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उत्तर प्रदेश : आर्थिक तंगी से परेशान दो किसानों ने की आत्महत्या, प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे हैं किसान आत्महत्या के मामले

उत्तर प्रदेश में 2021 की तुलना में 2022 के दौरान किसानों और खेतिहर मजदूरों की आत्महत्या के मामलों में 42.13 फीसदी की वृद्धि हुई है। 

मौसम और सरकार की दोहरी मार झेल रहा किसान, आत्महत्या को मज़बूर

किसानों की आत्महत्या के मामले में मध्य प्रदेश पांचवें नंबर पर है वहीं एक बार फिर बेमौसम बारिश मध्य प्रदेश के किसानों पर कहर बनकर गिरी है। सवाल है कि निजी बीमा कम्पनियाँ और सरकार किसानों को कितनी राहत पहुंचा पाती हैं?

महाराष्ट्र : किसानों की पत्नियाँ कर्ज चुकाते जी रही हैं बदतर ज़िंदगी

आज समूचे देश में कृषि-क्षेत्र में 72 प्रतिशत से ज़्यादा लड़कियाँ और महिलाएँ दिन-रात पसीना बहा रही हैं। मगर उनका अस्तित्व आज भी उनके पति के अस्तित्व पर निर्भर करता है। फिर भी इन औरतों ने परिस्थितियों  से जूझना बंद नहीं किया है। महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या के बाद उनकी पत्नियाँ किस तरह उनका कर्ज उतारकर जीवन जी रही हैं, पढ़िये ग्राउंड रिपोर्ट

महाराष्ट्र : महाजनों के डर से आत्महत्या करते धरतीपुत्र और घर चलाती भूमि कन्याएँ

आत्महत्या करने वाले अधिकतर किसान ओबीसी जातियों के हैं। मगर उनकी आत्महत्या का मुद्दा जब कहीं भी उन जातिगत राजनीतिक संगठनों के एजेंडे में शामिल नहीं है, तब ये आत्महत्याग्रस्त किसान महिलाएँ तो उस आंदोलन में अदृश्य ही हैं। आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवार की विदर्भ से ग्राउंड रिपोर्ट

महाराष्ट्र : कर्ज़ से छुटकारा पाने के लिए आत्महत्या करें या गुलामगीरी पर गुलेल चलाएँ?

महाराष्ट्र का विदर्भ क्षेत्र का नाम किसानों की आत्महत्या के मामले में अक्सर सुनाई देता रहा है। लेखिका डॉ लता प्रतिभा मधुकर ने विदर्भ के यवतमाल और वर्धा जिले के मृतक किसानों की पत्नियों से मिलकर उनके संघर्ष और जीजीविषा को नजदीक से देखा। ये आत्महत्या न कर ज़िंदगी से क्यो और कैसे लड़ती हैं? पढ़िये ग्राउंड रिपोर्ट का भाग एक-

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