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ग्राउंड रिपोर्ट

सरकार गांधी का नकली चश्मा पहन, एक आंख से सांप्रदायिकता और दूसरी आंख से तानाशाही देखती है – संजीव सिंह

सत्ता में भाजपा के आने के बाद गाँधी से जुड़े संस्थानों और उनके विचारों पर लगातार हमले हो रहे हैं। उनकी विरासत पर कब्ज़ा कर, उन्हें लगातार ध्वस्त करने की प्रक्रिया और लोकतंत्र को विकृत करने के खिलाफ गांधीवादी लोग आम जनता तक, इन बातों को पहुंचाने का काम कर रहे हैं। पिछले वर्ष वाराणसी में सर्व सेवा संघ परिसर को पूरी तरह खत्म करने के बाद 11 सितम्बर 2024 से 100 दिनी सत्याग्रह की शुरुआत की गई।

न्याय के दीप जलाएं-100 का दिन सत्याग्रह का 22वां दिन 

गांधी की विरासत को बचाने के लिए, वाराणसी के राजघाट पर 100 दिनी सत्याग्रह चल रहा है। आज महात्मा गांधी की  155 वीं जयंती के दिन, सत्याग्रह का 22वां दिन था। 2 अक्तूबर के दिन ही देश के पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की जयंती भी थी। सुबह ठीक 6:00 बजे सर्वधर्म प्रार्थना के बाद महात्मा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री, विनोबा भावे, लोकनायक जयप्रकाश नारायण की फोटो पर माल्यार्पण के साथ सत्याग्रह प्रारंभ हुआ।

इस अवसर पर प्रशासन के कब्जे वाले ध्वस्त हुए सर्व सेवा संघ में गांधी की मूर्ति शेष रह गई है और अभी शासन के कब्जे में है, जिस पर सत्याग्रहियों ने माल्यार्पण किया, उन्हें श्रद्धांजलि दी, लेकिन उसके लिए प्रशासन से मशक्कत के बाद अनुमति मिली। यह विडम्बना है कि पूरी दुनिया अहिंसा के पुजारी की जयंती मना रही है, वहीं गांधी जी को उनके ही घर में श्रद्धांजलि के लिए अनुमति लेनी पड़ी।

इस सौ दिन चलने वाले सत्याग्रह में हर दिन देश के अलग-अलग राज्यों से आए प्रतिनिधि उपवास कर रहे हैं। आज उपवास पर कर्नाटक के चिक्कबल्लापुरा की नागम्मा व नरसम्मा के साथ लोक समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष गिरजा सतीश, बिहार प्रांतीय महामंत्री शिवजी सिंह, बिहार सर्वोदय मंडल के कार्यकारी अध्यक्ष सत्यनारायण प्रसाद, आशुतोष कुमार, सुभाष दीक्षित, गांधी विद्या संस्थान के पूर्व प्राध्यापक डीएम दिवाकर एवं दिल्ली से लेखक संदीप जोशी, कौशल गणेश आजाद भी उपवास पर बैठे हैं।

इस सत्याग्रह में गांधी के अनुयायी महिलाएं, बच्चे और युवा भी शामिल हो रहे हैं। सत्याग्रह स्थल पर 10 वर्षीय कबीर सूत  बहुत ही सधे हुए हाथों से कात रहे थे। यह देखते हुए लगा कि गांधी के विचारों को आने वाली पीढ़ी भी आत्मसात कर रही है। गांधी को पूरी तरह  खत्म करने की साजिश में सरकार लगातार असफल रही है।

वाराणसी में राजघाट का नाम आते ही सर्व सेवा संघ की याद आती है। लगभग 12.89 एकड़ में फैले सर्व सेवा संघ परिसर में तीन मुख्य भवन थे। एक प्रकाशन भवन,  दूसरा गाँधी प्रदर्शनी भवन और तीसरा गाँधी आश्रम का खादी भवन के साथ आवासीय मकान।

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सर्व सेवा संघ परिसर को ध्वस्त करने के बाद बची एकमात्र गांधी की प्रतिमा

22 जुलाई को प्रशासन ने पुलिस के साथ मिलकर जबर्दस्ती खाली करवा दिया और 12 अगस्त की रात, इस परिसर पर बुलडोजर चलवाकर पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया।

सर्व सेवा संघ की जमीन तीन बैनामा के आधार पर 12.89 एकड़ है और इस को 1960, 1961, 1970 में जब तक रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री रहे, उनके कार्यकाल में विनोबा भावे के आग्रह पर ये जमीन सर्व सेवा संघ द्वारा रकम चुका कर चालान जमा कर रेलवे से खरीदी गई है एवं खतौनी में बाकायदा सर्व सेवा संघ का नाम दर्ज है। इसलिए सर्व सेवा संघ की सम्पदा वैध है। यह संपत्ति उत्तर रेलवे से खरीदी गई थी।

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100 दिनी सत्याग्रह में लोगों ने किया गांधीजी को याद  

महात्मा गांधी को याद करते हुए सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदन पाल ने कहा कि हमारा 100 दिनी सत्याग्रह चलाते हुए सरकार को ही नहीं बल्कि पूरे देश को संदेश देना चाहते हैं अहिंसा के माध्यम से लड़ते हुए भी न्याय प्राप्त किया जा सकता है। महात्मा गांधी खुद ही अहिंसा के माध्यम से देश की आज़ादी के लिए लंबी लड़ाई लड़े थे और जीत हासिल की। उन्होंने उपवास पर बैठे सभी साथियों का अभिनंदन किया और कहा कि हमारे त्याग और तप का नतीजा सकारात्मक होगा। हम न्याय के लिए बैठे हैं और विश्वास है कि  हमे न्याय हासिल होगा। सर्व सेवा संघ का गिराया जाना अवैध है।

सर्व सेवा संघ के सचिव अरविंद अंजुम ने सरकार को घेरते हुए बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं पर चल रही सुनवाई का हवाला देते हुए कहा कि 1 अक्तूबर को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जज के पूछने पर यह स्पष्ट किया कि अपराधी सिद्ध होने पर भी मकान को, संपत्ति को ध्वस्त नहीं कर सकते।  सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि हमें सिर्फ नगर निगम कानून के दुरुपयोग की चिंता है। यदि वह ढांचे कानून का उल्लंघन करते हैं और केवल एक को गिराया जाता है तो यह चिंता की बात है। कानून अनाधिकृत निर्माणों के लिए होना चाहिए। यह सुप्रीम कोर्ट की स्पष्टता के बाद यह प्रमाणित हो जाता है कि सर्व सेवा संघ परिसर का ध्वस्तीकरण अवैध है क्योंकि सर्व सेवा संघ ने यह जमीन नॉर्दर्न रेलवे से वैध तरीके से खरीदी है और नगर निगम द्वारा अनुमोदित नक्शे के अनुसार निर्माण कराया है। सर्व सेवा संघ नगर निगम को भवनों के टैक्स का भी  भुगतान करती रही है।

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सत्याग्रह स्थल पर 10 वर्षीय कबीर सूत कातते हुए

गांधी विद्या संस्थान के पूर्व प्राध्यापक डीएम दिवाकर ने कहा कि विचार किसी संस्थान, किसी बिल्डिंग का मोहताज नहीं होता। गांधी का विचार पूरी दुनिया को प्रेरित करता है। विनाश की जो कार्यवाई  हुई है उसकी क्षतिपूर्ति सरकार को करनी होगी। यह सत्याग्रह भवन के लिए नहीं है देश बचाने के लिए है। आज लोकतंत्र नहीं, तंत्र का लोक है पर तानाशाही को जब लोकतंत्र का जवाब मिलता है तब वह कहीं का नहीं रहता।

सत्याग्रह में पहुंचे अधिवक्ता प्रेम प्रकाश यादव सत्याग्रह स्थल पर आयोजित सभा को  संबोधित करते हुए कहा कि किसी की भी बेदखली की एक कानूनी प्रक्रिया होती है जिसका यहां पालन नहीं किया गया। सर्व सेवा संघ पर हमला नहीं है, यह संविधान पर हमला है, देश पर हमला है। इसे किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जा सकता। अन्याय को सहन करना आत्मघात और पुरखों के साथ विश्वासघात होगा।

संजीव सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर एक्शन पर चल रहे मुकदमे फैसले के तुरंत बाद सर्व सेवा संघ को पुनः अपील करना चाहिए। सत्य जिसके साथ है वह कभी मिट नहीं सकता। सर्व सेवा संघ सत्य के साथ उसे कोई नहीं मिटा सकता। सरकार गांधी जी का नकली चश्मा पहने हुए हैं। एक आंख से सांप्रदायिकता देखती हैं और दूसरी आंख से तानाशाही।

20वीं सदी के महानायक का आज जन्मदिन पर विद्याधर ने स्पष्ट रूप से कहा कि आरएसएस भाजपा जनता को कंगाल और लाचार बना देना चाहती है, लोकतंत्र को समाप्त करना चाहती है। उन्हें पता नहीं है कि गांधी की ताकत क्या है? वे आज मदहोश हैं। 2024 में इन्हें सबक मिला है पर वे सुधरने के लिए तैयार नहीं हैं। एक दिन अन्याय का अंत होगा ही। हमारी असली लड़ाई लोकतंत्र की रक्षा का है।

समाजवादी नेता अफलातून ने कहा कि विनोबा भावे ने जमीन मांग कर भूमिहीनों में वितरित कर अद्भुत और क्रांतिकारी काम किया है। बोधगया में मठ के भूमि केंद्रीकरण के खिलाफ संघर्ष वाहिनी का आंदोलन चला था। नक्सलवादियों ने भी हिंसा के द्वारा जमीन के सवाल को उठाया। आरएसएस का तरीका है संपत्ति पर अनैतिक तरीके से कब्जा करो। यह केंद्र भूदान आंदोलन का कार्यालय सर्व सेवा संघ राजघाट में था। अंत में उन्होंने कहा कि संपत्ति का संबंध राजनीति से तय होता है।

प्रो आनंद कुमार हम मानने वाले नहीं, हम झुकने वाले भी नहीं है। यह सत्याग्रह अपने लक्ष्य को हासिल करने तक जारी रहेगा। सत्ता जब अहंकार से ग्रस्त हो जाती है तब वह न तो सत्य को सुन पाती है न ही देख पाती है। लेकिन सत्ता की इस बीमारी को जनता ठीक कर देती है और 2024 में यही खुराक दी गई। थोड़ी कसर रह गई नहीं तो बीमारी पूरी तरह ठीक हो जाती। दवा का डोज बढ़ाने की जरूरत है। सत्याग्रह ही असली दवा है।  सत्याग्रही के अंदर जितना साहस होता है सत्ता में उतना ही डर होता है

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प्रशासन द्वारा सर्व सेवा संघ प्रकाशन की किताबें बाहर फेंक, भवन खाली करवाते हुए

गांधी जयंती पर सत्याग्रह स्थल से सर्वोदय जगत के डिजिटल स्वरूप का लोकार्पण 

22 जुलाई 2023 को सर्व सेवा संघ में चलने वाले प्रकाशन में रखी हुई 2-3 करोड़ की किताबें सड़क पर फेंक दी गई थीं। इस प्रकाशन से गाँधी, विनोबा, धीरेन्द्र मजुमदार, जयप्रकाश, जे सी कुमारप्पा जैसे गाँधियन परम्परा के मनीषियों की किताबें प्रकाशित होती थीं।  रेलवे में 73 बुक स्टाल सर्वोदय के हैं। इसके अलावा यहाँ आरोग्य का काम चलता है। यहाँ बालवाड़ी और पुस्तकालय है। यहीं पर देश भर के सर्वोदय कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण होता है लेकिन इन प्राचीन और ऐतिहासिक इमारतों को 12 अगस्त को ढहा दिया गया था। तब से प्रकाशन का बंद था। लेकिन 2 अक्तूबर 2024 को वाराणसी के डुमरी गाँव में फिर से शुरू किया गया। इस अवसर पर नीति भाई, गिरजा सतीश, प्रो आनंद कुमार, चंदनपाल, रंजू सिंह, नंदलाल मास्टर, अशोक भारत, संजीव सिंह उपस्थित थे।

सत्याग्रह में बिहार, रोहतास के भोलानाथ सिंह, मथुरा सिंह, काशीनाथ सिंह, वशिष्ठ पासवान, रामजनम, सुभाष सिंह, सुरेश, विद्याधर, अनिता, मनीषा, रंजू सिंह, सोनी, रचना, पूनम, मैनब बानो, राजकुमारी, सिस्टर फ्लोरिन, अरविंद अंजुम आदि शामिल हुए हैं।

अरविंद कुशवाहा
अरविंद कुशवाहा
लेखक, वाराणसी में चल रहे न्याय के दीप जलाएं-100 दिनी सत्याग्रह के कार्यक्रम प्रभारी है।

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