हकीकत में भी आदमी को पहले अपने बारे में सोचना चाहिए। इसको ऐसे देखिए कि यदि आप स्वयं पढ़ेंगे नहीं तो आप दूसरों को कैसे समझेंगे और कैसे दूसरे को पढ़ा सकते हैं। वैसे ही जैसे यदि आपके पेट में अनाज के दाने न हों तो आप दूसरों के लिए अनाज का उत्पादन कैसे कर सकेंगे। लेकिन बिहार में ऐसा क्या है कि लोगों को अनाज के लिए दूसरे राज्यों की ओर रुख करना पड़ता है? जबकि प्राकृतिक संसाधनों के लिहाज से देखें तो शायद ही भारत का कोई राज्य इतना समृद्ध होगा। यहां तक कि वर्ष 2000 में झारखंड के अलग होने के बावजूद बिहार इस मामले में आगे है।
बिहार में अंग्रेजों के कुशल जल प्रबंधन के प्रमाण आज भी मौजूद हैं। पटना में ही कई जगह नहरों पर लॉक है। यह तो एकदम दिलचस्प है। दरअसल होता यह था कि सोन नहर का इस्तेमाल जल परिवहन के लिए किया जाता था। लॉक के जरिए पहले पानी का जलस्तर बढ़ाया जाता और उसे ऊपर से नीचे या फिर नीचे से ऊपर ले जाया जाता था। यह सब केवल पांच मिनट में होता था। इस तरह का लॉक सिस्टम ब्रिटेन में आज भी देखे जा सकते हैं। दक्षिण अमेरिका के पनामा नहर पर बना लॉक आज विख्यात टूरिस्ट स्पॉट है। लेकिन बिहार तो बिहार है। यहां राजधानी पटना के खगौल और नौबतपुर में यह अद्भुत संरचना और उसकी बदहाली आज भी देखी जा सकती है।

पुश्यमित्र शुंग को मैं हत्यारे की श्रेणी में नहीं रखता। हालांकि उसने वृहतरथ की हत्याकर मौर्य वंश को खत्म जरूर कर दिया। लेकिन यह तो सत्ता की राजनीति थी। नंद वंश जो कि असल में नाई समाज के लोग थे, उनका खात्मा तो चंद्रगुप्त ने चाणक्य के साथ मिलकर किया था। इस प्रकार यदि हम पुश्यमित्र शुंग को खलनायक मानेंगे तो चंद्रगुप्त को भी खलनायक मानना ही होगा। फिर सम्राट अशोक को भी खलनायक के रूप में ही स्वीकार करना होगा
[…] बिहार, तेरे हाल पर रोना आया (डायरी 29 मई… […]