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पांच राज्यों का चुनाव परिणाम, इतिहास रचने वाला रहा!

पांच राज्यों का विधानसभा चुनाव परिणाम, इतिहास रचने वाला रहा, जहां एक तरफ भारतीय जनता पार्टी ने लगभग चार दशक बाद उत्तर प्रदेश में...

दस मार्च के परिणाम का संभावित असर (डायरी 7 मार्च, 2022)

सूचनाओं के निहितार्थ भी कमाल के होते हैं और हर सूचना के पीछे समाजशास्त्रीय पृष्ठभूमि होती है। ये सूचनाएं आज के समय में कितनी...

कांग्रेस की जीत में चन्नी का जादू और सिद्धू की कुंठा

उत्तर प्रदेश का चुनाव जहां भारतीय जनता पार्टी के लिए महत्वपूर्ण चुनाव है, वहीं पंजाब का चुनाव भी कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है। उत्तर...

अच्छे शासक लोगों से प्यार करते हैं, डरते नहीं हैं (डायरी 6 जनवरी, 2022)

 अक्सर एक विचार आता है कि अपने गृहप्रदेश बिहार पर नाज करूं। जब यह विचार आता है तो मेरा मन खुद ही अनेकानेक सवाल...

सुप्रीम कोर्ट का सहज संज्ञान और सरकार का रवैया

लखीमपुर खीरी की बर्बरतापूर्ण घटना के बाद इंटरनेट पर वायरल हुये वीडियो और मारे गए किसानों के साथ प्रदर्शन में शामिल किसानों के बयान...

क्या महत्वपूर्ण मुद्दों पर बैठकें दिशाहीन हो चुकी हैं

पूर्वांचल में किसानों की समस्याएं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों की समस्याओं से कहीं ज्यादा हैं लेकिन उनका कोई मुकम्मल संगठन नहीं होने की वजह से उनका गुस्सा और उनकी तकलीफें उनके और उनके परिवार तक सीमित हो गई हैं। पूर्वांचल में किसान संगठनों के नाम पर राजनीतिक पार्टियों के आनुषांगिक संगठन ही केवल काम कर रहे हैं, इसलिए किसानों का झुकाव भी इन संगठनों के प्रति अपनापन का नहीं है। संयुक्त किसान मोर्चा की पूर्वांचल इकाई की संरचना भी कुछ ऐसी ही दिखाई दे रही है। शायद इस वजह से पूर्वांचल में कोई बड़ा किसान आंदोलन खड़ा नहीं हो पा रहा है। 

चरणजीत सिंह चन्नी, लालू प्रसाद और जीतनराम मांझी  डायरी (1 अक्टूबर, 2021)

बदलाव की अनेक परिभाषाएं मुमकिन हैं। सबसे महत्वपूर्ण यह कि बदलाव अदिश नहीं होते। उनके साथ एक दिशा होती ही है। और फिर यह...

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