गाजीपुर जिले के कासिमबाद-नोनहरा इलाके में स्थित एक गाँव क़यामपुर छावनी के लोगों ने अपने गाँव से गुजरनेवाली मंगई नदी पर पुल का निर्माण शुरू कर दिया है। इसमें खास बात यह है कि लोगों ने जनसहयोग से इतना बड़ा कम शुरू किया है और काफी हद तक काम पूरा कर दिया है। आसपास के गांवों के लोगों के अलावा जिले के अन्य इलाकों से भी उन्हें सहयोग मिल रहा है। हालांकि वे लंबे समय तक पुल की मांग करते रहे लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात रहे। जनप्रतिनिधियों ने दशकों तक उन्हें गच्चा दिया। अंततः लोगों ने स्वयं ही यह बीड़ा उठाया। पिछले साल फरवरी में शुरू हुआ काम आधे से अधिक पूरा हो चला है। यह लोगों के सहयोग, समर्पण और सामाजिक नवाचार की एक अनूठी मिसाल बन गया गया है। अपर्णा की रिपोर्ट।
किसी राज्य का ओडीएफ प्लस (खुले में शौच से मुक्त राज्य) का दर्जा हासिल हो जाना हमारे देश में एक बड़ी उपलब्धि है। उत्तर प्रदेश को वर्ष 2023 में सौ प्रतिशत ओडीएफ प्लस घोषित कर दिया गया था लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है। सरकार के दावे लगातार गलत साबित हो रहे हैं। वाराणसी के आराजी लाइन ब्लॉक का गाँव सजोई कुछ ऐसी ही तस्वीर पेश कर रहा है। पढ़िये ओडीएफ की सच्चाई की पड़ताल करती अपर्णा की ग्राउंड रिपोर्ट
आज से 70 वर्ष पहले ऐसे वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था संविधान में लाई गई थी, जो सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से हाशिये पर जीवन जीने को मजबूर थे क्योंकि देश का सवर्ण तबका, खासकर ब्राह्मण, उन्हें आगे बढ़ने देना नहीं चाहते थे लेकिन संविधान के सामने विवश थे। हाशिये के इन समाजों ने शिक्षित हो आगे आना शुरू किया। यही बात भारतीय सवर्णों के लिए अपच हो गई। फिर भी भारतीय संविधान हाशिये के समाजों के अधिकारों की सुरक्षा करता रहा है। अब आरएसएस के दिमाग से संचालित भाजपानीत सरकार ने हाशिये के समाज के लोगों को फिर से हाशिये पर ढकेलने के लिए अलग षड्यंत्र कर रही है। देश का अपना संविधान होने के बावजूद आरएसएस यहाँ अपना एक अलग मनुवादी संविधान थोपने के प्रयास में है। प्रायः सभी चयन समितियों में अपने वर्चस्व का लाभ उठाकर शिक्षा और नौकरियों के मामले में उन्हें NFS कर हटाने के प्रयास में है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के ताजा मामले में जानिए कि कैसे आठ उम्मीदवारों को NFS कर दिया गया।