एक समय था किसान की आजीविका का मुख्य साधन खेती के साथ पशुपालन था लेकिन आज किसान पशुपालन से बचना चाहते हैं क्योंकि किसान को यहाँ लगातार नुकसान हो रहा है लेकिन राजस्थान सरकार ने अपने बजट में पशुपालन में बीमा जैसी महत्त्वपूर्ण योजना शुरू कर किसानों को इस काम में आगे आने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
सरकार ने कई कल्याणकारी योजनाओं के बजट में दिव्यांगों के लिए पिछले साल की तुलना में इस वर्ष वृद्धि की है। लेकिन जितना बजट घोषित किया है, वह पर्याप्त नहीं है। जबकि इस वर्ग को सामान्य लोगों की अपेक्षा ज्यादा सहायता की जरूरत होती है। सरकार को चाहिए कि ऐसी योजनाएँ लागू करें जिससे यह आत्मनिर्भर हो अपना जीवन बिता सकें।
देश में अमीरों और गरीबों की जनगणना तो नहीं हुई है लेकिन इसके बाद यह दावे के साथ कहा जा सकता है कि देश की 80 करोड़ जनता गरीबी में जीवनयापन कर रही है, जिन्हें सरकार हर महीने 5 किलो राशन देती है। लेकिन वर्ष 2024 के आम बजट में इन गरीबों के लिए कोई भी प्रावधान नहीं किया गया। सवाल यह है कि कब इनके ऊपर सरकार मेहरबान होगी।
केंद्रीय बजट 2024-25 में भी कृषि और किसानों का विशेष ध्यान रखते हुए कई नई घोषणाएं कर कृषि और इससे जुड़े सेक्टरों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपए प्रावधान किया गया है। लेकिन कृषि समस्याओं और जरूरतों को देखते हुए यह पर्याप्त नहीं है। बीज और खाद की बढ़ी हुई कीमत के साथ सिंचाई की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाने के कारण आने वाली पीढ़ी खेती-किसानी का काम नहीं करना चाह रही है। साथ ही बजट में हुई घोषणाएँ सीमांत किसान तक पहुँच पाएँ, ऐसी व्यवस्था की जानी जरूरी है।
वर्ष 2024 का आम बजट पेश हो गया है। इस बजट में सरकार ने 11.11 लाख पूंजी निवेश का प्रावधान रखा है लेकिन इस निवेश से कितने रोजगार पैदा होंगे देखने वाली बात होगी क्योंकि कोरोना में हुए लॉकडाउन के बाद लगभग सभी उद्यमों पर बहुत खराब प्रभाव पड़ा था और बड़े पैमाने पर बेरोजगारी पैदा हुई थी। उसके बाद बेरोजगारी की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ बल्कि दिनों-दिन खराब ही होता रहा। कल पेश हुए बजट में इसका असर साफ दिखाई दिया।