Wednesday, July 3, 2024
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बीएचयू के कार्डियोलॉजी विभाग में अब धमनियों के मरीजों का भी होगा इलाज

वाराणसी। बीएचयू के सर सुंदरलाल चिकित्सालय के कार्डियोलॉजी विभाग में मरीजों के लिए वरदान बनने वाले लगभग दो करोड़ की लागत से दो नई मशीनों से हृदय रोगियों के रक्त वाहिकाओं की सूक्ष्म और सटीक चिकित्सा का मार्ग प्रशस्त हो गया। इस उपलब्धि की पहल भारतीयों को सम्पूर्ण चिकित्सा मिलने के पक्षधर और कार्डियोलॉजिस्ट विभाग […]

वाराणसी। बीएचयू के सर सुंदरलाल चिकित्सालय के कार्डियोलॉजी विभाग में मरीजों के लिए वरदान बनने वाले लगभग दो करोड़ की लागत से दो नई मशीनों से हृदय रोगियों के रक्त वाहिकाओं की सूक्ष्म और सटीक चिकित्सा का मार्ग प्रशस्त हो गया। इस उपलब्धि की पहल भारतीयों को सम्पूर्ण चिकित्सा मिलने के पक्षधर और कार्डियोलॉजिस्ट विभाग के हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉ. ओमशंकर ने की थी।

उद्घाटन के दौरान भारतीय चिकित्सा विज्ञान (बीएचयू) के निदेशक डॉ. एसएन शंखवार ने कहा कि इस मशीन की स्थापना से बीएचयू जहाँ विश्व के गिने चुने संस्थानों में एक हो गया है। वहीं मरीजों के लिए विश्वस्तरीय उन्नत तकनीक से विकसित यह मशीनें संजीवनी बनेंगी। वहीं डॉ. ओमशंकर ने कहा कि विश्वस्तर की यह टेक्नोलॉजी उनके मुहिम तथा डॉक्टरों और मरीजों के लिए सकारात्मक परिणाम ही नहीं देंगी, अपितु चिकित्सा के क्षेत्र में इंट्रा वैस्कुलर अल्ट्रासाउंड मशीन (आईवीयूएस) तथा इंट्राकार्डियल अल्ट्रासाउंड (आईसीई) पहले की मशीनों की तुलना में क्रांतिकारी साबित होगा। कहा कि हम इस मशीन की सटीकता से जहाँ बाईपास सर्जरी के आधिकारिक मरीजों का समाधान बगैर बाईपास के कर सकेंगे। वहीं दो छल्ले पड़ने वाले रोगियों में एक ही छल्ला प्लांट कर उनका निदान कर सकेंगे।

डॉ. ओमशंकर ने इस मशीन की विशेषता बताते हुए कहा कि पहले हमें नसों के अंदर का हाल ऊपर से समझाना पड़ता अब यह नई मशीन नसों के अंदर की भी अल्ट्रासाउंड कर नसों के अपशिष्ट मसलन नसों में जमा कैल्शियम, कोलेस्ट्रॉल आदि की सफाई कर मरीजों को और बेहतर परिणाम देंगे। बताया कि बीएचयू हृदय रोग विभाग में औसतन हर दिन 20 से 25 मरीजों की एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी होती है, इसमें तीन से चार ऐसे मरीज होते हैं, जिनके धमनियों में ब्लॉकेज के बारे में सही जानकारी नहीं मिल पाती है। इस कारण कभी-कभी मरीजों को बाईपास सर्जरी के लिए दिल्ली, मुंबई सहित अन्य संस्थान में रेफर करना पड़ता था, लेकिन इन मशीनों के आ जाने से धमनियों के ब्लॉकेज के बारे में पूरी बारीकी से जानकारी मिल जाएगी।

डॉ. ओमशंकर का कहना है कि आईएमएस बीएचयू यूपी का पहला ऐसा चिकित्सा संस्थान बन गया है जो की इस तरह की आधुनिक मशीन और ब्लॉकेज खोलने में सफल होगा। आने वाले कुछ दिनों में और कई मशीन मंगाई जाएगी जिससे कि मरीजों को दिल्ली मुंबई सहित अन्य बड़े शहरों के तरफ नहीं जाना पड़ेगा। कम से कम खर्च में उन्हें हर आधुनिक सुविधाएँ मिलने लगेंगी। इस दौरान कोलकाता में मेडिका सुपर स्पेशियलिटी सेंटर के निदेशक डॉक्टर दिलीप कुमार ने भी आईएमएस बीएचयू हृदय रोग विभाग में जुड़ी सुविधा की सराहना की। उन्होंने कैथ लैब में एक मरीज की एंजियोप्लास्टी भी डॉक्टरों के साथ मिलकर की। कहा कि जिस तरह से हृदय रोग के मरीज बढ़ते जा रहे हैं उसे दिशा में यह मशीन बहुत कारगर सिद्ध होगी।

उद्घाटन के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि निदेशक भारतीय चिकित्सा विज्ञान बीएचयू के डॉ. एसएन शंखवार, कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. ओमशंकर, मेडिका सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल कोलकाता के डायरेक्टर डॉ. दिलीप, अनुभाग अधिकारी हृदय रोग जीतेंद्र कुमार समेत तमाम लोगों की मौजूदगी रही।

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