गंगा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है और किनारों पर रहने वाले लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त और विस्थापित हो गया है। मिर्ज़ापुर और वाराणसी के कई इलाकों से गुजरते हुये बाढ़ में डूबे खेत और घर दिखे। प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के करसड़ा गाँव के मुसहरों के घर पूरी तरह पानी में डूबे हुये हैं। दो साल पहले उन्हें स्थायी घर देकर यहाँ बसाया गया था। यहाँ उनके घर के बगल में बरसाती नाला और मकानों के ऊपर से हाई टेंशन तार गुजरता है। इसे लेकर उन्होंने प्रशासन से शिकायत भी की लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई।
चंदौली पूर्वांचल के सर्वाधिक पिछड़े जिलों में एक है लेकिन यहाँ धान की पैदावार समेत अनेक कृषि उत्पाद इतनी प्रचुरता में होते हैं कि वे देश के अन्य इलाकों तक भी जाते हैं। यहाँ धान की कई किस्में पैदा होती हैं जिनका एक बड़ा बाज़ार है। इसके बावजूद यहाँ के किसान बाज़ार की मनमानी और सरकारी नीतियों तथा स्थानीय विभागों से परेशान हैं। उनकी शिकायत है कि उन्हें अपनी फसल का उचित दाम नहीं मिल पाता। चंदौली के प्रमुख क्षेत्र धानापुर में सैकड़ों किसान गंगा कटान से पीड़ित हैं लेकिन जनप्रतिनिधियों ने उन्हें इस समस्या से उबारने में कोई सहयोग नहीं किया। अपनी व्यथा-कथा कहते किसान इन स्थितियों से बहुत आक्रोश में हैं।
बलिया जिले में बलिया-सिवान को जोड़ने के लिए घाघरा नदी पर बनने वाले दरौली पुल के कारण बलिया जिले के दर्जनों गाँवों की ज़मीन घाघरा में समाती जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि पुल के निर्माण की जो गाइडलाइन है उसका पालन नहीं किया गया। नदी के ऊपर इसकी अनुमानित लंबाई 1542 मीटर तय थी। इसके अलावा दोनों किनारों को एप्रोच मार्ग से जोड़ा जाना था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अभी तक 1542 मीटर का काम भी अधूरा है।