवेश, पीयूष, राहुल, पूरणा, रणधीर, निहार, आरिफ, सुरेंद्र सिंह, नंदलाल मास्टर, सलमान, करीना, सोनू, बिंदु सिंह, वंदना, राज अभिषेक, दिनेश यमन, रजत, शहजादी, कुसुम, धनंजय, रामजनम, रोहित राणा सहित बड़ी संख्या में लोगो की भागीदारी रही।

 

इन्दु पांडेय दख़ल संगठन से संबद्ध हैं।

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