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दिल्ली विश्वविद्यालय : नियुक्ति में NFS का खेल जारी है

देश की सत्ता पर बैठे मुखिया पिछड़े और आदिवासी समुदाय से आते हैं, वे सभी देश को चलाने में सक्षम और योग्य हैं क्योंकि सभी आरएसएस से जुड़े हुए हैं। ये सभी देश को चलाने की योग्यता रखते हैं, चाहे इनकी शैक्षणिक योग्यता जो भी हो लेकिन पिछड़े समाज का उच्च शिक्षा प्राप्त एक भी उम्मीदवार शैक्षणिक संस्थानों में नियुक्ति के योग्य नहीं पाया जाता। जबकि संविधान में पिछड़े समाज के लिए विशेष अवसर के तहत ही आरक्षण का प्रावधान किया गया है। लेकिन जब उस अवसर के तहत चयन की बारी आती है तब उसका NFS करके उस अवसर की ही हत्या कर दी जाती है। इससे एक बात सामने आती है कि यह संस्थान जाति और ब्राह्मणवाद का खुला खेल खेलता हुआ NFS का खेल खेलते हुए पिछड़ी जातियों के युवाओं के भविष्य को दांव पर लगा रहा है। संविधान में पिछड़े समाज के लिए विशेष अवसर के तहत ही आरक्षण का प्रावधान किया गया है। लेकिन जब उस अवसर के तहत चयन की बारी आती है, तब NFS कर उस अवसर की ही हत्या कर दी जाती है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रावासों में पिछड़े वर्ग के छात्रों की सरकारी सुविधाओं का दमन कब तक?

दिल्ली विश्वविद्यालय में पहली बार आरक्षण को लेकर भेदभाव नहीं हो रहा है। बल्कि पिछड़े वर्ग को मिलने वाली हर सुविधाओं को लेकर भेदभाव किया जाता रहा है। फिलहाल यह मामला दिल्ली विवि में एडमिशन लेने वाले पिछड़े वर्ग के छात्रों को छात्रावास में दिए जाने वाले मामले को लेकर है। उन्हें दिए जाने वाले आरक्षण को नजरंदाज कर उन्हें बाहर रहने को मजबूर किया जा रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय में समाजवादी, मार्क्सवादी, अम्बेडकरवादी एवं मनुवादी विचारधारा के प्रोफेसर पढ़ाते हैं। प्रोफेसर लोग मूलतः शिक्षक हैं। लेकिन ये सभी पिछड़े समाज के छात्रों को मिलने वाली सरकारी सुविधाओं का क़त्ल खुलेआम कर रहे हैं।

दिल्ली विश्वविद्यालय में मनुवादियों की NFS लीला रुकेगी कब?

प्राचीन समय से मनुवादियों ने समाज के दलित-वंचित समुदाय को शिक्षा लेने से वंचित रखने के लिए मनुस्मृति का सहारा ले उन्हें भरमाया। जब-जब वे पढ़ना चाहे, तब-तब पढ़ने से रोकने के लिए उन्हें अपमानित कर अपना पुश्तैनी काम करने के लिए कहा। देश में संविधान -लागू होने के बाद सभी को समान अधिकार प्राप्त हुआ, उसके बाद, जब ओबीसी,एससी और एसटी वर्ग के लोग शिक्षित हो बेहतर योग्यता से सामने आने लगे तब उनकी बेचैनी सामने आने लगी। इस वजह से उन्हें दिये गए आरक्षण को किसी भी तरह से रोकने के लिए शातिर तरीके अपना रहे हैं। अभी लगातार अनेक विश्वविद्यालयों से आरक्षित पदों के उम्मीदवारों को NFS करने की सूचना आ रही है। सवाल यह उठता है कि क्या सभी योग्यता सवर्णों में और सारी अयोग्यता ओबीसी, एससी और एसटी वर्ग में है।

बकवास करने का अधिकार केवल ब्राह्मण वर्गों को है (डायरी 21 मई, 2022) 

हम जिस देश में रहते हैं, वहां बकवास बहुत किया जाता है। लेकिन सनद रहे कि बकवास करने का अधिकार सभी को नहीं है।...

मैं कभी किसी कहानी आंदोलन का हिस्सा नहीं रही

बातचीत का पहला हिस्सा आप अपने बचपन के बारे में कुछ बताएं! पुराने घर की कुछ स्मृतियां? कलकत्ता में बीते बचपन की पुरानी स्मृतियों में एक...

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