पिछले कई वर्षों से हर घर नल जल योजना की धूम मची हुई है और इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में प्रचारित किया जा रहा है लेकिन वास्तविकता प्रचार के बिलकुल उलट है। लगातार बढ़ते साफ पानी के संकट के मद्देनज़र यह योजना एक मज़ाक बनकर रह गई है। बिहार के लाखों ग्रामीण गंदे और ज़हरीले पानी का इस्तेमाल करने को विवश हैं। गया जिले के बरमा गांव में पानी का कैसा संकट है और सरकार की योजना किस हालत में है इस पर नाज़िश मेहताब की रिपोर्ट।
विकास के दावे करने वाली भाजपा सरकार को शायद यह एहसास नहीं है कि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के सेवापुरी ब्लॉक के नहवानीपुर गांव की नट बस्ती में सरकारी योजनाओं की असल स्थिति कुछ और ही है।
हर घर नल जल का वर्तमान देखकर यही कहा जा सकता है कि राजनीतिक घोषणाएँ और सरकारी दावे एक तरफ लेकिन वास्तविकता बिलकुल दूसरे ढंग से अपनी कहानी कहती है। मिर्ज़ापुर जिले के ग्रामीण इलाकों में पानी को लेकर कहीं कतार लगानी पड़ रही है तो कहीं पहाड़ों की खाक छाननी पड़ रही है। भीषण गर्मी के बीच महिलाओं को दो-दो, तीन-तीन किलोमीटर दूर से पानी लाकर चूल्हा-चौका करना पड़ रहा है।