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उनके लिए जो स्वयं को ओबीसी साहित्य का बाप मानते हैं (डायरी 12 जून, 2022)
कल एक गुजरात निवासी सज्जन मिलने आये। यह उनसे मेरी पहली मुलाकात थी। गुजरात को लेकर शुरू हुई बातचीत शब्दों के विभिन्न आयामों तक...
बिहार, तेरे हाल पर रोना आया (डायरी 29 मई, 2022)
सपने बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इतने महत्वपूर्ण कि यदि सपने न हों तो किसी को सजीव नहीं माना जा सकता है। लंबे समय से...
अभिशाप नहीं हैं स्त्रियों में समानता के हक पर दावा करना,डायरी (20 अप्रैल, 2022)
यकीन नहीं आता है कि अतीत का साहित्य इतना असरदार होता था कि समाज उसका अनुसरण करने लगता था। आज भी कई बार ऐसा...

