Sunday, October 6, 2024
Sunday, October 6, 2024




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमराजनीतिखेती में नए प्रयोग के लिए जाने जाते हैं बिहार के लोग:...

इधर बीच

ग्राउंड रिपोर्ट

खेती में नए प्रयोग के लिए जाने जाते हैं बिहार के लोग: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

पटना(भाषा)।  राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को कहा कि बिहार के किसान खेती में नए प्रयोगों के लिए जाने जाते हैं, वहीं उन्होंने कृषि के परंपरागत तरीकों को बचाए रखा है। राष्ट्रपति ने इसे आधुनिकता के साथ परंपरा के सामंजस्य का अच्छा उदाहरण बताया। राष्ट्रपति ने यहां बिहार का चौथा कृषि रोड मैप (2023-2028) का […]

पटना(भाषा)।  राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को कहा कि बिहार के किसान खेती में नए प्रयोगों के लिए जाने जाते हैं, वहीं उन्होंने कृषि के परंपरागत तरीकों को बचाए रखा है। राष्ट्रपति ने इसे आधुनिकता के साथ परंपरा के सामंजस्य का अच्छा उदाहरण बताया।

राष्ट्रपति ने यहां बिहार का चौथा कृषि रोड मैप (2023-2028) का लोकार्पण करते हुए कहा, ‘आज कृषि बिहार की लोक-संस्कृति का एक अहम हिस्सा है। बटोहिया और बिदेसिया से लेकर कटनी और रोपनी गीतों तक की बिहार की लोक संस्कृति और साहित्य की यात्रा ने पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाई है।’

उन्होंने कहा, ‘मैंने सूरीनाम की अपनी यात्रा के दौरान वहां पुरातन बिहार की झलक देखी। विशाल भौगोलिक दूरी और अलग-अलग ‘टाईम जोन’ में होने के बावजूद बिहार से गए लोगों ने जहां एक ओर अपनी संस्कृति और परंपरा को संजोए रखा वहीं वे स्थानीयता में भी रच-बस गए हैं।’

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, ‘बिहार की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। मानव सभ्यता के विकास और कृषि के बीच घनिष्ठ संबंध रहा है। कृषि बिहार की अर्थव्यवस्था का आधार है। कृषि और संबद्ध क्षेत्र में न केवल राज्य का लगभग आधा कार्यबल लगा हुआ है बल्कि राज्य जीडीपी में भी इसका अहम योगदान है। इस प्रदेश की उन्नति के लिए कृषि क्षेत्र का सर्वांगीण विकास अत्यंत आवश्यक है।’

उन्होंने कहा, ‘यह प्रसन्नता का विषय है कि बिहार सरकार वर्ष 2008 से ही कृषि रोड मैप का क्रियान्वयन कर रही है। मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि पिछले तीन कृषि रोड मैप के क्रियान्वयन के फलस्वरूप राज्य में धान, गेहूं और मक्का की उत्पादकता लगभग दुगनी हो गई है। साथ ही बिहार मशरूम, शहद, मखाना और मछली उत्पादन में भी अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है।’

राष्ट्रपति ने कहा, ‘बिहार के किसान खेती में नए-नए प्रयोगों को आजमाने और अपनाने के लिए जाने जाते हैं। यही वजह है कि नोबेल पुरस्कार से सम्मानित एक अर्थशास्त्री ने नालंदा के किसानों को वैज्ञानिकों से भी महान कहा था। यह प्रसन्नता की बात है कि आधुनिक पद्धति को अपनाते हुए भी यहां के किसानों ने कृषि के परंपरागत तरीकों और अनाज की क़िस्मों को बचाए रखा है।’

उन्होंने कहा कि जैविक उत्पादों की मांग देश-विदेश में तेजी से बढ़ रही है और बिहार के किसानों को इसका लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि बिहार सरकार ने जैविक खेती के लिए गंगा नदी के तटीय जिलों में जैविक कोरिडोर बनाया है।

मुर्मू ने कहा कि बिहार में अधिकांश किसान सीमांत किसान हैं और उनके लिए आधुनिक यंत्रों का उपयोग आर्थिक दृष्टि से व्यावहारिक नहीं होता है। उन्होंने कहा कि इसलिए कृषि और पशुपालन को एक दूसरे का पूरक बनाया जाना चाहिए जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।

राष्ट्रपति ने कहा, ‘ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक समस्या है। यह पूरी मानवता के अस्तित्व के लिए संकट है। लेकिन इसका सबसे ज्यादा प्रभाव गरीब और वंचित लोगों पर पड़ता है। हाल के वर्षों में बिहार में बहुत कम बारिश हुई है।’

उन्होंने कहा कि बिहार एक ‘जल-सम्पन्न’ राज्य माना जाता रहा है और नदियां एवं तालाब इस राज्य की पहचान रही हैं। उन्होंने कहा कि इस पहचान को बनाए रखने के लिए जल संरक्षण पर ध्यान देना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मौजूदा कृषि पद्धति में बदलाव लाकर जैव विविधता को बढ़ावा दिया जा सकता है और जल स्रोतों का दोहन कम किया जा सकता है।

राष्ट्रपति ने कहा, ‘मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि बिहार की एक प्रमुख फसल मक्के से इथेनॉल का उत्पादन किया जा रहा है। जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने, पर्यावरण संरक्षण और देश की ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।’

उन्होंने कहा कि बिहार भगवान बुद्ध और अशोक की धरती है, जिन्होंने सम्पूर्ण मानवता को शांति और सद्भाव का पाठ पढ़ाया। राष्ट्रपति  ने कहा  कि इस पावन धरती के वासी से अपेक्षा की जाती है कि वे ऐसे समाज का आदर्श प्रस्तुत करें जिसमें द्वेष और कलह की कोई गुंजाइश नहीं हो।

उन्होंने कहा कि विकसित भारत के सपने को पूरा करने में इस प्रदेश का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। लेकिन इस सपने को सच्चाई में बदलने के लिए हमें मानव निर्मित संकीर्णताओं से बाहर निकलना होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि बिहार को विकसित राज्य बनाने के लिए समेकित विकास के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य के नीति-निर्माताओं और जनता को बिहार की प्रगति के लिए एक रोडमैप निर्धारित करना होगा और उस पर चलना होगा।

उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपति के रूप में भले ही यह राज्य की मेरी पहली यात्रा है, मैं बिहार के लोगों और यहां की संस्कृति से भली-भांति परिचित हूं। पड़ोसी राज्य झारखंड में करीब छह साल तक राज्यपाल पद पर रहने के दौरान मैंने बिहार की संस्कृति और जीवन-शैली को करीब से महसूस किया है। मेरा गृह राज्य ओडिशा भी ऐतिहासिक रूप से बिहार से जुड़ा रहा है। इसलिए मुझे लगता है कि मैं भी अपने-आप को बिहारी कह सकती हूं।’

राष्ट्रपति ने स्वयं को किसान की बेटी बताते हुए कहा कि कार्यकाल समाप्त होने के बाद वह खेती करने के लिए अपने गांव जाएंगी । इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा, ‘राज्य में हमारी सरकार किसानों, समाज के कमजोर वर्गों और वंचितों के लाभ के लिए कई कदम उठा रही है। राज्य सरकार ने हाल ही में जाति सर्वेक्षण कराया जो किसानों सहित समाज के सभी वर्गों को लाभ पहुंचाने की दिशा में एक अहम कदम है। बिहार की विकास दर देश के शीर्ष तीन सबसे तेजी से बढ़ते राज्यों में तीसरे स्थान पर है।’

बिहार के कृषि रोड मैप के चौथे संस्करण का मुख्य अनेक प्रकार की  फसलों की पैदावार, पशु चिकित्सा सेवाओं को बेहतर बनाना, अधिक खाद्यान्न उत्पादन और बेहतर कृषि विपणन पर है।

राष्ट्रपति मुर्मू जी  20 अक्टूबर को दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह में भाग लेने के लिए गया जाएंगी।

गाँव के लोग
गाँव के लोग
पत्रकारिता में जनसरोकारों और सामाजिक न्याय के विज़न के साथ काम कर रही वेबसाइट। इसकी ग्राउंड रिपोर्टिंग और कहानियाँ देश की सच्ची तस्वीर दिखाती हैं। प्रतिदिन पढ़ें देश की हलचलों के बारे में । वेबसाइट को सब्सक्राइब और फॉरवर्ड करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here