Thursday, December 5, 2024
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पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

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नवजागरण काल का निहितार्थ (डायरी, 24 जुलाई, 2022)

मन का बहकना भी वाजिब है। आप इसे आवारा होना भी कह सकते हैं। मन को आवारा होना ही चाहिए। आवारा होने का मतलब...

है सब्ज:जार हर दर-ओ-दीवार-ए-गमकद (डायरी 7 मई, 2022) 

मिर्जा गालिब अलहदा साहित्यकार रहे। उनकी रचनाएं संवेदनशीलता को बढ़ाती हैं। हालांकि मैं यह नहीं कह सकता कि जो गालिब को पढ़ता-समझता हो, वह...

कबीर और आज का हुक्मरान, डायरी (21 अप्रैल, 2022)

कल रात एक सपना देखा। सपना याद नहीं है कि उसे लिख सकूं। जेहन में बस इतना है कि वह सपना मौत को कुछ...

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