एक मजबूत लोकतंत्र होने के बावजूद भी यूनाइटेड किंगडम अभी भी राजशाही के साथ क्यों चिपका हुआ है। कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड जैसे देशों के लिए यह प्रश्न अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है जहाँ राजशाही विरोधी भावनाएँ भी बढ़ रही हैं फिर भी 'दायरे' का हिस्सा बनी हुई हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में रूढ़िवादी लॉबी आक्रामक रूप से राजशाही समर्थक बनी हुई है और बाजार की ताकतों ने उनकी 'लोकप्रियता' का दोहन किया है।
कहीं ऐसा न हो कि अपने बाबा बुलडोजर पर सवार होकर, इसको-उसको मिट्टी में मिलाते ही रह जाएं और उधर गुजरात वाले भूपेंद्र भाई पटेल दिल्ली का हनुमान बनने की दौड़ में बाजी मार ले जाएं। बेशक, पटेल के राज में अहमदाबाद में नरेंद्र मोदी स्टेडियम में क्रिकेट मैच के दौरान पहले कई घंटे तक जैसे सिर्फ मोदी-मोदी हुई है, अभूतपूर्व थी।
सीएए का असली उद्देश्य है पर्याप्त दस्तावेज न होने के बाद भी हिन्दुओं को पीछे के दरवाजे से देश का नागरिक बनाना और इसी श्रेणी के मुसलमानों को नजरबंदी केन्द्रों में भेजना। शाहीन बाग आंदोलन ने देश को हिलाकर रख दिया था और मुस्लिम महिलाओं ने बिना किसी लाग लपेट के यह स्पष्ट कर दिया कि मुसलमान भी देश के नागरिक हैं। डाक्यूमेन्ट्री के पहले और दूसरे भागों को जोड़ने वाली कड़ी है मोदी की विघटनकारी राजनीति जिसमें हिन्दू राष्ट्रवादी संगठन पूरा सहयोग दे रहे हैं।