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आज़ादी की लड़ाई में जिनका कोई योगदान नहीं वे गांधी की भूमिका कम करना चाहते हैं

आज सांप्रदायिक दक्षिणपंथ को लगता है कि उसकी जडें काफी गहराई तक पहुँच चुकी हैं, इसलिए उसके चिन्तक-विचारक अब गांधीजी की 'कमियों' पर बात करने लगे हैं और भारत के स्वतंत्रता हासिल करने में उनके योगदान को कम करने बताने लगे हैं। इस 30 जनवरी को जब देश राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि दे रहा था तब कुछ पोर्टल ऐसे वीडियो प्रसारित कर रहे थे जिनका केन्द्रीय सन्देश यह था कि गांधीजी केवल उन कई लोगों में से एक थे जिन्होंने भारत की आज़ादी के लिए संघर्ष किया। अलग-अलग पॉडकास्टों और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के जरिये यह प्रचार किया जा रहा था कि अंग्रेजों के भारत छोड़ने के पीछे महात्मा गाँधी के प्रयासों की बहुत मामूली भूमिका थी। 

महात्मा गाँधी की हत्या में ग्वालियर के लोगों की क्या भूमिका थी

महात्मा गांधी को लेकर आरएसएस लगातार दोहरा व्यवहार करता है। एक तरफ उनकी मूर्तियों का अपमान करता है, दूसरी तरफ जरूरत पड़ने पर उनकी पूजा करने से पीछे नहीं रहता। आरएसएस भले ही नाथूराम गोडसे से अपने संबंधों को नकारता रहे लेकिन महात्मा गांधी की हत्या से संबंधित बातों में उसकी भूमिका के नए-नए राज खुल रहे हैं। हाल ही में अंग्रेजी भाषा की पत्रिका 'ओपन' में रवि विश्वेश्वरैया शारदा प्रसाद के लेख और मनोहर मालगांवकर की पुस्तक 'द मैन हू किल्ड गांधी' में 30 जनवरी की घटना की पृष्ठभूमि और उसके अनेक पात्रों की कहानी बहुत विस्तार के साथ लिखी गई।आज महात्मा गांधी की हत्या को 77 साल हो गए हैं। इसके बावजूद महात्मा गांधी की हत्या की पहेलियाँ अभी भी उलझी हुई हैं, इस पर पढ़िए डॉ सुरेश खैरनार का लेख।

वाराणसी : 100 दिन के सत्याग्रह के समापन कल

 राजघाट वाराणसी स्थित सर्व सेवा संघ परिसर के पुनर्निर्माण के संकल्प के साथ विनोबा जयंती, 11 सितंबर 2024 से प्रारंभ 100 दिन का सत्याग्रह- न्याय के दीप जलाएं का कल 19 दिसंबर 2024 को 100 दिन पूरा हो जाएगा। इसके लिए देश भर से गांधीवादी कार्यकर्ता वाराणसी पहुँच रहे हैं। 

वाराणसी : शास्त्री घाट पर सत्याग्रह के 96वें दिन बैठे गांधीवादी

गांधी विरासत को बचाने के लिए प्रशासनिक दबाव के चलते सर्व सेवा संघ परिसर के सामने से स्थानांतरित होकर  शास्त्री घाट में चल रहे सत्याग्रह का आज 96 वां दिन है। स्वतंत्रता आंदोलन में विकसित हुए लोकतांत्रिक भारत की विरासत और शासन की मार्गदर्शिका- संविधान को  बचाने के लिए 11 सितंबर (विनोबा जयंती) से सर्व सेवा संघ के आह्वान पर न्याय के दीप  जलाएं -100 दिनी सत्याग्रह जारी है जो 19 दिसंबर 2024 को संपन्न होगा।

वाराणसी : आज सत्याग्रह के 86 वें दिन दीनदयाल चौधरी ने कहा – सरकार दमनकारी नीति छोड़े

गांधी विरासत को बचाने के लिए वाराणसी स्थित राजघाट परिसर के सामने चल रहे सत्याग्रह का आज 86 वां दिन है।  स्वतंत्रता आंदोलन में विकसित हुए लोकतांत्रिक भारत की विरासत और शासन की मार्गदर्शिका- संविधान को  बचाने के लिए 11 सितंबर (विनोबा जयंती) से सर्व सेवा संघ के आह्वान पर ‘न्याय के दीप  जलाएं -100 दिनी सत्याग्रह’ जारी है जो 19 दिसंबर 2024 को संपन्न होगा। सत्याग्रह आज सर्व धर्म प्रार्थना एवं गीता पाठ के साथ अपने 86 वें पायदान पर पहुंच गया है।

सरकार गांधी का नकली चश्मा पहन, एक आंख से सांप्रदायिकता और दूसरी आंख से तानाशाही देखती है – संजीव सिंह

सत्ता में भाजपा के आने के बाद गाँधी से जुड़े संस्थानों और उनके विचारों पर लगातार हमले हो रहे हैं। उनकी विरासत पर कब्ज़ा कर, उन्हें लगातार ध्वस्त करने की प्रक्रिया और लोकतंत्र को विकृत करने के खिलाफ गांधीवादी लोग आम जनता तक, इन बातों को पहुंचाने का काम कर रहे हैं। पिछले वर्ष वाराणसी में सर्व सेवा संघ परिसर को पूरी तरह खत्म करने के बाद 11 सितम्बर 2024 से 100 दिनी सत्याग्रह की शुरुआत की गई।

क्या पूना पैक्ट में गाँधी को जबरन खलनायक बनाया गया है?

आज से 92 साल पहले 26 सितंबर, 1932 के दिन ऐतिहासिक पूना समझौते पर यरवदा जेल के अंदर हस्ताक्षर हुए थे। हमेशा की तरह, इस समय भी उस पैक्ट को लेकर कुछ लोग गलतबयानी करते थे। बाद में गलतबयानी भी तथ्य की तरह स्थापित हो गई। अस्सी के बाद के दशकों में तो यह प्रवृत्ति इतनी परवान चढ़ी कि गांधी इसके एकतरफा खलनायक बना दिये गए। फिर भी आज पूना पैक्ट की 92वीं सालगिरह पर कुछ बात करना जरूरी है।

मोदी जी का ऐसा सोचना गलत है कि संसद भवन से गांधी, बिरसा मुंडा और अंबेडकर की मूर्तियां हटाकर उन्हें मिटाया जा सकता है 

पूरी दुनिया में अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी और संविधान निर्माता बाबा साहब अंबेडकर के विचारों को स्थान दिया जा रहा है। उनके सिद्धांतों को पढ़ाया जा रहा है, उनकी मूर्तियाँ स्थापित की जा रही हैं। ऐसे में देश के सबसे महत्त्वपूर्ण स्थान संसद भवन से बिना किसी को सूचना दिये या सहमति लिए, इन महापुरुषों की प्रतिमा को हटाकर पुराने संसद भवन के पीछे उपेक्षित स्थान पर स्थानांतरित कर देना उनका अपमान है। ऐसे में मोदी का राजघाट पर फूल चढ़ाना और अंबेडकर जयंती पर बाबा साहब की प्रतिमा को माला पहनाना एक ढोंग के अलावा कुछ नहीं है। 

क्या पूरी दुनिया में गांधी की पहचान रिचर्ड एटनबरो की फिल्म ‘गांधी’ से हुई?

28 मई को नरेंद्र मोदी ने मीडिया से बातचीत करते हुए बहुत ही हास्यास्पद बयान दिया कि महात्मा गांधी की पहचान के लिए हमारे देश ने पिछले 75 वर्षों में कुछ भी नहीं किया, इस चुनाव से पहले मोदी ने कभी भी प्रेस का सामना नहीं किया, लेकिन अभी के लोकसभा चुनाव में भाजपा की स्थिति को देखते हुए उन्होंने लगभग 70-72 चैनल, अखबारों और पत्रिकाओं को इंटरव्यू दिये, जिसमें कोई भी महत्त्वपूर्ण बात नहीं कही बल्कि अपने पद की गरिमा के खिलाफ जाते हुए इस तरह के प्रतिकूल व गैरजिम्मेदाराना बयान ही दिये।

 भारत में समतामूलक समाज निर्माण की उम्मीद जगाता कांग्रेस का घोषणापत्र 

सदियों से शक्ति के समस्त स्रोतों पर सवर्णों का अधिकार रहा है। देखा जाय तो भेदभाव और अवसरों की कमी झेलने वाली 70 प्रतिशत आबादी को असमानताताओं के दल-दल से निकालने के जरूरत है। कांग्रेस का घोषणा पत्र इस दिशा में उम्मीद की एक किरण बना हुआ है।

राहुल गांधी ने पुण्यतिथि पर महात्मा गांधी को किया नमन, कहा- यह ‘महायात्रा’ उनके विचारों से ही प्रेरित है

पटना (भाषा)। कांग्रेस नेता राहुल गांधी मंगलवार को बिहार में अपनी पहली रैली के जरिये विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’...

22 जनवरी ग्राहम स्टेंस और उनके दो मासूम बच्चों को ज़िंदा जलाने का काला दिन भी था

फादर ग्राहम स्टेंस और उनके मासूम बच्चों की हत्या को हिन्दू जाति-व्यवस्था के ऊपरी सतह पर रहनेवाले लोगों की धार्मिक घृणा का परिणाम मानना चाहिए। इस घृणा का राजनीतिक स्वरूप यह है कि वर्तमान समय में तथाकथित हिंदुत्ववादी धर्मसंसद खुलेआम अल्पसंख्यकों की हत्या को अपना एजेंडा बनाकर पेश करती है। वह संसद से लेकर संविधान की धज्जियाँ उड़ा रही है। इनके खिलाफ शांति-सद्भावना के साथ सर्वधर्म समभाव को मानने वाले लोगों ने इकठ्ठा होकर सक्रिय रूप से गतिशील होने की जरूरत है।

 बहुजन आर्थिक स्वतन्त्रता का नया प्रवेशद्वार, बिहार में नौकरी की बहार

3 अगस्त, 2023 को एक अखबार में  ‘बिहार में महागठबंन सरकार का बड़ा दाँव :चुनाव से पहले 1.78 लाख टीचर्स भर्ती की तैयारी, जल्द...

‘हिंदू’ और ‘हिंदुत्व’ के जाल में न फंसें बहुजन 

पिछले 10-15 साल से देश की सियासत में बड़ा राजनीतिक बदलाव होता दिख रहा है। बीजेपी लंबे समय से हार्ड हिंदुत्व की पॉलिटिक्स करती...

योजनाबद्ध तरीके से नफरत भड़काई जा रही है गांधीजी के खिलाफ

हर वर्ष की तरह हम इस साल भी राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की जयंती मनाई जा रही है। इस अवसर पर  यह बेहतर होगा कि...

सर्व सेवा संघ को बचाने की मुहिम में प्रतिवाद सभा, बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने की शिरकत

वाराणसी। करीब दो महीने से सर्व सेवा संघ को बचाने वास्ते संघर्षरत सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों का जुटान आज वरुणा तट स्थित शास्त्री घाट...

सर्व सेवा संघ कैंपस को बचाने के लिए इकट्ठा हुए गांधी के लोग, कोर्ट में 3 जुलाई को होगी सुनवाई

प्रशासन ने राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ साधना केंद्र को 30 जून को गिराने के लिए नोटिस दिया था। 27 सितंबर को डीएम के आदेश के 1 घंटे बाद ही यह नोटिस सर्व सेवा संघ के प्रांगण में सभी भवनों पर रेलवे विभाग द्वारा चस्पा कर दिया गया था। इसके विरोध में सर्व सेवा संघ ने 28 तारीख को इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश ने यह कहा कि 30 जून को इस मामले की सुनवाई की जायेगी

समाजसेवियों ने की गांधी विद्या संस्थान को मुक्त कर सर्व सेवा संघ को सौंपने की माँग

बोले समाजसेवी - गांधी विद्या संस्थान को दूसरी संस्था को सौंपना विधि विरुद्ध वाराणसी। बीते मंगलवार यानी 16 मई को कमिश्नर कौशलराज शर्मा के निर्देश...

गांधीजी की शहादत, गोडसे और आरएसएस का सच्चा इतिहास

हाल में (अप्रैल 2023) में एनसीईआरटी ने स्कूली पाठ्यपुस्तकों में से बहुत-सी सामग्रियां हटाने का फैसला किया। हटाई गई सामग्री में मुगलकालीन इतिहास, गुजरात दंगे, वर्ण...

महिलाओं के लिए प्रेरणादायक है कस्तूरबा का संघर्ष

कस्तूरबा गांधी 'बा' की जयंती पर दख़ल के सदस्यों ने किया स्त्री विमर्श वाराणसी। कस्तूरबा गांधी 'बा' के जयंती पर गाँधी घाट (सुबह-ए बनारस-मंच अस्सी...

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