जोतीराव फुले, डॉ. आंबेडकर और पेरियार के सामाजिक-राजनीतिक आंदोलनों का परिणाम था और सबसे बढ़कर अंग्रेजी हुक्मरानों की दूरदर्शिता जिसके कारण भारत के बहुसंख्यक, जो सदियों से द्विजों के गुलाम थे, जागरूक होने लगे थे। ऐसे में द्विजों को अपने पूर्व के जागरण पर विचार करना पड़ा और इसे ही उन्होंने नवजागरण कहा। यह बहुसंख्यक वर्ग को भ्रम में रखने की साजिश भी थी। नहीं तो और क्या वजह हो सकती है कि नवजागरण काल के जो विद्वान महिलाओं की स्वतंत्रता के बारे में लंबी-लंबी डींगें हांकते थे, वे ही एक महिला के गंगा में नहाने और कपड़े बदलने पर उंगली उठा रहे थे।
आरबीआई गर्वनर ने ऐसा क्या कहा जिसपर सोचा जाना चाहिए! (डायरी 23 जुलाई, 2022)
गालिब की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि वह दार्शनिक न होकर भी बड़े दार्शनिक थे। वह सूफी मत से प्रभावित जरूर लगते हैं, लेकिन हैं नहीं। वह आम आदमी की तरह घटनाओं को देखते हैं और आम आदमी की तरह ही लिखते हैं। लेखक और आदमी के बीच कोई पर्दा नहीं है और ना कोई नकाब।
नवल किशोर कुमार फ़ॉरवर्ड प्रेस में संपादक हैं।
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