TAG
#banarasisadi
बुनकरी के काम में महिलाओं को न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिल पाती
अपर्णा -
बुनकर को जो मजदूरी मिलती है उसी में घर की स्त्री की मेहनत का मूल्य भी होता है लेकिन वह उसे कभी अलग से नहीं मिलता। अमूर्त रूप से उसका मूल्य उसके भोजन में मिला होता है। अगर बुनकर के जीवन में परिश्रम और गरीबी को देखें तो यह निस्संदेह सहानुभूति पैदा करने वाला काम है जो अर्थव्यवस्था के नकारात्मक विस्तार के कारण दयनीयता और लाचारी के चरम पर है लेकिन स्त्री इस हालत में भी पुरुषसत्ता का शिकार है।
बर्बाद हो चुके बनारसी साड़ी उद्योग में लगे बुनकरों के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा है
चुनावी कवरेज के लिए हम जनता के मन-मिजाज को जानने के लिए बनारस के लल्लापुरा इलाके के काजीपुरा खुर्द मोहल्ले में बुनकरों से मिले।...